सहारा-सेबी प्रकरण गर्माने पर सहारा क्यू शॉप में कन्वर्ट कर दिया था सहारा का पैसा, सहारा ग्रुप की सभी कंपनियों पर बैठाई जाये सीबीआई और ईडी की जांच
नई दिल्ली। वैसे तो सहारा की बुनियाद ही गड़बड़झाले पर रखी गई है पर गत दिनों जब सहारा के मुखिया सुब्रत राय पर शिकंजा कैसा गया तो सहारा में सहारा Q-शॉप एक ऐसी कंपनी बनी जिसमें निवेशकों का पैसा कन्वर्ट कर दिया गया। निवेशकों को छह साल में दोगुना पैसा देने का मोटा लालच देकर चुप करा दिया गया।
जब इस पैसे को लौटाने का नंबर आया तो सहारा-सेबी मुकदमे का हवाला देते हुए यह कहकर उन्हें टरका दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने सहारा की कंपनियों में पैसा निकालने पर प्रतिबंध लगा रखा है। ऐसा माना जा रहा है कि क्यू शॉप के माध्यम से करीब 75 हजार करोड़ का घोटाला सहारा प्रबंधन ने किया है। यदि सहारा पर सीबीआई और ईडी जांच बैठ जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। सहारा में मामला भुगतान-विलम्ब या दिवालियापन का नहीं है बल्कि सहारा में कर्मचारियों, एजेंटों और निवेशकों को एक सोची समझी साजिश के तहत बेवकूफ बनाया जा रहा है। मामले की जांच तो हुई नहीं मामला कोर्ट-कचहरी में घूमता रहा। होना यह चाहिए था कि मामले की जांच किसी विश्वसनीय एजेंसी से करानी चाहिए थी। तब पता चलता कि कितने लोग प्रभावित हुए, कितने रूपये की धोखाघड़ी की गयी और क्या-क्या साजिशें रची गईं।
मामले ने जोर यहां आकर मारा जब दो वर्ष पहले सहारा Q-शॉप की भी भुगतान तिथि आ गयी और कम्पनी के माध्यम से भी निवेशकों का भुगतान नहीं हुआ। लोगों ने जब पैसे की मांग की तो उनसे कहा गया कि पैसे मिलेंगे क्योंकि मामला कोर्ट में चल रहा है। उनको बोला गया कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी कम्पनियों के अकाउंट सीज कर दिए हैं, जिसके कारण भुगतान नहीं हो रहा है। फिर एक धोखाघड़ी के तहत निवेशकों के साथ सहारा प्रबंधन ने षड्यंत्र रच डाला।
सहारा Q-शॉप में जो जमाकर्ताओं के पैसे थे, उसे फिर एक नयी कम्पनी खोलकर उसमें “कन्वर्ट” कर दिया गया। अब फिर निवेशकों को यह कहकर टरकाया जा रहा है कि पैसा दो साल में मिलेगा।
अब स्थिति यह है कि सहारा Q-शॉप खुद को दिवालिया घोषित करने में लग गयी है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि सहारा Q-शॉप” में पैसा है ही कहाँ जो उसे दिवालिया घोषित किया जायेगा। मतलब निवेशकों का पैसा हड़पने का पूरा षड्यंत्र सहारा प्रबंधन ने रच दिया है। यदि सहारा के इस खेल को कोर्ट ने पहले ही समझ लिया होता और किसी एजेंसी से इसकी जांच करा ली होती तो आज निवेशकों और कर्मचारियों का पैसा सुरक्षित होता। यह मामला करीब “एक लाख करोड़” का होगा। आजकल सहारा प्रबंधन के खिलाफ सड़कों पर उतरे सहारा एजेंटों की मानें तो सहारा का “कन्वर्जन सिस्टम” एक सिस्टम नहीं है बल्कि एक साजिश के तहत की गई धोखाघड़ी है।
ज्ञात हो कि गत साल सरकार ने बताया था कि सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआइओ) सहारा ग्रुप की कंपनी सहारा क्यू शॉप यूनिक प्रोडक्ट्स रेंज लि. की जांच कर रहा है। यह जाँच कंपनी के खिलाफ 744 शिकायतें मिलने के बाद शुरू की गई थी।
जगजाहिर है कि सहारा ग्रुप पहले से कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी की जांच का सामना कर रहा है। सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लि. (एसआइआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लि. (एसएचआइसीएल) द्वारा जनता से पैसा जुटाने के मामलों में जांच की जा रही है। दरअसल सहारा क्यू के खिलाफ शिकायतें मिलने के बारे में लोक सभा में यह मुद्दा उठा था, तब तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री पोन राधाकृष्णन ने यह जानकारी दी।
उन्होंने लिखित जवाब में बताया था कि मुंबई रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के एमसीए21 आंकड़ों के मुताबिक इस कंपनी के खिलाफ कुल 744 शिकायतें मिलीं। शिकायतों और कंपनी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच करने के लिए आरओसी ने विस्तृत जांच करने की सिफारिश की। इसके बाद कंपनी मामलों के मंत्रालय ने 31 अक्टूबर 2018 को एसएफआइओ द्वारा मामले की जांच कराने का आदेश जारी किया था पर आज की स्थिति यह है कि निवेशक और एजेंट पैसों के लिए सड़कों पर हैं।
लेखक चरण सिंह राजपूत ट्रेड यूनियन लीडर हैं. सहारा समूह में कार्य कर चुके हैं. इन दिनों बतौर सोशल एक्टिविस्ट वे विभिन्न मुद्दों पर बेबाक तरीके से आवाज उठाते रहते हैं. चरण से संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.
