शीतल पी सिंह-
पिछले एक महीने में शेयर बाजार में ऐसी तबाही आई है जिसकी कोई मिसाल पहले नहीं थी। करीब चौंतीस लाख करोड़ रुपए गायब हो चुके हैं। जीवन बीमा निगम (LIC) एक चौथाई कीमत का रह गया है।
रुपया 78 के पार थरथरा रहा है किसी भी दिन ख़तरे का बिगुल बजा देगा । डीजल पेट्रोल के दाम गुजरात आदि राज्यों में चुनावों के चलते रोके गए हैं पर रुक न पाएंगे। रिलायंस आदि प्रायवेट रिटेलर डीजल पेट्रोल बेचना बंद कर चुके हैं और महामहिम परिधान परिवर्तन में गिनीज बुक का रिकार्ड फाड़ चुके हैं!
गिरीश मालवीय-
श्रीलंका की तरह ही भारत में भी आर्थिक संकट की आहट सबसे पहले पेट्रोल पंप से आनी शुरू हो गई है…… देश के कई प्रदेशों में ईंधन की किल्लत के कारण हजारों पेट्रोल पंप बंद हो चुके हैं।
तेल कंपनियों की मांग और आपूर्ति की चेन डिस्टर्ब होने के बाद राजस्थान में लगभग 2000 पेट्रोल पंप ड्राई हो चुके हैं। आपको बता दें कि राजस्थान में कुल लगभग साढ़े 6 हजार पेट्रोल पंप हैं। ऐसे में लगभग 2 हजार पेट्रोल पंप के ड्राई होने के बाद स्थिति काफी गंभीर हो गई है।
ऐसी ही स्थिति उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ में भी देखी जा रही है पेट्रोल-डीजल सप्लाई की अघोषित कटौती से संकट गहरा गया है. सेकडो पंप सूखने जैसी स्थिति में हैं. जिन पंपों पर ईंधन है भी, तो वहां मात्र तीन-चार दिन का ही स्टॉक बचा है.
मप्र पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा, ‘सप्लाई में दिक्कत आ रही है, जिससे मप्र के बहुत सारे पंप ड्राई आउट हो गए हैं. किसानों को परेशानी हो जाएगी, हमें भी दिक्कत होगी. इस सीजन में नुकसान कवर नहीं कर पाएंगे. शहर के पंप 2 से 3 घंटे बंद हो रहे हैं, क्योंकि सप्लाई नहीं हो रही है।
अब समझिए कि दिक्कत कहा आ रही है !….भारत में मुख्य रूप से पांच बडी कंपनिया है जो पेट्रोल डीजल की मार्केटिंग करती है तीन सरकारी है इन्डियन ऑयल,भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम और दो प्रायवेट है रिलायंस और एस्सार ( नायरा )……..इसमें सिर्फ इन्डियन ऑयल ही ऐसी कंपनी है जो अपने पेट्रोल पंप को निर्बाध आपूर्ति कर रही है बची हुई दो सरकारी फ्यूल ऑयल कंपनियां भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम की डिमांड और सप्लाई का अनुपात अस्थिर हो गया है। अगर कोई पंप मालिक इन दोनो कम्पनियो से दिन के तीन टैंकर मंगवाता है तो ये सिर्फ एक ही टैंकर दे रही है और कई जगहों पर तो वो भी नही दे पा रही है, कंपनियों को एडवांस देने के बावजूद भी कंपनियों सप्लाई नहीं कर रही हैं…….. बाकि बची दो प्राईवेट कम्पनी रिलायंस और एस्सार,…..तो उनके पंप तो कई दिनो पहले बंद हो चुके हैं….. यानि सारा बोझ अब इन्डियन ऑयल पर है लेकिन उसका प्रोडक्शन भी सीमित है।
कच्चे तेल की प्राइस लगातार बढ़ रही है ऐसे में मौजूदा पेट्रोलियम कंपनियों का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है इस बीच सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कटौती की है, ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों बड़ी सरकारी तेल कंपनियां सप्लाई में कटौती कर ज्यादा नुकसान होने से बचाव की कोशिश में हैं, इन पर रिलायंस और एस्सार के पंप बंद होने का भी दबाव है।
एक बात और है कि ओपेक देशों ने जुलाई में भारत को सप्लाई किए जाने वाले कच्चे तेल की कीमत और भी बढ़ा दी है यानि कुल मिलाकर हालात लंबे समय तक सुधरते नजर नहीं आ रहे हैं।
मोदी सरकार की असली परीक्षा की घड़ी आ गई है क्योंकि यहां जुमलेबाजी से काम नहीं चलेगा।
अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-
लंबा चलेगा आर्थिक तबाही का सिलसिला ! अमेरिका के फेडरल ने बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए ब्याज दर में 0.75 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़ोतरी कर दी है. इससे भारत में रुपया और नीचे आने के पूरे आसार हैं. यही नहीं, भारतीय रिजर्व बैंक पर भी अब ब्याज दर में बढ़ोतरी का भारी दबाव आ गया है.
विशेषज्ञों का मानना है इस साल के अंत तक अमेरिका में ब्याज दर की इस तरह की बड़ी बढ़ोतरी अभी और भी होंगी. इससे डॉलर इंडेक्स में मजबूती आएगी और रुपया यहां से लगातार अभी और नीचे जा सकता है.
वैसे भी , अमेरिका की खस्ता आर्थिक हालत के चलते भारत समेत पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में कोहराम मचा हुआ है. इसके चलते पहले शेयर बाजार ध्वस्त हुए , फिर Crypto धराशाई हुआ और अब अगला नंबर रियल एस्टेट उद्योग का बताया जा रहा है.
विशेषज्ञों का मानना है कि जब-जब ब्याज दरों में इसी तरह की भारी बढ़ोतरी होगी, उस वक्त भले ही कुछ दिनों या वक्त के लिए शेयर बाजार में तेजी देखने को मिले लेकिन बढ़ती महंगाई, घटती रोजगार दर और धराशाई होती अर्थव्यवस्था के चलते दुनियाभर में उद्योग- धंधे और रोजगार इस पूरे साल चौपट ही रह सकते हैं. ऐसे में शेयर बाजार, Crypto, रियल एस्टेट, टूर- ट्रैवल, होटल, एयरलाइंस, ऑटो, विनिर्माण आदि क्षेत्र में खासी तबाही देखने को मिल सकती है.
यह साल इसी आर्थिक तबाही में निकलने को लेकर विशेषज्ञ तकरीबन एकमत हैं और साल 2023 में भी यही मंजर रह सकता है , ऐसा अनुमान भी कई आर्थिक विश्लेषक पहले ही जाहिर कर चुके हैं. अगर उनकी मानी जाए तो यही अर्थ निकलेगा कि कोरोना के आगमन के साथ साल 2020 से शुरू हुई आर्थिक तबाही से अभी दुनिया को कम से कम डेढ़- दो साल तक तो और जूझना ही है.
दुनिया भर के शेयर बाजारों में भारी बिकवाली चल रही है. क्रिप्टो मार्केट की भी स्थिति सही नहीं दिख रही है और सबसे अधिक मार्केट कैप वाली बिटक्वाइन (BitCoin) के भाव रिकॉर्ड हाई से करीब 70 फीसदी फिसल चुके हैं. क्रिप्टोकरेंसी डॉजक्वाइन (DogeCoin) के को-फाउंडर बिली मार्कस (Billy Markus) का मानना है कि स्टॉक और क्रिप्टो मार्केट के बाद अगली बारी रीयल एस्टेट की है. उनके इस आउटलुक से दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क (Elon Musk) भी सहमत दिख रहे हैं यानी उनकी भी मानना है कि अगला नंबर रीयल एस्टेट का है.
जैसा कि अनुमान था, अमेरिका के फेडरल ने बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए ब्याज दर में 0.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है. इसके नतीजे में महंगाई, बेरोज़गारी और मंदी के लिए तैयार रहें.