DY Rao : बहुत ही अच्छा लिखा है यशवंत! कभी ना कभी ये स्तिथि आनी ही थी। ये बात सही है कि इस स्टैंड से वाहियात किस्म के हिंदूवादियों के हौसले बढ़ेंगे। लेकिन ये बात भी सही है कि उन वाहियात हिन्दुओं से निपटने के लिए हमारे तुम्हारे जैसे हिन्दू पर्याप्त हैं। समस्या generalisation की है । हमारे यहां अतिवादी केवल एक्सेप्शन है, मेन स्ट्रीम नहीं। हमारे यहां अतिवाद संस्थागत नहीं है हिन्दू धर्म में। और हम खुद उसको देश काल और परिस्थिति के हिसाब से प्रगतिशील रखते हैं। वहां ठीक उल्टा है, मानो हज़ार साल से एक जगह और एक ही शब्दानुवाद पर अटके हुए हैं, भावानुवाद की कोई गुंजाइश नहीं है, और कोई भी इस बात को स्वीकार नहीं करना चाहता।
S. Anand : To sum it up. You can atleast believe that you may reason with any extremist but with even the soft liner Islamist you have no chance. They don’t budge a fraction in matters religious as per the book. हर अतिवादी हिन्दू को सौ विचार हैं ग्रंथों में ही जिन से उन्हें निरुत्तर कर सकते हैं किंतु क़ुरान की व्याख्या तो दूर विराम और अर्धविराम का भी बदलाव संभव नहीं.
Dev Prakash Meena : समझने को तैयार ही नहीं हैं लोग, कुछ कहो तो तनिष्क के एड को हमारे मुँह पर मारेंगे, लेकिन हमने तो उसका भी विरोध किया था, बस बाकि सब करो लेकिन इनके खिलाफ तार्किकता की बात मत करो।
Yashwant Singh : संघी-मुसंघी दोनों दिमाग से पैदल होते हैं। ये समझने के लिए पैदा ही नहीं हुए हैं। ये दिहाड़ी पर दिन भर समझाते रहते हैं। जैसे पहले कुछ रुपयों में रिक्शा वाला फ़िल्म के प्रचार का पोस्टर और लौडस्पीकर बांधकर दिन भर पूरे शहर को फिलिम देखने के लिए समझाता रहता था।
Dev Prakash Meena : कल एक आपके लिए लिख रहा था कि ब्लॉक कर के भाग गया, उसने मेरे ट्वीट को भी RT कर अशोक गहलोत को मेंशन किया था, समझाइश वाले ट्वीट को मुसलमानों के खिलाफ बताया, शक्ल से तो पढ़ा लिखा लग रहा था फिर भी धर्म के नाम से अधिकांश एक ही जैसा व्यवहार करते हैं.
Gyanesh Tiwari : टर्किश ऑडीओ और इंग्लिश सबटाइटल के साथ आपने 5 सीज़न देख डाले, इसके लिए आपको साधुवाद।
Yashwant Singh : जी। इस वेब सीरीज को देख डालने के जुनून के चलते बहुत सारे नए आए वेब सीरीज देखने का काम स्थगित रखा। कल लास्ट एपिसोड देखा। इलबिलिया हातून का बियाह हो गया उर्तुगुल से। सेना अनातोलिया पर हमले के लिए कूच कर चुकी है। ओस्मान के हवाले काई कबीला किया जा चुका है।
Satyendra PS : संघिया सब खुश हैं कि आपको सद्भुद्धि आ गई…
Yashwant Singh : संघियों को पेलिये तो मुसंघी खुश होते हैं, मुसंघियों को दौड़ाइये तो संघी!
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