M.S.Joshi
August 17, 2019 at 8:44 pm
पहली बात तो यह लेख सहारा से निष्कासित किसी व्यक्ति द्वारा वैमनस्यता की भावना से लिखा प्रतीत होता है और दूसरी बात इसे लिखने वाले को ये समझ में अब तक नहीं आया कि सहारा पर सेबी की कार्यवाही से न केवल निवेशक परेशान हुए बल्कि लाखों कार्यकर्ताओं के परिवार भी रोजी रोटी के संकट से जूझ रहे हैं..ऐसे बदले की भावना से लिखने वालों की वजह से ये स्थिति है..अच्छा होता अगर सेबी के खिलाफ लिखा होता कि क्यों सेबी द्वारा सहारा के हजारों करोड़ दबाकर सुप्रीम कोर्ट को ही गुमराह किया गया है।
charan singh
August 17, 2019 at 9:56 pm
sc kya koi bachha hai jise sebi ne guamrah kar diya, sahara kaise kaise karmchariyon or niveshkon ka bevkoof banaya jata hai kya aapko malum nahi hain, jail se chhudane ke naam par jo patr sahara mukhiya ne likha tha, kitna paisa aaya tha, khan hai, kargil ke naam sahara welfare ke naam liya gaya paisa kahan, hai
Piyush
August 17, 2019 at 11:53 pm
to akhir sahara aur subrata rai q shop ke bare me khul kar kyun nahi bolte hai aur q shop conversion ka dabab kun hai niveshako par. wo aage aaker kahe ki conversion nahi karna chahte to mat karo hamne jo commitment ki hai use pura karenge. khulkar bolo chori to nahi ki hai na.
Hadiya prabhu
August 18, 2019 at 1:41 pm
Rratit hota hain ki aap ko yeh lekh esiliye pasand nahi aaya ki aap Sahara se jude huve hain… Vese SEBI apna kam kare gi lekin aaj bhi sahara q shop ka business Re –investment karva k chalu hain to maturity ka bhugtan karneme kya harj hain…
Karanjeet
August 17, 2019 at 10:40 pm
मेरे रीयल स्टेट के बान्ड सहारा क्यु शोप मे कन्वर्ट करा लिये और 2018 मे भी भुगतान नही किया।अब अम्बार्गो का झूठा बहाना बना रहा है सहारा मालिक सुभरत राय ।FIR दर्ज कराने पर ब्याज सहित पैसा लौटाने झूठे वादे करके फिर किसी अन्य स्कीम मे क्नवर्ट कराने का दबाव बना रहा है ।
कुमार निश्चित
August 18, 2019 at 4:17 am
सहारा की पहचान क्या है? वह अपने किस उत्पाद की वजह से देश मे जानी जाती है, जरा बताने का कष्ट करें।
सहारा Q Shop के जरिये न सिर्फ निवेशकों का पैसा ठिकाने लगाया गया, बल्कि Q Shop के जरिये एक और घोटाला किया गया। इस घोटाले का शिकार सहारा के एजेंट भी हुए। क्यू शॉप खुलने के तीन से 6 महीने के भीतर बंद हो गई। हालांकि सहारा ने एक दिन में सबसे ज्यादा दुकानें खोलने का दावा भी गिनिस बुक में किया, मगर एक हफ्ते में सबसे ज्यादा दुकानें बंद होने का रिकॉर्ड बना लिया।
वी कुमार
August 18, 2019 at 8:34 am
अब स्थिति यह है कि सहारा Q-शॉप खुद को दिवालिया घोषित करने में लग गयी है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि सहारा Q-शॉप” में पैसा है ही कहाँ जो उसे दिवालिया घोषित किया जायेगा। मतलब निवेशकों का पैसा हड़पने का पूरा षड्यंत्र सहारा प्रबंधन ने रच दिया है। यदि सहारा के इस खेल को कोर्ट ने पहले ही समझ लिया होता और किसी एजेंसी से इसकी जांच करा ली होती तो आज निवेशकों और कर्मचारियों का पैसा सुरक्षित होता।
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दूसरी तरफ लेखक लिखता है
सहारा Q-शॉप में जो जमाकर्ताओं के पैसे थे, उसे फिर एक नयी कम्पनी खोलकर उसमें “कन्वर्ट” कर दिया गया।
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जब पैसा कन्वर्ट कर दिया गया तो पैसा डूबेगा कैसे? जमाकर्ता का पैसा जब Q-शाॅप है नहीं ।
राजशेखर
August 18, 2019 at 11:54 am
सेबी के मिथ्यावर्णन के कारण सहारा ग्रुप संकट के दौर में था और आज उभरने के प्रयास में। आज भी साजिशन ग्रुप को परेशान किया जा रहा हैं अगर गलत था तो पहले उनको पकड़ो जिन्होंने कंपनी को काम का प्रमाणपत्र दिया। कोर्ट को कंपनी के सील खातों को खोल देना चाहिए जिससे कार्य सुचारू हो सके। परेशानी हैं नही पैदा की जा रही है
M.S.Joshi
August 19, 2019 at 10:59 am
जो लोग सेबी की पैरवी कर रहे हैं या सहारा को दोष दे रहे हैं उन्हें इतना भी क्यों समझ में नहीं आ रहा है कि सेबी की कार्यवाही किस आधार पर नैतिक है जिसकी वजह से सारी मुश्किलें खड़ी हुईं।सहारा ने बॉन्ड्स 2008 में जारी किए और सेबी ने कार्यवाही की शुरुआत 2011 से की क्या ये उचित था.?.मान लो सहारा ने ही गलती की तो सेबी को जुर्माना करना था..रहा सवाल सुप्रीम कोर्ट का तो वहाँ दलीलों के आधार पर निर्णय होते हैं..सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सहारा के निवेशक फर्जी हैं..क्या ये सेबी के द्वारा दी गई झूठी दलील नहीं थी..वैसे भी सेबी के उद्देश्य क्या रहता है इतिहास बताने की जरुरत नहीं।
M.S.Joshi
August 19, 2019 at 11:07 am
जो लोग सेबी की पैरवी कर रहे हैं या सहारा को दोष दे रहे हैं उन्हें इतना भी क्यों समझ में नहीं आ रहा है कि सेबी की कार्यवाही किस आधार पर नैतिक है जिसकी वजह से सारी मुश्किलें खड़ी हुईं।सहारा ने बॉन्ड्स 2008 में जारी किए और सेबी ने कार्यवाही की शुरुआत 2011 से की क्या ये उचित था.?.मान लो सहारा ने ही गलती की तो सेबी को जुर्माना करना था..रहा सवाल सुप्रीम कोर्ट का तो वहाँ दलीलों के आधार पर निर्णय होते हैं..सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सहारा के निवेशक फर्जी हैं..क्या ये सेबी के द्वारा दी गई झूठी दलील नहीं थी..वैसे भी सेबी का उद्देश्य क्या रहता है इतिहास दोहराने की जरुरत नहीं। जो लोग Q-Shop का पैसा हड़पने की बात कर रहे हैं पहले ये बता दें कि Q-Shop का भी काफी भुगतान (वास्तविक भुगतान conversion नहीं) सहारा के द्वारा विगत 2013 से क्यों किया गया..?
Rupesh kumar
February 13, 2020 at 9:44 pm
सरकार को चाहिए था इस केस को जल्द से जल्द ख़त्म करना चाहिए ताकि जितने निवेशकर्ता और कार्यकर्त्ता भूके मरने को विवश हैं लोग आत्महत्या कर रहे हैं घर द्वार छोड़कर भटक रहे हैं फिर भी सात बरसों से लगभग खिंच रहा है
Avadhesh Kumar Pandey
March 10, 2021 at 1:18 am
मैंने 50 हजार रुपया जमा किया था एजेंट ने 3 वर्ष बाद उसे सहारा Q शॉप में कन्वर्ट करा दिया। वर्ष 2009 से आज 2021 इस जमा धन को 12 वर्ष हो गये। मुझे सहारा पर पूरा विस्वास है पर सहारा श्री को अपने ग्राहकों का ध्यान भी तो रखना चाहिये। कितनी भी कोई भी प्रॉपर्टी बेंच दीजिये सहारा श्री बहुत मुश्किल से इज्जत बनती है आदमी की। आपने जो भी मुकाम हासिल किया वह प्रेम और विस्वास की दम पर। पर अब जब बच्चे शादी योग्य, धन्धा भी करना होगा। दिल की व्यथा लिख रहा हूँ। आप शीघ्रता से सभी इन्वेस्टर का रुपया वापिस दिलवाए।
सहारा प्रणाम
Sandeep
July 26, 2021 at 9:54 am
Sahara q shops comes under MCA. Why MCA has no any action for refund public money.
Bhupendra Kumar Sahu
October 19, 2021 at 3:18 pm
सारा का सभी संपित्त बेचकर सरकार निवेशक का पैसा तत्काल लौटाए