Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

आज सुप्रीम कोर्ट ना होता तो ये 4 पत्रकार गुजरात जेल की काल कोठरी में कहीं सड़ रहे होते

हालिया वर्षों में लोग अदालतों को कुछ ज्यादा ही कोसने लगे हैं. बात ये भी ठीक है कि अदालतों के भीतर भृष्टाचार की सीमाएं पार हैं. अभी परसों ही भड़ास को एक सूत्र ने बताया था कि, उसकी आंखों के सामने बैठा पीपी छोटी की बजाय लंबी तारीख देने पर रूपये मांग रहा था, जबकि जज साहब कुछ ही दूरी पर बैठे थे! कानून-अदालतों के बाहर भीतर ऐसे तमाम किस्से कहानियां तैर रहे हैं.

लेकिन बात ये भी मानिए कि यदि आज सुप्रीम कोर्ट ना होता तो ये चार पत्रकार गुजरात जेल की किसी काल-कोठरी में अडानी जैसे धन्नासेठों द्वारा सड़ाए जा रहे होते. अब इस मामले में दो पहलू सामने आये, जिस मुताबिक अच्छाई और बुराई दोनों ही से राब्ता होता है. जबरन जनता का लहू पीने वाला भी गलत है और अपना काम निकालने या जल्दी निकालने की गरज से जनता द्वारा दी गई दलाली भी गलत है. अब यहीं से समझिए और गांठ बांधनी शुरू कीजिए, न गलत करना है, न कराना है और न होते ही देखना है. अगर आप ये कर ले गये तो यकीन मानिए अपने लोगों को सही मायनों में अच्छे दिन दे रहे हैं. बाकी सब फर्जी, लम्पटई है.. फिलहाल नीचे केस पढ़िए.

बीते दिन गुजरात पुलिस द्वारा चार पत्रकारों को गिरफ्तार करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है. गुजरात पुलिस ने इन पत्रकारों को अडानी-हिंडनबर्ग विवाद मामले की रिपोर्टिंग के आधार पर नोटिस भेजकर तलब किया था. पत्रकारों को राहत देने के साथ ही SC ने इस मामले में गुजरात सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब भी मांगा है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

3 नवंबर को जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने पत्रकार रवि नायर और आनंद मंगनाले की रिपोर्ट, ‘आर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट’ OCCRP वेबसाइट में प्रकाशित होने के बाद गुजरात पुलिस की तरफ से मिले नोटिस पर गिरफ्तारी से राहत दे दी. इसी तरह फाइनेंसियल टाइम्स के दो पत्रकारों बेंजामिन निकोलस ब्रुक पार्किन और क्लो नीना कोर्निश को भी अदालत ने राहत प्रदान कर दी.

मामले में गुजरात स्टेट की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा. वहीं FT संवाददाताओं की तरफ वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल अदालत में हाजिर हुए थे. मामले को अपराध संख्या 527/2023 रवि नायर बनाम गुजरात स्टेट एवं अन्य के तहत सुना गया था.

Advertisement. Scroll to continue reading.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास तक खबर सूचनाएं जानकारियां मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group_one

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement