अखबारों ने इस आरोप को महत्व नहीं दिया पर इंडियन एक्सप्रेस ने मोदी जी के ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई’ के प्रचार की हवा निकाल दी है। इस खबर से आप नेताओं के आरोप को ताकत मिलती है।
संजय कुमार सिंह
आज के कई अखबारों में संजय सिंह को जमानत मिलने की खबर प्रमुखता से है। लेकिन आम आदमी पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें भाजपा में शामिल होकर अपना सियासी करियर बचाने की चेतावनी दी गई है। इस आधार पर यह शंका जताई गई है कि अगला नंबर उनका है और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जायेगा। भाजपा ने इसे गलत बताया है और साबित करने या कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। संयोग से आज ही इंडियन एक्सप्रेस की खबर से साबित होता है कि भाजपा ऐसा करती है और भ्रष्टाचार के आरोप का सामना कर रहे 25 में से 23 नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इनमें से तीन मामले बंद किये जा चुके हैं 20 अभी खुले हैं। वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन ने इसपर ट्वीट किया है, ‘इंडियन एक्सप्रेस ने आज बीजेपी की वाशिंग मशीन का सर्विस कार्ड छाप दिया। कौन कौन धुले, पार्टियां बदली, कैसे सरकारें गिराई। ये तो अच्छा हुआ कि मोदी जी पहले ही भ्रष्टाचार को मुद्दा बना चुके हैं। तमाम नेताओं में सबसे मूर्ख हेमंत बिस्वा शर्मा ही साबित हो रहा है। इसका केस बंद नहीं हुआ – वाशिंग मशीन में बने रहने के लिये इसे रोज़ बयान देने पड़ते हैं।“
संजय सिंह को जमानत मिलने की खबर पहले पन्ने पर तीन से पांच कॉलम में छपी है। सबको पता था कि मामले में दम नहीं है, देर सबेर जमानत होगी ही और देरी है तो इसलिए कि मामला पीएमएलए यानी प्रीवेंशन ऑफ मनी लांडरिंग ऐक्ट का है। यानी काले धन को सफेद बनाने बनाने का अपराध। जब धन बरामद ही नहीं हुआ, बैंकों में कोई ट्रेल नहीं है तो मनी लांडरिंग कैसे हुई यह अदालत को देखना है, देखेगा। पर अभी यह प्रचार किया जा रहा है कि भ्रष्टाचार रोकने की कार्रवाई चल रही है। पीएमएलए कानून ही ऐसा है कि जमानत मिलना मुश्किल है तो उसके तहत मामला बनाकर विपक्षी नेताओं और अपने विरोधियों को सरकार जेल में बंद करती जाये और कहे कि भ्रष्टाचारी जेल में हैं तथा आरोप में दम नहीं होता तो जमानत क्यों नहीं मिलती? यह सीधे-सीधे धोखाधड़ी है, मतदाताओं से झूठ बोलना है पर वह अलग मुद्दा है। आज मु्दा यह है कि जमानत मिली तो कैसे?
