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रेप सुगम बनाने वाले ‘ऊबर’ को उबारने की कवायद, मोदी सरकार ने रेडियो टैक्सी स्कीम में संशोधन कर दिया

Anil Singh : क्या इसी तरह चलेगा इनका ‘मेक इन इंडिया’!!! दिल्ली में सरकार ने ऊबर और दूसरी टैक्सी सेवाओं को वापस लाने के लिए रेडियो टैक्सी स्कीम 2006 में संशोधन किए और तत्काल उन्हें नोटिफाई भी कर दिया। खुद ही समझ लीजिए कि सरकार बलात्कार को सुगम बनानेवालों को बचाना चाहती है या इस जघन्य अपराध का शिकार होनेवालों की हिफाजत करना चाहती है।

<p>Anil Singh : क्या इसी तरह चलेगा इनका 'मेक इन इंडिया'!!! दिल्ली में सरकार ने ऊबर और दूसरी टैक्सी सेवाओं को वापस लाने के लिए रेडियो टैक्सी स्कीम 2006 में संशोधन किए और तत्काल उन्हें नोटिफाई भी कर दिया। खुद ही समझ लीजिए कि सरकार बलात्कार को सुगम बनानेवालों को बचाना चाहती है या इस जघन्य अपराध का शिकार होनेवालों की हिफाजत करना चाहती है।</p>

Anil Singh : क्या इसी तरह चलेगा इनका ‘मेक इन इंडिया’!!! दिल्ली में सरकार ने ऊबर और दूसरी टैक्सी सेवाओं को वापस लाने के लिए रेडियो टैक्सी स्कीम 2006 में संशोधन किए और तत्काल उन्हें नोटिफाई भी कर दिया। खुद ही समझ लीजिए कि सरकार बलात्कार को सुगम बनानेवालों को बचाना चाहती है या इस जघन्य अपराध का शिकार होनेवालों की हिफाजत करना चाहती है।

जनधन से सरकार को मिला 25,630 करोड़ का सस्ता ऋण… हमारे-आपके लिए असली मुद्दा यह था कि जनधन, यानी जनता से प्रत्यक्ष या परोक्ष करों के रूप में सरकार द्वारा लिए गए धन का सही इस्तेमाल हो रहा है या नहीं। लेकिन भारत सरकार (पहले यूपीए और फिर एनडीए सरकार) ने जनता के ही धन को खींचने के लिए पहले वित्तीय समावेशन और फिर प्रधानमंत्री जनधन योजना चला दी। सोमवार को जारी रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे 88 लाख बुनियादी बचत खातों में अप्रैल-सितंबर 2014 के दौरान कुल 1,16,500 करोड़ रुपए जमा हुए हैं। नियमतः इस धन का कम से कम 22 प्रतिशत हिस्सा बैंकों को वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) के तहत अनिवार्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियों में लगाना होता है। आसान शब्दों में कहें तो इस जनधन से सरकार को 25,630 करोड़ रुपए की सस्ती उधारी मिल गई।

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कई न्यूज चैनलों-अखबारों में उच्च पदों पर कार्यरत रहे और इन दिनों मुंबई में रहकर अर्थ कॉम डॉट कॉम का संचालन कर रहे वरिष्ठ पत्रकार अनिल सिंह के फेसबुक वॉल से.

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