Anand Swaroop Verma ‘जियो इंस्टीट्यूट’ पर चर्चा के बीच यह याद दिलाना जरूरी लगता है कि मुकेश अंबानी की शिक्षा के क्षेत्र में अपार क्षमता की पहचान पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी जिनकी उदारवादी छवि की चर्चा करते हुए लोग अघाते नहीं हैं।
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‘समकालीन तीसरी दुनिया’ मैग्जीन के संपादक आनंद स्वरूप वर्मा का इंटरव्यू
हिंदी के दिग्गज और पुरोधा पत्रकार हैं आनंद स्वरूप वर्मा. ग्लैमर, पैसा और बाजार के आकर्षण से बिलकुल दूर अलग वे अपने पत्रकारीय मिशन में डूबे / लीन रहते हैं. आनंद स्वरूप वर्मा को अगर हिंदी पत्रकारिता का लौह पुरुष कहा जाए तो अनुचित न होगा. न जाने कितने झंझावात और उतार चढ़ाव आए, लेकिन उनका विजन, सरोकार और लक्ष्य नहीं बदला. वे ‘समकालीन तीसरी दुनिया’ मैग्जीन के जरिए आम जन के लिए पत्रकारिता को जीते रहे और सिस्टम को चुनौती देते रहे. आनंद स्वरूप वर्मा ने इस मैग्जीन की मदद से कई पीढियों को देश-दुनिया की हलचलों के पीछे की सरोकारी समझ से शिक्षित-प्रशिक्षित किया और बाजार के प्रभाव से दिमाग में निर्मित हो रहे वैचारिक झाड़-झंखाड़ और झालों को साफ कर जनता के प्रति प्रतिबद्धता को प्रतिष्ठित करने का काम अनवरत किया.
भ्रष्ट हो चुके चौथे खंभे पर नजर रखने के लिए अब पांचवें खंभे की जरूरत
Yashwant Singh : वरिष्ठ पत्रकार Anand Swaroop Verma ने भड़ास के आठवें बर्थडे समारोह में दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में 11 सितंबर को कहा कि लोकतंत्र के तीन खंभों पर नजर रखने के लिए चौथा खंभा है तो अब भ्रष्ट हो गए चौथे खंभे पर नजर रखने के लिए पांचवें खंभे की जरूरत है. उनकी बात बहुत सारे साथियों के दिल में उतर गई.