मुझे लगता है कि आज जमानत होने से बड़ी खबर है सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी। पर ज्यादातर अखबारों ने दूसरी सभी बातों को महत्व दिया है लेकिन उस मूल बात को गोल कर गये हैं और यह वैसे ही है जैसे पतंजलि और बाबा राम देव के मामले में सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई। यह खबर आज पहले पन्ने पर कम है। उसपर आने से पहले संजय सिंह, पीएमएलए और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की नौटकीं की बात कर लूं। अमर उजाला में आज यह खबर लीड है। पांच कॉलम की इस लीड का शीर्षक है, संजय को छह महीने बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत, ईडी ने नहीं किया विरोध। उपशीर्षक है : जांच एजेंसी ने कहा, अब और हिरासत में रखने की जरूरत नहीं। मुझे लगता है कि ऐसा कहने वालों से पूछा जाना चाहिये और बताने वाले को यह भी बताना चाहिये कि छह महीने हिरासत में रखकर मिला क्या, क्यों रखा गया और छह महीने में क्या बदला कि अब हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है। यही पत्रकारिता है पर अब ऐसी पत्रकारिता होती नहीं है इसलिए याद दिला दिया।
इस खबर के साथ दूसरी खबरें और अन्य हाइलाईट किये हुए अंश हैं, 1) यह आदेश दूसरों के लिए नजीर नहीं है 2) पीठ ने कहा, मामले में कोई पैसा बरामद नहीं हुआ 3) भाजपा में शामिल होने का ऑफर था (आतिशी का दावा) 4) झूठ और आप का चोली दामन का साथ (अनुराग ठाकुर का आरोप) 5) ईडी ने फिर कहा – केजरीवाल प्रमुख साजिशकर्ता। कहने की जरूरत नहीं है कि अभी तक कोई सबूत नहीं है। ईडी जो कह रहा है वह भी बिना सबूत के है या सबूत की बात नहीं कर रहा है। पूरा मामला राजनीतिक लाभ के लिए बनाया गया हो सकता है और अनुराग ठाकुर का बयान, अगर वे सच बोल रहे हैं तब भी इस स्थिति का लाभ लेने के लिए है। और अंतिम बात, जबतक कोई अपराधी साबित नहीं हुआ ईडी के कहने भर से मान लिया जाये या इसलिए कि कोई प्रधानमंत्री या मंत्री कह रहा है। अगर प्रधानमंत्री के कहने से ही कोई अपराधी हो जाता तो पूरी न्याय व्यवस्था की क्या जरूरत थी।
क्या बुलडोजर न्याय ही चलेगा? और उसका क्या जिसके वोटर अपने नेता पर ज्यादा भरोसा करते हैं। अफवाह, फैलाने, झूठ बोलने, बदनाम करने और खरीदने की तमाम कोशिशों के बावजूद वह और उसके साथी अपनी बात पर अपने काम पर डटे हुए हैं। ऐसे में अमर उजाला ने बोल्ड में छापा है, “कोर्ट ने संजय सिंह को निर्देश दिये कि जमानत के दौरान वह इस मामले में अपनी भूमिका या दिल्ली शराब घोटाले से जुड़ी किसी भी चीज के बारे में टिप्पणी नहीं करेंगे।“ यह एक बुलेट प्वाइंट है और यह आदेश दूसरों के लिए नजीर नहीं शीर्षक के तहत है। इसी के साथ यह भी छपा है, पीठ ने कहा कोई पैसा बरामद नहीं हुआ। यह अलग रंग से हाइलाइट किया हुआ है। इसके अनुसार : जस्टिस खन्ना ने कहा, आपने उन्हें छह महीने से हिरासत में रखा है। सरकारी गवाह दिनेश अरोड़ा ने शुरुआत में उनका नाम नहीं लिया, बाद में लिया। तथ्य है कि कोई पैसा बरामद नहीं हुआ। ध्यान रखें कि यदि हम जमानत में उनके (सिंह) के पक्ष में जाते हैं तो पीएमएलए की धारा 45 के तहत यह मानना होगा कि उन्होंने अपराध नहीं किया है। इसका ट्रायल पर असर हो सकता है।
ईडी ही भाजपा है, भाजपा ही ईडी है
