Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

स्नेहा का अंजना से किया गया व्यवहार घटिया था!

शैलेश कुमार-

मीडिया की गिरती साख की निशानी है स्नेहा दुबे का सीनियर एंकर अंजना ओम कश्यप से किया व्यवहार…

Advertisement. Scroll to continue reading.

नमस्कार दोस्तों,

दिल की बात साझा करना चाहता हूँ आज आपसे। यूनाइटेड नेशन्स में अपने कार्य से देश का मान सम्मान बढ़ाने वाली एक मासूम सी नौजवान डिप्लोमेट स्नेहा दुबे ने पूरे देशवासिओं का दिल जीत लिया। लेकिन जिस प्रकार से उन्होंने देश के नंबर वन चैनल आजतक की सीनियर एंकर अंजना ओम कश्यप से लाइव ब्रॉडकास्ट के दौरान व्यवहार किया वो निहायत ही बेहूदा, नासमझ और एक सभ्य इंसान का तिरस्कार करने वाला था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

संस्कार ये सिखाते हैं कि अगर अंजना ओम कश्यप को उनके रूम तक आने दिया गया तो वो उनके सामने पहले तो खड़ी होती, नमस्कार करती और शालीनता के साथ ये कह कर कैमरे पर बोलकर इंकार करतीं की “माफी चाहती हूं, नियमों के मुताबिक उन्हें मीडिया से बोलने की इजाजत नही है”।

मैं समझता हूँ कि अंजना ओम कश्यप में इतनी समझ है कि वो मौके की नज़ाकत समझती हुए शालीनता के साथ एग्जिट कर जाती।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बहुत लोग “अंजना ओम कश्यप की घोर बेइज़्ज़ती” करके सोशल मीडिया पर clickbait हासिल कर रहे हैं लेकिन मैं समझता हूँ अंजना ओम कश्यप और उस वक़्त स्टूडियो में लाइव कर रही चित्रा त्रिपाठी दोनो देश का मान सम्मान व हितों की ही बात कर रही थीं।

एक मीडिया कर्मी होने के नाते मैं समझता हूँ कि एक एंकर और रिपोर्टर के लिए ये क्षण और प्रतिक्रिया दिखाना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब आप खुद अमेरिका जाकर ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे हो।

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेकिन यहां समस्या क्या है- समस्या बहुत गंभीर है, ये मानसिकता की समस्या है, ये मीडिया की गिरती साख की समस्या है। आज राजनेता, ब्यूरोक्रेट, ज्यूडिशियरी सभी अपनी इज़्ज़त चाहते हैं, लेकिन समय के साथ मीडिया कर्मियों को तुच्छ समझा जाने लगा है।

स्नेहा दुबे तो बस एक चेहरा हैं, उनकी ट्रेनिंग, जिस सिस्टम में वो काम कर रही हैं, समस्या वहां पर है। मेरे मीडिया के सभी दोस्तों, काम ऐसा करो और इस तरह से करो कि लोग आपके काम की इज़्ज़त करें, सर आखों पर बिठायें।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मीडिया की गिरती साख के लिए स्नेह दुबे या कोई और ज़िम्मेदार नही है, मीडिया खुद ज़िम्मेदार है। नहीं तो सरकारें महज़ कलम की नोक पर टिकती हैं।

जयहिंद।

Advertisement. Scroll to continue reading.
4 Comments

4 Comments

  1. Shrikant Asthana

    September 26, 2021 at 7:15 pm

    शैलेश जी, जबरदस्ती का बचाव करना चाहते हैं तो कीजिए, लेकिन क्या रिपोर्टर को यह मालूम नहीं होना चाहिए कि किससे बात की जा सकती है और किससे नहीं? अंजना को यह क्यों मालूम नहीं होना चाहिए कि जिस अधिकारी के कमरे में हो जा रही हैं वह प्रोटोकॉल के तहत उनसे किसी तरह की बात नहीं है सकती? तिस पर यह कहना कि फलां हमारे साथ हैं ! मुख्यत: शब्दों को खास तरह से रखने के माहौल में काम करने वाली स्नेहा उनकी सहमति जताने वाले शब्दों को स्वीकार करके सिस्टम में अपनी फजीहत क्यों करवाती? साफ शब्दों में वह मना भी नहीं कर सकती थी। वैसे उसने अंजना का अपमान भी नहीं किया है।

  2. Shrikant Asthana

    September 26, 2021 at 7:18 pm

    भाषाई दोष मोबाइल की मेहरबानी से हैं। पढ़ने में ठीक कर लें।

  3. जितेन्द्र कुमार

    September 27, 2021 at 5:50 pm

    ऐसा क्या बम गिर गया कि अंजना की बेइज्जती हाे गई, स्नेहा ने देश का मान बढाया है, अंजना को अपने बारे में गलतफहमी है कि प्रधानमंत्री के साथ जाकर बहुत बड़ी पत्रकार बन गई। देश से बड़ा कुछ भी नहीं हैं।

  4. खोजी

    September 29, 2021 at 4:59 pm

    कौन हैं भाई यह शैलेश कुमार, जिन्हें अंजना की मूर्खता का बचाव करना पड़ रहा है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement