Yashwant Singh : वरिष्ठ पत्रकार Anand Swaroop Verma ने भड़ास के आठवें बर्थडे समारोह में दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में 11 सितंबर को कहा कि लोकतंत्र के तीन खंभों पर नजर रखने के लिए चौथा खंभा है तो अब भ्रष्ट हो गए चौथे खंभे पर नजर रखने के लिए पांचवें खंभे की जरूरत है. उनकी बात बहुत सारे साथियों के दिल में उतर गई.
हम लोग महसूस करते हैं कि वेबसाइटें, ब्लाग, सोशल मीडिया, मोबाइल आदि मिलकर पांचवें खंभे का ही काम कर रहे हैं, पिछले कई सालों से. तो क्यों न हम लोग अब खुद को पांचवां खंभा घोषित ही कर दें. अगर आप सोशल मीडिया पर हैं या वेबसाइट चलाते हैं या ब्लागर हैं या मोबाइल पर ह्वाट्सएप ग्रुप वगैरह के जरिए खबरें सरकुलेट करते हैं तो आप पांचवें खंभे के आदमी हैं. आइए, पांचवें खंभे के सृजन की विधिवत घोषणा करें और चौथे खंभे के चोरकटों की कलई खोलें.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से. उपरोक्त स्टेटस पर आए कुछ प्रमुख कमेंट्स इस प्रकार हैं….
Divakar Singh एक मोर्चा बनाकर पोर्टल्स, पत्रकारों इत्यादि को इस मोर्चे की विधिवत सदस्यता दी जा सकती है। जिसका सदस्य होने का मतलब होगा तटस्थ पत्रकारिता। ये मोर्चा भड़ास से कहीं अधिक विशाल और भड़ासी साबित होगा।
Sudhanshu Prakash Mishra चौथा खम्भा तो मर्ज कर गया है। पत्रकारों को चैनल के नाम से नहीं ब्लकि पार्टियों के नाम से बुलाया जाता है सपाई, संघी कांग्रेसी , पत्रकार
DrPrakash Chandra Srivastava आइडिया बहुत अच्छा है, लेकिन इसमें रेलमपेल होने की बहुत गुंजाइश है.
Ghanshyam Dubey शुरुआत मे मैं वर्मा जी के साथ काम कर चुका हूँ । वर्मा जी ने अपनी पत्रिका समकालीन तीसरी दुनिया के जरिये पत्रकारिता के जो मानदण्ड स्थापित किये हैं ,वह बेमिसाल है । पांचवे खम्भे की बात वर्मा जी य उनके जैसे लोग ही कर सकते हैं । वही कहने के पात्र हैं।
राहुल गुप्ता शुरुआत कीजिये, दल्लो की ऑडियो क्लिप, और गलबगिया आपको और आपके पोर्टल पर उपलब्ध कराता हूँ। पूर्व में आप जहाँ काम करते थे, उसके दल्ले पत्रकार की ऑडियो क्लिप दे चुका हूं।
Dinesh Dard मुआफ़ कीजिएगा यशवंत भाई ! मुझे लगता है कि खंबे कितने भी खड़े कर लिए जाएँ, मगर हमेशा बात उनकी मज़बूती के सवाल पर ही आ कर ठहरेगी। अभी जिस पाँचवे खंबे की नींव पड़ी है, उस नींव में एक बड़ा हिस्सा चौथे खंबे के अवशेषों का भी है। लिहाज़ा, क्या आपको लगता है कि जिन अवशेषों के रहते चौथा खंबा आज इस अवस्था में आ गया है कि अब उसकी मज़बूती पर भरोसा नहीं किया जा सकता, वो अवशेष अब पाँचवे खंबे को मज़बूती से खड़ा रख पाएंगे ? शायद नहीं, क्योंकि मुझे लगता है कि कहीं न कहीं कमी खंबे में नहीं, उसके रॉ मैटेरियल में थी। अतः, एक और खंबा तामीर करने से ज़ियादा बेहतर होगा कि चौथे ही खंबे की मरम्मत के तौर पर उसकी नींव के पत्थरों का किरदार दुरुस्त किया जाए।
Vivek Dutt Mathuria पूर्ण सहमत… सोशल मीडिया .को वैकल्पिक मीडिया बन चुका है और उसका प्रभाव, असर मैन स्ट्रीम कॉरपोरेट मीडिया की परेशानी का सबब बन गया….. भड़ास4 मीडिया इस अभियान में मील का पत्थर साबित हुआ है और मीडिया में मौजूद परिवर्तनगामी लोगों में संघर्ष के विश्वास को ताकत देने का काम किया है…..
संजय राय मृदुला जी की पत्रिका का भी नाम पांचवां स्तम्भ है जी. हम तो अभी पहिली कक्षा में हैं इ पांचवा स्तम्भ का बात होइ रहा बिछवा वाला सव् लोग हमको भी कुछु सिखाइये तबे न कुछ पांचवां खंभा को थामेंगे, मैं यशवंत भाई से सहमत हूँ वेसे बहुत कुछ सीखना बाकी है अभी ।
Santosh Rai सत्य वचन
Shamshad Elahee Shams दुरुस्त बात ..
Arun Srivastava आमीन।
Rahul Dubey और यही हाल पांचवे खम्भे का होगा
Rajnikant Shukla जरूरी है
चन्द्रशेखर करगेती सहमत
Hero Dubey बिल्कुल सही कहा सर !
Pravin Kumar ज़रूर।
Care Naman congratulation for fifth pillor..
Ram Sharma आपके साथ हैं
Trilochan Shastri बहुत बढ़िया भाई