मामला यह है कि इसके बाद ईडी ने जमानत का विरोध नहीं किया। आप समझ सकते हैं कि इससे दूसरे मामलों में फायदा मिलेगा और अदालत ने यह गुंजाइश छोड़ी है कि मामला सही हो तो ईडी की जांच बाधित नहीं हो। इसलिए सभी आदेशों का संदर्भ समझा जाना चाहिये और खबर वैसे ही दी जानी चाहिये। कुल मिलाकर, मेरा कहना है कि इस मामले में साबित हो चुका है कि सबूत नहीं है मामले में दम नहीं है। फिर भी सरकार और भाजपा का अपना प्रचार ही नहीं, विरोधी को फंसाने- बदनाम करने की कार्रवाई भी चल रही है। अदालत ने अपना काम किया, ईडी को बताकर किया और अगर उसके आरोप सही हों तो सबूत ढूंढ़ने के लिए मौका और समय भी दिया है। पीड़ित के साथ न्याय भी किया है। इससे लगता है कि और भी पीड़ितों के साथ होगा। पर अखबारों की क्या मजबूरी है और उनका काम तो खबर देना है वे यह खबर क्यों नहीं दे रहे हैं। जमानत मिल गई से बड़ी खबरें क्यों नजरअंदाज की जा रही हैं और न सिर्फ लोगों को बदनाम किया जा रहा है बल्कि सरकार को ऐसा करने में सहयोग भी किया जा रहा है।
टेलीविजन की दुनिया अलग है पर चुनाव प्रचार के लिए जरूरी। सब होने के बावजूद भाजपा नेता कह रहे हैं कि जमानत मिलने से ऐसे खुशी मनाई जा रही है जैसे बरी हो गये। जबकि सच्चाई यह है कि मामला अभी चलेगा। आप ऊपर पढ़ चुके हैं कि मामला कैसे चलेगा। यही नहीं, आज खबर है कि खुशी पूरी तब होगी जब दूसरे नेता भी रिहा हो जायेंगे। यही नहीं, सोशल मीडिया पर चर्चा है कि ईडी की वकीलों में भाजपा उम्मीवार बांसुरी स्वराज का नाम था। उसे आदेश से गलत कहकर हटवाया जा चुका है पर आतिशी का कहना है कि बांसुरी स्वराज एक बार नहीं; बल्कि लगातार, बार बार ईडी के पक्ष से पेश होती आई है। केंद्र सरकार की तथाकथित “स्वतंत्र” एजेंसी के लिए अब भाजपा के नेता कोर्ट में तर्क रखते है। एक आदेश बदलने से सच नहीं छुपता। और सब जानते है, ईडी ही भाजपा है और भाजपा ही ईडी है।
प्रधानमंत्री का तथाकथित पलटवार
विपक्षी दल कांग्रेस और नेताओं को बदनाम करके लिए प्रधानमंत्री के आरोप को अमर उजाला ने सात कॉलम में छापा गया है। मास्ट हेड से नीचे, लीड के ऊपर सात कॉलम का, लगभग बैनर शीर्षक है, “दस साल सत्ता से बाहर रहे तो देश में आग लगने की करने लगे बात : मोदी”। उपशीर्षक है, प्रधानमंत्री का कांग्रेस पर निशाना, कहा – लोकतंत्र में भरोसा नहीं। रुद्रपुर (ऊधमसिंह नगर) / कोटपुतली डेटलाइन से इस खबर का पहला पैराग्राफ इस प्रकार है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि 60 साल तक देश पर राज करने वाले 10 साल सत्ता से बाहर क्या चले गये अब देश में आग लगने की बात कर रहे हैं। उनका इशारा राहुल के उस बयान की ओर था कि अगर तीसरी बार भाजपा की सरकार बनी तो देश में आग लग जायेगी।
राहुल गांधी ने इतवार को दिल्ली में हुई रैली में यह बात कही थी। इससे पहले मुंबई की रैली में राहुल गांधी ने शक्ति की बात की थी तो नरेन्द्र मोदी ने उसे नारी शक्ति से जोड़ दिया था और जाहिर है इससे उनकी महानता नहीं दिखी होगी। आलोचनाओं से परेशान होकर वे मुद्दे की तलाश करते नजर आते हैं और इस फेर में 1974 का कच्चातिवु का मामला भी ले आये हैं और कांग्रेस के खिलाफ उसे भी प्रचार दिया जा रहा है पर नरेन्द्र मोदी इमरजेंसी के बहाने कांग्रेस को लोकतंत्र विरोधी कह रहे हैं और उन्हें शायद पता ही नहीं है कि उनके शासन काल को अघोषित इमरजेंसी कहा जा रहा है। पर वह उलग मुद्दा है। राहुल गांधी ने अपनी रैली में मैच फिक्सिंग की बात की थी