वाराणसी । अपनी दोनों किडनी गवां चुके उर्दू पत्रकार तनवीर मिर्जा को लेकर खबर क्या छपी की झारखंड CM हेमन सोरेन ने तात्कल इसका संज्ञान लिया और डिप्टी कमिश्नर रांची को ट्वीटर पर ही कैबिनेट फैसले के आलोक में मुख्यमंत्री असाध्य रोग उपचार योजना के तहत मदद पहुंचाते हुए सूचित करने का निर्देश दे दिया।
इस कदम से पत्रकार जगत में खुशी तो है ही साथ ही इसे अन्य राज्यों के सीएम को नजीर की तरह लेना चाहिए। कहने को चौथा स्तम्भ कई बार इलाज के आभाव में दम तोड़ देता है और सीएम-मंत्री-विधायक- सांसद तक गुहार लगाने पर भी मदद के हाथ नहीं बढ़ते।
काशी की ही बात कर लें तो कई दर्जन कुलपतियों की फोटो खींचने वाले हिंदुस्तान अखबार के वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट रहे मंसूर आलम को पहले बीएचयू में ही उन्हें बेड नहीं मिला और उनके निधन के बाद आज तक डीएम द्वारा मुख्यमंत्री कोष से 5 लाख रुपए के आर्थिक मदद की घोषणा के बाद जांच-पड़ताल होने के बाबजूद आज तक आर्थिक लाभ नहीं मिला। ऐसे ही वाराणसी सहित यूपी में दर्जनों उदाहरण है।
बताते चले कि दोनों किडनी गवां चुके तनवीर मिर्जा एंड स्टेज रेनल डिजीज के करीब का पहुंचे है। बाबजूद इसके उन्होने जीने की आस नहीं छोड़ी है। उनका हौसला ही है कि कुछ दिन पहले सीएए और एनआरसी के प्रोटेस्ट की रिपोर्टिंग करने पहुंच गए थे।
घर की माली हालत ठीक न होने से तनवीर कहते है कि परिजनों ने डोनर भी ढूंढ लिया है, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह आपरेशन नहीं करा पा रहे हैं।
वह कहते हैं कि लोगों के चंदे के भरोसे ही सांस ले पा रहा हूं। दो छोटे-छोटे बच्चे उनकी पढ़ाई, घर का राशन, अस्पताल और दवा का बेहिसाब खर्च सब कुछ भीतर से तोड़ देता है। हालांकि सीएम के मदद के हाथ भरने के बाद थोड़ी उम्मीद जगी है।
लेखक अवनींद्र कुमार सिंह बनारस से प्रकाशित भदैनी मिरर अखबार के संपादक हैं. उनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.