श्याम मीरा सिंह-
भीम आर्मी के चंद्रशेखर आज़ाद की कोई खबर मीडिया में नहीं है. आज़ाद को दुनिया की सबसे चर्चित टाईम मैगज़ीन ने दुनिया के उभरते टॉप 100 लीडरों में जगह दी है. ये इतने सम्मान की बात है कि अगर यही टाइम मैगज़ीन राहुल गांधी के ख़िलाफ़ एक ट्वीट कर देती तो मीडिया 18-18 घंटे बहस कर रही होती, यही टाइम मैगज़ीन अगर मोदी की तारीफ़ में एक फ़ोटो भर शेयर कर देती तो मीडिया के एंकर आज के प्राइम टाइम में ओवरनाइट कर रहे होते.
पर चंद्रशेखर आजाद के नाम से ही टीवी एंकरों की नशें मरोड़ मारने लगती हैं, वो उसके नाम को टाइम मैगज़ीन में देखकर क्यों ही खुश होंगे. मैं चंद्रशेखर आज़ाद का कोई समर्थक नहीं हूँ न उनकी पार्टी का वर्कर, एक पत्रकार होने की सीमा में अगर मुझे आगे जाकर उनकी कोई आलोचना भी करनी होगी तो मैं करुंगा. पर मुझे इस बात से ज़रूर आपत्ति है कि मीडिया इतनी महत्वपूर्ण खबर पर ऐसे पर्दा मारकर बैठा है जैसे कुछ हुआ ही नहीं.
मिज़ोरम और मणिपुर में भी कोई घटना होती तो न्यूज़ रूम में अगली मिनट ही पहुँच जाती है, लेकिन टाइम मैगज़ीन की खबर को घंटों बीत गए क्या टीवी मीडिया को इतनी भी खबर न लगी होगी कि इस मुल्क के एक नौजवान को टाइम मैगज़ीन ने विश्व के सौ उभरते नेताओं में जगह दी है!
न्यूज़रूम जानबूझकर दलित लीडरशिप के वर्चस्व को स्थापित करने वाली खबरों को दबाते हैं. पर वैश्विक मीडिया के साथ ऐसी कोई मजबूरी नहीं है, वरना टाइम मैगज़ीन में आने की धमक रखने वाले नेता को भारतीय मीडिया की मैगज़ीनों, अवार्डों ने न रेकग्नायज़ किया होता, ये कैसे हो सकता है? इस मामले में पूरा भारतीय मीडिया एकमत है कि Chandra Shekhar Aazad को कितनी जगह देनी है. इनको कभी नहीं पचेगा कि इनके मंच का माइक इनके हाथ से उठकर दलितों के हाथ चला जाए. पर कोई न रुकता है, न रुका है. अंग्रेज़ी में कहावत है “No one can stop an idea whose time has come”.
दलितों की आने वाली पीड़ी के वक्त और विचारों को कोई नहीं रोक सकता इस बात को मीडिया में बैठे जातिवादी लोगों को अपने कान में बिठा लेना चाहिए. साथी चंद्रशेखर आज़ाद को बधाई… खूब लड़ते-भिड़ते रहिए… जय भीम!