और उसी रैली में चुनाव के लिए लेवल प्लेइंग फील्ड की भी बात की गई थी। अमर उजाला का ही शीर्षक था, वे फिक्सिंग कर रहे, खाते फ्रीज किये, दो खिलाड़ियों को जेल भेजा। उसी दिन अमर उजाला में नरेन्द्र मोदी की रैली की खबर का शीर्षक था, मुझ पर हमला करने से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं रुकेगी। ऊपर बता चुका हूं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का सच क्या है। अरविन्द केजरीवाल के बयान की कल की प्रस्तुति और कल की खबर ‘आज बड़ा खुलासा करेंगी आतिशी’ के बाद आज छोटी सी खबर है, “भाजपा में शामिल होने का ऑफर था”।
प्रधानमंत्री के दावे और देश की राजनीति उसका भविष्य और झूठ के प्रचार के बीच इस दावे का महत्व आप समझ सकते हैं। अमर उजाला में यह खबर आतिशी की फोटो के साथ आठ लाइनों में है और शीर्षक में आतिशी नहीं है। दूसरी ओर, इंडियन एक्सप्रेस ने आज ही अपनी खोजी रिपोर्ट छापी है। इस खबर के अनुसार, 2014 से अब तक भ्रष्टाचार के मामलों का सामना कर रहे 25 विपक्षी नेता दल बदलकर भाजपा में शामिल हुए हैं। इनमें से 23 को राहत मिली है। तीन मामले बंद किये जा चुके हैं, 20 को रोक दिया गया है। अफसर कहते हैं, जांच जारी है, आवश्यक हुआ तो कार्रवाई करेंगे। भाजपा में शामिल होने वाले भ्रष्टाचार के आरोपी तमाम दलों के हैं। सभी भ्रष्टाचारियों के लिए भाजपा के दरवाजे खुले होने के बावजूद प्रधानमंत्री का दावा और भाजपा के प्रचार सुनिये-देखिये। अखबारों में दी जा रही जगह नापिये।
कहने की जरूरत नहीं है कि भाजपा पर लोगों को डराने, ब्लैकमेल करने और दल बदलने के लिए दबाव बनाने के आरोप पहले भी लगे हैं। अखबारों को इनका फॉलो अप करना चाहिये। अब यह काम नहीं के बराबर होता है। ऐसे में इंडियन एक्सप्रेस ऐसा करने वाला दुर्लभ अखबार है। ज्यादातर राजा का बाजा बजाने में लगे हुए हैं और नरेन्द्र मोदी आरटीआई कानून देने वाली कांग्रेस को लोकतंत्र विरोधी कहते हैं और खुद पीएम केयर्स में सीएसआर का पैसा लेकर उसे आरटीआई से मुक्त बताते हैं। इलेक्टोरल बांड को असंवैधानिक करार दिये जाने के बावजूद उसका बचाव करते हैं और दूसरों को भ्रष्ट कहते हैं। बेशक यह विचारधारा का मामला है जिसकी चर्चा राहुल गांधी कहते हैं। नरेन्द्र मोदी की विचारधारा कांग्रेस (विपक्ष) मुक्त भारत की है और राहुल गांधी की लोकतांत्रिक तरीके से लेवल प्लेइंग फील्ड में चुनाव जीतने या हराने की है। राहुल गांधी अपनी बात ज्यादा करते हैं विपक्ष की आलोचना मजबूरी में करते हैं। नरेन्द्र मोदी झूठी आलोचना और अपनी झूठी प्रशंसा भी करते हैं। आम लोगों को समझ नहीं आये, पर संपादकों को भी समझ में नहीं आता है और वे उन्हीं की तरह ‘देशभक्ति’ या पूरे परिवार समूह की सेवा कर रहे हैं।
पतंजलि और बाबा रामदेव का मामला
आज की दूसरी बड़ी खबर पतंजलि और बाबा रामदेव से संबंधित है। यह खबर अमर उजाला, हिन्दुस्तान टाइम्स, द हिन्दू, द टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर है लेकिन इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया और नवोदय टाइम्स में पहले पन्ने पर नहीं है। आइये देखें खबर क्या है। अमर उजाला में शीर्षक है, सुप्रीम कोर्ट ने झूठी गवाही पर दी चेतावनी, लगाई फटकार, कहा, भ्रामक विज्ञापन में रामदेव-बालकृष्ण की माफी दिखावा, नया हलफनामा दें। इसके साथ की दो खबरों में एक का शीर्षक है, पीठ ने