उमेश चतुर्वेदी-
तीस साल पहले.. भारतीय जनसंचार संस्थान में दाखिला पाना बेहद मुश्किल था..पहले लिखित परीक्षा..फिर साक्षात्कार..
साक्षात्कार लेने वाले कोई मामूली लोग नहीं होते थे..संस्थान का एक प्रोफेसर और उसके साथ उस दौर के धुरंधर और नामचीन पत्रकार..
दो या तीन जुलाई 1993 का दिन ..अंग्रेजी पत्रकारिता की लिखित प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद उड़ीसा का एक छात्र इंटरव्यू देने पहुंचा था..इंटरव्यू बोर्ड में शामिल धुरंधर पत्रकार कुलदीप नैय्यर को जब पता चला कि सामने वाला छात्र सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद भारतीय जनसंचार संस्थान पहुंचा है..तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ था..उन्हें उम्मीद नहीं थी कि वह छात्र पत्रकारिता की पढ़ाई बीच में नहीं छोड़ेगा..लेकिन उस छात्र ने ना सिर्फ पढ़ाई पूरी की..बल्कि उन दिनों उभर रही कंप्यूटर विषय केंद्रित पत्रकारिता का बादशाह बना..
उड़ीसा से आए श्यामानुज दास ने कोर्स पूरा करते हुए डाटा एंड क्वेस्ट पत्रिका से करियर की शुरुआत की और देखते ही देखते विषय विशेष पत्रकारिता के नामी शख्स बन गए..
श्यामानुज हमारे बैच के थे..बस अंतर यह था कि वे अंग्रेजी पत्रकारिता के छात्र रहे, जबकि हम हिंदी पत्रकारिता के.. शुरूआती दिनों में वे अपने कुछ दोस्तों के साथ कटवारिया में रहते थे और हम भी.. करियर शुरू करने के बाद भी रविवार-शनिवार को मृदुभाषी श्यामानुज से मुलाकात होती रही..कभी-कभी उनसे मजाक में पाखाल भात (उड़िया भोजन) की चर्चा करता तो वे मुस्कुरा उठते..
श्यामानुज से बरसों से मुलाकात नहीं थी..बाद में हमारे बच्चे के एक स्कूली सहपाठी के माता-पिता से संपर्क बढ़ा तो पता चला कि बच्चे के पिता और श्यामानुज इंजीनियरिंग कॉलेज में साथ रहे..उन्हीं के जरिए आज दुखद खबर मिली…श्यामानुज नहीं रहे..हमारे बैच के वे दूसरे सज्जन रहे, जिन्हें भगवान ने जल्दी बुला लिया..ठीक अठारह साल पहले हमारे साथी सुनील त्रिपाठी एक हादसे में चले गए..और अब श्यामानुज..
श्यामानुज के जाने की हृदयद्रावक खबर मिलने के बाद से संस्थान में बिताए कई पल, बस स्टॉप पर मिलने, सब्जी की दुकान पर संयोग से एक साथ सब्जी खरीदने आदि-आदि कई स्मृतियां ताजा हो रही हैं..और गम के साये में धकेल रही हैं..
श्यामानुज.. तुम्हारी आत्मा को शांति मिले..वैसे तुम बहुत धैर्यवान थे..हमेशा मुस्कुराते रहे..मृदुभाषी श्यामानुज, तुम भगवान के पास सदा की तरह मुस्कुरा ही रहे होगे..ये बात और है कि तुम्हारे दोस्तों और परिवार पर गमों का पहा़ड़ टूट पड़ा है.. तुम बहुत याद आओगे..