राकेश कायस्थ-
व्हाट्स एप पर फैलाई जा रही प्रधानमंत्री की शौर्य गाथा के उलट यूक्रेन से भारतीय छात्रों की जो तस्वीरें आ रही हैं, वे बेहद डरावनी और चिंतित करने वाली है।
एक लड़की रो-रोककर बता रही है कि फौज ने दो भारतीय छात्राओं को अगवा कर लिया है, उन्हें कहां लेकर गये हैं ये कोई नहीं जानता।
कई छात्र ये कह रहे हैं कि बाकी देशों के नागरिकों के साथ यूक्रेन के अधिकारी सभ्य तरीके से पेश आ रही है लेकिन भारत के लोगों के साथ उनका व्यवहार बदत्तमीजी भरा और बहुत हद तक अमानवीय है।
रूमानिया और पोलैंड की सीमाओं पर फंसे छात्रों का कहना है कि उन्हें सीमा पार करने नहीं दिया जा रहा है जबकि वे भारतीय दूतावास द्वारा दिये गये मशविरे के बाद सीमा पर पहुंचे थे।
विदेश मंत्रालय की हेल्पलाइन नंबर पर जब गुजरात के एक व्यक्ति ने फोन किया तो पता चला कि इस समय कुछ कूटनीतिक अवरोध है, जिसकी वजह से सिर्फ भारतीय नागरिकों को पोलैंड में दाखिल होने नहीं दिया जा रहा है, बाकी लोगों पर यह प्रतिबंध नहीं है।
ये सब उस वक्त है, जब ये दावा किया जा रहा है कि पहले भारतीयों को दुनिया में कोई पहचानता नहीं था लेकिन मोदीजी की वजह से डंका कुछ इस तरह बज रहा है कि हर देश पलक पांवड़े बिछाये बैठा है।
सच्चाई इसके एकदम विपरीत है। कूटनीतिक मोर्चे पर सफलता के लिए आवश्यक गंभीरता को ताक पर रखकर सरकार ने सिर्फ देसी चालूपने का इस्तेमाल किया है ताकि वोटरों पर महाबली होने का रौब गांठा जा सके, जिसका नतीजा हमारे सामने है।
यूक्रेन ने भारत से मदद मांगी। इस बात का डंका नरेंद्र मोदी अपनी हर जनसभा में पीट रहे हैं। क्या मोदी की जगह कोई और प्रधानमंत्री होता तो यूक्रेन मदद नहीं मांगता?
यह निर्विवाद सत्य है कि भारत रूस को नाराज़ करके यूक्रेन के पक्ष में कोई स्टैंड नहीं ले सकता। ऐसे में समझदारी का तकाजा यही है कि आप यह कहें कि भारत उम्मीद कर रहा है कि इस नाजुक घड़ी में अंतरराष्ट्रीय समुदाय सब्र से काम लेगा और स्थिति और नहीं बिगड़ेगी।
मगर मोदी यूक्रेन की ओर से की गई अपील का बिल्ला अपने सीने पर चिपकाये जनसभाओं में घूम रहे हैं और लोगों से कह रहे हैं कि मैं महाबली हूं, इसलिए दुनिया मेरी तरफ देख रही है और यूपी में मेरी पार्टी को वोट दीजिये। इससे ज्यादा अश्लील और गिरी हुई कोई और हरकत नहीं हो सकती।
आप विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता हैं। आप जो भी करते हैं उसपर पूरी दुनिया की नज़र होती है। आप यूक्रेन पर हुए हमले खुलकर कोई स्टैंड नहीं लेंगे और वहां से की गई मदद की अपील को चुनावों में भुनाएंगे तो भला यूक्रेन के लोग नाराज़ कैसे नहीं होंगे।
आज़ाद भारत के इतिहास में इससे पहले अनगिनत बार ऐसे मौके आये हैं, जब विदेश में फंसे लोगों को सकुशल वापस लाया गया है। चंद्रशेखर की सरकार एक तरह से केयर टेकर गर्वमेंट थी लेकिन खाड़ी युद्ध के समय लाखों की संख्या में भारतीयों को वापस लाने का काम खामोशी से किया गया।
चंद्रशेखर लंबे अरसे तक जीवित रहे लेकिन कभी उन्होंने इस बात का ढोल नहीं पीटा। अगर दो सौ या पांच सौ लोगों के किसी जत्थे के वापस आने पर नागरिक उड्डयन मंत्री मोदी-मोदी का जयकारा लगवाने एयरक्राफ्ट में घुस जाएगा तो फिर भला ये कैसे संभव है कि जब भारतीय छात्र विदेश में पिटेंगे तो सवाल प्रधानमंत्री पर नहीं उठेंगे।
`मीठा-मीठा गप, कड़वा-कड़वा थू’ अनंतकाल तक नहीं चल सकता है।
सुनील सिंह बघेल-
भारत में एक वक्त ऐसा भी आया था 60 दिन में एयर इंडिया ने 500 से ज्यादा उड़ानें भर कर, कुवैत-इराक से लगभग 1.5 लाख भारतीयों को बाहर निकाला था.. भक्ति काल मे भक्ति से सरोबार बहुत सारे लोगों को शायद पता नहीं होगा.. 2 अगस्त 1990 में इराक ने कुवैत पर हमला कर दिया था ..तब हिंदुस्तान में आज की तरह मजबूत लीलावती सरकार नहीं बल्कि, विश्वनाथ सिंह के नेतृत्व वाली, कई दलों के समर्थन से बैसाखीयों चल रही एक कमजोर सरकार थी ..
इराक के अचानक हमला कर देने से कुवैत और इराक में रोजी रोटी की तलाश में गए डेढ़ लाख से ज्यादा भारतीय फंस गए थे.. कमजोर सरकार ने हिम्मत नहीं हारी.. तब प्राइवेट एयरलाइन भी नहीं थी.. सरकारी खजाना भी खाली था ..पर सरकार के पास अपनी खुद के स्वामित्व वाली एयर इंडिया का बेड़ा था… सरकार ने अपनी जिम्मेदारी समझी..
भारतीय विदेश मंत्रालय और कुवैत में मौजूद भारतीय दूतावास के अधिकारियों की टीम भारतीयों को निकालने के अभियान में जुट गई .. युद्ध के बीच पहले सभी भारतीयों को सुरक्षित जार्डन सीमा पर पहुंचाया गया.. और उसके बाद अगस्त से अक्टूबर तक 60 दिनों के अभियान में विमानों ने रात दिन एक करते हुए कुल 500 उड़ाने भरी थीं… नतीजा यह रहा कि ज्यादातर भारतीय सुरक्षित अपने घर पहुंच गए…
अभी जो लोग महज 20 हजार छात्रों के यूक्रेन फस जाने पर हो हल्ला मचा रहे हैं, उन्हें भारत की क्षमता पर भरोसा रखना चाहिए.. अब तो कोई कमजोर नहीं बल्कि विश्व गुरु डंकापति की सर्व शक्तिमान सरकार है ..जब भी सरकार की इच्छाशक्ति और जिम्मेदारी जाग जाएगी..या जब भी फुर्सत मिल जाएगी, इन्हें सुरक्षित निकालना बहुत छोटा सा काम है..
One comment on “यूक्रेन में फंसे भारतीय लड़के मोदी राज कभी न भूल पाएँगे!”
काफी समय से भड़ास की खबरो को देख रहा है, ज्यादातर में मोदी विरोध खबरे देखने को मिलती है, मुझे लगता है हम मूल उद्देश्य से भटकने लगे है।