कहा, आपने कोर्ट में झूठ बोला और केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल। खबर तो ठीक है पर मुद्दा यह है कि भ्रामक विज्ञापन अखबारों ने ही छापे थे और इसके लिए सरकार की चुप्पी पर सवाल है। तो इसमें खबर क्या है – सरकार की चुप्पी पर सवाल या अखबारों ने भ्रामक विज्ञापन क्यों छापे? खासकर तब जब कांग्रेस का आरोप है कि अखबारों ने उसका विज्ञापन छापने से मना कर दिया। रामदेव और पतंजलि के विज्ञापन छापने से समय अखबारों का विवेक कहां चला गया था जो कांग्रेस का विज्ञापन छापने के समय कैसे जाग गया था या जाग जाता है।
द हिन्दू में इस खबर का शीर्षक है, “सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, केंद्र ने पतंजलि के ‘कोविड क्योर दावा के प्रति आंखें क्यों मूंदे रखा”। द टेलीग्राफ में इस खबर का शीर्षक है, पतंजलि के कोविड दावे के प्रति सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की खबर ली। पूरी खबर यह है कि अदालत ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण से कहा है कि उनका शपथपत्र विश्वसनीय नहीं है और वे बच नहीं सकते। पीठ ने कहा, माफ कीजियेगा, हम इतने उदार नहीं हैं। पेरी महेश्वर ने तीन कॉलम में अंग्रेजी में छपी एक खबर की कतरन के साथ लिखा है, नीम-हकीम (धूर्त) ने ऐसा कहा और सरकार आंख मूंदे रही। इस खबर का शीर्षक हिन्दी में कुछ इस तरह होगा, “नाक में सरसो तेल डालिये, कोरोना पेट में चला जायेगा, एसिड में मर जायेगा : रामदेव।” आप जानते हैं कि दुनिया भर में आई महामारी की स्थिति में सरकार ने राहत के लिए पीएमकेयर्स के अलावा लगभग कुछ नहीं किया-दिया। दूसरी ओर, ऐसे विज्ञापन और खबरें छपने दी।
मुझे लगता है कि कम से कम अब इस मामले में उन सरकारी एजेंसियों, अफसरों, संस्थानों की भी खबर ली जानी चाहिये जिनका काम ऐसे विज्ञापनों को रोकना है। वे प्रचारक कंपनी के हों या विज्ञापन प्रसारित करने वाले संस्थान के। बाबा के खिलाफ कार्रवाई से उन संस्थानों के सुधरने की उम्मीद नहीं है जिनपर सरकार ने नियंत्रण कर लिया है। भविष्य के लिए इसे ठीक और दुरुस्त किया जाना चाहिये। सरकार बदलने के बाद (अगर बदलती है) तो राहुल गांधी की गारंटी में कवर किया जाना चाहिये। मोदी की गारंटी में तो ऐसे मुद्दे हैं ही नहीं। इस हालत में प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि 10 साल ट्रेलर चला है, फिल्म अभी बाकी है। अगर आपने ट्रेलर नहीं देखा या फिल्म का अंदाजा आपको नहीं है तो अखबारों का काम है कि आपको बतायें कि टेलर अघोषित इमरजेंसी थी फिल्म क्या हो सकती है। इसी को राहुल गांधी ने कहा है कि देश में आग लग जायेगी तो प्रधानमंत्री उसके लिए क्या कह रहे हैं।
ईडी के बारे में खबर यह भी है कि आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया है कि राज्य सभा सदस्य राघव चड्ढा और विधायक दुर्गेश पाठक ईडी के अगले शिकार हो सकते हैं। दोनों मंत्रियों ने दिल्ली में अलग प्रेस कांफ्रेंस करके यह आरोप लगाया है और कहा है कि भाजपा को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आप बिखर जायेगा और नैतिक रूप से टूट जायेगा पर ऐसा नहीं हुआ। भाजपा और उसके समर्थकों की परेशानी तथा कुछ भी बोलने और करने का कारण मुझे यही लगता है कि चीजे उम्मीद के अनुसार नहीं चल रही हैं। कुछ दिन में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।