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निचली अदालतों में जजों के वेतन-पेंशन पर सख्त हुआ SC, दिया आखिरी मौका

CJI की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूरे देश की जिला अदालतों में वर्तमान व सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के वेतन और भत्तों में संशोधन को लेकर सख्त रूख अपनाया है. अदालत ने पेंशन भुगतान मामले में भी सख्ती दिखाई है. सुप्रीम कोर्ट ने SNJPC यानी दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार निचली अदालत के न्यायाधीशों के वेतन बकाया और अन्य बकाया राशि का भुगतान करने के लिए दोषी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आखिरी मौका दिया. 2015 की इस याचिका में गौरव बनर्जी, मयूरी रघुवंशी और व्योम रघुवंशी जैसे तेज तर्रार वकीलों ने काबिलेतारीफ संघर्ष किया है.

पीठ ने आदेश दिया है कि ऐसी स्थिति में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट मे पेश होना पड़ेगा. कोर्ट ने दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार न्यायिक अधिकारियों के लिए संशोधित वेतन और बढ़ी हुई पेंशन पर पहले दिए गए आदेशों का पालन करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अंतिम अवसर दिया है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हमारे आदेश के बावजूद कई राज्यों ने अदालत के निर्देशों का पूरी तरह या आंशिक रूप से पालन नहीं किया है. इस वजह से उन सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव अवमानना के दायरे में हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें हमारे आदेश के अनुपालन के लिए 8 December तक का अंतिम अवसर दिया जाता है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि हमारे आदेश के अनुपालन का मतलब बकाया रकम वास्तव में न्यायिक अधिकारियों के सैलरी खातों में जमा होना है, न कि सिर्फ आदेश जारी करना या कोई और बहाना.

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क्या है पूरा मामला?

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के बकाया वेतन के भुगतान के संबंध में पहले के निर्देशों के मुताबिक उनका अनुपालन 30 जुलाई 2023 तक पूरी तरह से प्रभावी होना था. रिटायर्ड न्यायिक अधिकारियों के पेंशन की दूसरी किस्त 31 अक्टूबर तक उनके खातों में जमा की जानी थी. लेकिन कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा आंशिक या पूर्ण रूप से इसका पालन नहीं किया गया.

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इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद निचली अदालतों के जजों के बढ़े हुए वेतन और उनके भत्तों के भुगतान पर राज्य सरकारों द्वारा अमल नहीं किए जाने की वजह से सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई थी. इनमें निचली अदालतों के वेतनमान में संशोधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2022 के फैसले पर अनुपालन की गुहार भी लगाई गई है.

ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन बनाम भारत संघ और अन्य डब्ल्यू.पी के शीर्षक से लड़ी इस लड़ाई की याचिका 2015 में लगाई गई थी. जिसकी संख्या 643 और याचिकाकर्ता अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ के प्रतिनिधित्व में वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव बनर्जी, मयूरी रघुवंशी और व्योम रघुवंशी जैसे प्रतिभासम्पन्न अधिवक्ताओं ने ऑन रिकॉर्ड पीठ को फेस किया.

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1 Comment

1 Comment

  1. पी सी रथ

    November 24, 2023 at 11:02 pm

    ऐसे में CJI मजीठिया वेज बोर्ड के बकाया वेतन के लिए 8 -10 वर्षो से कोर्ट में चक्कर लगा रहे पत्रकारों के मामले में कुछ आदेश फिर से जारी क्यों नही करता जबकि उसके 2014 और 2018 के आदेशों का मीडिया मालिक और श्रम अदालतें, हाईकोर्ट मख़ौल उड़ाते आ रहे हैं

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