लखनऊ। अभी कुछ दिनों पूर्व ही बीटीसी-2014 के सत्र में ट्रेनिंग हेतु विद्यार्थियों ने कॉउंसलिंग कराया था। जिन बच्चों को लखनऊ डाइट मिला उनका तो ठीक है मगर जिन बच्चों को लखनऊ के 31 प्राइवेट कॉलेज मिले हैं। वो बच्चे अपने नसीब पर रो रहे हैं। बच्चों का आरोप है की उन्होंने निर्धारित फीस (41000/- इकतालीस हजार रूपये) पहले ही डिमाण्ड ड्राफ्ट के रूप में लखनऊ डाइट निशातगंज में जमा करा दिया है।
इसके वावजूद जब वो आबंटित कॉलेज पर अपने नामांकन हेतु डाइट से प्राप्त अल्लोटमेंट लैटर लेकर वहाँ जा रहे हैं तो कॉलेज वाले बिल्डिंग, लैब आदि के नाम पर मनमानी डोनेशन 20 से 35 हजार प्रति वर्ष के हिसाब से अलग से मांग रहे हैं।
कुछ कॉलेजों ने तो फोन करके विद्यार्धियों को रिश्वत का पैसा साथ लेकर ही नामांकन कराने आने के लिए आदेश दे दिया है। लखनऊ के एक कॉलेज की रिश्वत की मांग करने की रिकॉर्डिंग भी मेरे पास उपलब्ध है। लगभग सभी कॉलेज ऐसा ही कर रहे हैं। बच्चों का आरोप है की इस मामले में डाइट लखनऊ के अधिकारी भी उनकी कोई मदद नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनका कहना है की सम्बंधित डायरेक्टर और सचिव दोनों ही कॉलेज वालों से मिले हुए हैं।
डाइट पर चक्कर काटती एक लड़की के अविभावक ने मुझे बताया की पहले ही बिटिया के नामांकन हेतु 41000 रूपये जुटाने में अपने बीबी के गहने बेच चूका हूँ। अब कॉलेज वाले 21 हजार माँग रहे हैं। ये पैसे कहाँ से लाऊँ समझ नहीं आ रहा है की अब क्या बचूँ। क्या उत्तर प्रदेश सरकार ऐसे ही बेटियों और छात्रों को शिक्षित करना चाहती है की गरीब अविभावक एक बच्चे को पढ़ाने में पूरा लूटकर सब कुछ बेचने पर मज़बूर हो जाए? अभी तक यह न्यूज़ मीडिया में क्यों नहीं दिखाई दे रही है यह भी अपने आप में एक प्रश्न चिन्ह बना हुआ है।
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लखनऊ से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.