सुधीर चौधरी की दंगाई पत्रकारिता पर अदालत, प्रेस परिषद और मीडिया संगठनों को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए

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Krishna Kant : गौहर रजा की नज्में सुनीं. सुधीर चौधरी नामक पत्रकार पर अब तक निजी तौर पर मैंने कुछ नहीं लिखा था. अपनी टीआरपी छाप सनक में ये शख्स उमा खुराना के चीरहरण से लेकर उगाही राष्ट्रवाद तक पहुंचते पहुंचते पागल हो गया है. इसको हाई लेवल सिक्योरिटी की नहीं, अब पागलखाने की जरूरत है. मोदी सरकार को देशहित में यह काम जरूर करना चाहिए. इन भाई साहब ने पहले फर्जी स्टिंग करके एक महिला को वेश्या साबित करने की कोशिश की और इनका चैनल बंद हुआ. फिर इन्होंने रिपोर्ट के बदले उगाही खाने की कोशिश की और जेल की हवा खाकर आए. अब ये मीडिया के नाम पर राष्ट्रवादी दुकान खोलकर बैठ गए हैं. सोने में सुहागा कि इन्हें मोदी सरकार मिल गई है.

ये कवियों शायरों को अफजल प्रेमी गैंग बता रहे हैं. मुझे यकीन है कि इन्होंने अपने जीवन में पहली बार कोई कविता सुनी होगी. इनको कोई बताओ कि सबसे खराब दौर में शासन और सत्ता के खिलाफ कितनी तीखी कविताएं लिखी गई हैं. पाकिस्तान में फ़ैज़ आदि शायरों को जेल काटना पड़ा. हिंदुस्तान में लिखने के लिए लोगों को जेल में सिर्फ अंग्रेजों ने डाला. उसके बाद कुछ एक अपवाद हैं. इनको सत्ता की दलाली की ऐसी आदत लग गई है कि यह चैनल करीब करीब आदमखोर होता जा रहा है. जनता के टैक्स के पैसे से ही इस प्राणी को इंसान बनाने का प्रयास होना चाहिए. ऐसे लोग समाज के लिए खतरनाक हैं.

हम पत्रकारों को सिखाया गया था कि पत्रकारिता मतलब होता है सत्ता का प्रतिपक्ष. आपको संवैधानिक अधिकारों के तहत जनता की ओर से लगातार सरकार से सवाल पूछना होता है. किसी दुर्भावना से नहीं, बल्कि जनहित में. न्यायालय, विधायिका और कार्यपालिका के अलावा प्रेस सत्ता का संतुलन बनाने में मदद करता है. वह इन तीनों के विचलन पर निगाह रखता है. यह आजादी के पहले से चला आ रहा है.

यह व्यक्ति न सिर्फ सत्ता की ओर से जनता से सवाल करता है, बल्कि सारे पत्रकारीय दायित्यों को ताख पे रखका दुर्भावना और नफरत फैलाता है. यह फर्जी वीडियो प्रसारित करके किसी को भी आतंकी और देशद्रोही होने का प्रमाणपत्र बांट रहा है. यह देश किसी पार्टी या विचारधारा का नहीं है. यह देश इस देश की जनता का है जो संविधान से चलता है. मैं किसी विचारधारा से असहमत हूं लेकिन उसके मानने वालों को आतंकी, देशद्रोही आदि कैसे कह सकता हूं? क्या मुझसे असहमत लोग मुझसे कम नागरिक हैं? यह व्यक्ति संघ और भाजपा के लंपट तंत्र के साथ मिलकर इस देश के संविधान पर नंगा नाच रहा है. सुधीर चौधरी की दंगाई पत्रकार पर अदालत, प्रेस परिषद और मीडिया संगठनों को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए.

जन सरोकारी पत्रकार कृष्ण कांत के फेसबुक वॉल से.

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Comments on “सुधीर चौधरी की दंगाई पत्रकारिता पर अदालत, प्रेस परिषद और मीडिया संगठनों को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए

  • RAKESH KUMAR says:

    ravish kumar aur apunya vajpeyee kya kar rha hai. thora udhar bhi dekhiye. ndtv aur aaj tak pakistan ki bhasha bol rha hai

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  • Sanjeev Singh Thakur says:

    Yeh sahi baat hai ki Subir chdry ne Ugahi jaise ghatiya harkat se patrakarita ko kalankit kiya. Lekin aapke lekhan se kanyaiya jaise deshdrohi soch ke samarthan ki boo as rhi h. Jo duniya ka sabse bada kalank h.

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  • Jitendra Kumar says:

    खैर सुधीर चौधरी ने क्या किया अभी तक मामला न्यायालय में लंबित है , लेकिन भडास फॉर मीडिया जिस तरह लेख लिखकर 1 वर्ग के खिलाफ जहर उगल रहा है उसके खिलाफ तुरंत कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, सरकार को तुरंत इस पर बैन लगाना चाहिए अगर सरकार इस पर संज्ञान नहीं लेता है तो मैं भड़ास फॉर मीडिया के खिलाफ न्यायालय में जाने वाले हैं क्योंकि इनका जो लिखा है पूरे पत्रकारिता की गरिमा को तार तार कर के रख दिया ,टट्टू छाप लेखन जोकिको 1 वर्ग के खिलाफ अनाप-शनाप लिख कर माहौल तैयार कर रहा है ,जिससे पत्रकार बिरादरी भावना काफी दुखी हुआ है, जहा तक रहा सुधीर चौधरी के बात तो यशवंत सिंह भी इसी तरह के मामले में जेल जा चुके हैं ,इसलिए कोई पाक साफ रहे तो दूसरे के खिलाफ कुछ बोले तो अच्छा है, हालांकि सुधीर चौधरी का जो पत्रकारिता है जंगल में अकेले शेर की तरह दहाड़ मारने वाला है इससे भेरिया लोमड़ी सिर्फ राजनीति ही बना सकते हैं,राष्ट्रहित का मुद्दा हो या कोई और मामले पर सरकार की तोहीन नहीं की जाती ,कुछ ऐसा मामला होता है जिसमें सभी को एक साथ सरकार के साथ खड़ा होना होता है, मीडिया खुद का विचार होता है जो कम से कम हमारे देश में इतना तो स्वत्रंता मीडिया को मिली हुई है कि जो चाहे वह लिख सकता है लेकिन इतना भी नहीं होना चाहिए कि वह देश हित खिलाफ हो जाए देश हित में बात करने वाले को आप संपर्दायिक करते हैं और आपके जैसे पोर्टल को क्या कहेंगे……

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