जी न्यूज के एडिटर सुधीर चौधरी ने लेखकों को जो नसीहत व सलाह दी है, उसे लेकर सोशल मीडिया पर लोग काफी भड़क गए हैं. घनघोर भाजपाई पत्रकारिता करने वाले सुधीर चौधरी को एक्स कैटगरी सुरक्षा भी मोदी सरकार ने दी है. इसके बाद तो सुधीर को जो जी में आता है, जी न्यूज पर लाइव बक देते हैं. उनकी इस बकबक से जी ग्रुप समेत समस्त मीडिया जगत की इज्जत तार तार हो रही है. लेकिन आजकल सेटिंग गेटिंग रेवेन्यू रिलेशन के चक्कर में कौन पत्रकारिता व नैतिकता को देखता है. हां, सोशल मीडिया पर लोग अपने अपने तरीके से भड़ास निकाल कर अपनी प्रतिरोध जरूर दर्ज करा देते हैं. पढ़िए, सुधीर चौधरी ने क्या सलाह दी और उसे लेकर सोशल मीडिया पर लोग क्या क्या लिख रहे हैं, कुछ चुनिंदा स्टेटस व कमेंट्स नीचे पेश है. -एडिटर, भड़ास4मीडिया
Priyabhanshu Ranjan : …और सुधीर चौधरी जी, आप Zee News को तीन-चार साल पहले वाला Zee News बना दें तो हमारा बहुत भला होगा। आपने पत्रकारिता के नाम पर गंध मचा रखा है।
Dilip Khan : …और Sudhir Chaudhary आप पत्रकारिता के बदले सीधे दलाली शुरू कर दें तो दर्शकों का बड़ा लाभ होगा। ये आदमी दलाली के आरोप में जेल जा चुका है। अब तो प्रूव्ड मामला है। अभी ख़ुदरा दलाली कर रहे हैं सिर्फ़ ज़ी के लिए। समूचे दलाल बन जाएं तो अच्छा होगा। जिंदल कांड कौन भूलेगा?
Awanish Mishra : दलाली ही तो करते हैं। ज़ी टीवी के कंटेंट पर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर करना चाहिए। कल मैं सोच रहा था कि ये आदमी घटिया आदमी है इसलिए घटिया पत्रकार है या इसकी घटिया पत्रकारिता ने इसे इतना घटिया बनाया है। वैसे यह बेशर्म समय है। यहाँ लोग नंगई को तमगे के रूप में पहनते हैं। आपके ऐसा लिखने से चौधरी जैसों का तो बाजार भाव बढ़ता ही है। और लोग भी इस नंगई की रेस में शामिल हो जाते हैं। यही है हमारा समय। नंगई का उत्सव।
Vibek Dubey : टेलीविजन पर भी कल रात #DNA रिपोर्ट में 9:54 पे सुधीर चौधरी ने सब्सीडी वाली यह बात कही थी, एक लाईन अलग से| चापलूसी की हद होती हैं|
Shailendra Sharma : जो व्यक्ति अपने पेशे से गद्दारी करके जेलयात्रा कर चुका है वह साहित्यकारों को उपदेश दे रहा है।
Aruna Rai : वो याद है इसका झूठा स्टिंग live india पे। एक भद्र महिला की इज़्ज़त तार तार की थी। और ये बात करते हैं भले की। उंह, किस मुंह से।
Faisal Iqbal : Aur ye x category ki security chor deta ya khud pay krta to zara socho sudhir tihari.
Sanjay Kumar : abe ye to wahi hai naa jo 100 crore maang rah tha Jindal se..jail ki hawa khaa kar aya tha..vese jiska khud ka koi samman nahi hai wo dusro ko salah de achcha nai lagta..
sudhir
October 14, 2015 at 2:25 pm
tum log gaddar ho tum logo ko aaj mai del ,maar rha hu aaj k baAD MAI TUM LOGO KO KBHI LIKE NHI KRUGA PAISE K BHUKHE PATKAAR HO TUM LOG ;;;;;;;;;;;CHIIIIIIIIIIIIIII….SAMEFULLL
sudhir
October 14, 2015 at 2:27 pm
tum log dalal ho chuke ho bakwas media ho tum log ……….go 2 helll ………..aaj k baaf tum logo ko unlikr kr rha hu mai fully bakwas ho tum log
tarunmitra
October 15, 2015 at 2:32 am
सुधीर चौधरी जी आपने सही मुद्दे पर खरी-खरी टिप्पणी की है, पुरस्कार लौटने बाले मानसिकता विशेष के लोग है, इन्हें देश की अस्मिता , धर्म, संस्कृति व रीति-नीति से कोई मतलव नहीं, केवल कपोल-कल्पित दुनिया में रहकर जीना चाहते है। देश के लोगों से चुनी हुयी सरकार को इन चन्द सिरफिरों तथा तथाकथित बुद्दिजीवियों के विरूढ़ से कोई फर्क नहीं पड़ता।
Raj
October 15, 2016 at 11:59 am
कुछ चुनिंदा ही क्यों सारे के सारे कमेंट भी पोस्ट करने थे ।
सुधीर चौधरी ने पेशे के साथ गद्दारी की वो तो उन पर कलंक है ही ,
पर तथ्य की बात कही उसमे हर्ज क्या ?
मैं कहता हूँ , कैसे साहित्यकार ,कौनसे साहित्यकार ,,,,,, ढोंगी है वो सिर्फ ढोंगी , चापलूस है ,
अवार्ड वापसी कर किस विषय का विरोध जताया ?
दादरी का ? ऐसे कई दादरी हुए उसके बाद भी तब कहाँ गई उनकी भावनाये ? मर गई ?
जो गलत है उसको गलत ही कहा जायेगा भले कहने वाला गलत हो या सही …
आपकी भड़ास सुधीर चौधरी पर है ,,, निकालिये
पर फट्टू साहित्यकारों से क्या सहानुभूति ???