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उत्तर प्रदेश

हमीरपुर के बिंवार गांव में जो घटित हुआ, जान लीजिए

12वीं क्लास में पढ़ रही एक बेटी सुबह 7 बजे गावं में ही कोचिंग जा रही थी। उ. प्र. सरकार के दो रिश्तेदारों ने उसे सरेराह रोककर छींटाकसी की। कपड़े खीचे। बाल पकड़ कर खींचा। बेटी को तरह-तरह से बेइज्जत किया। पास में रहने वाली एक मुस्लिम महिला ने अपनी जान जोखिम में डाल कर बेटी को बचाया। वहां से छूट कर वो किसी तरह घर भागी। पिता और चाचा ने उसकी दुर्दशा देखी और उन गुंडों का पता करने निकल पड़े। उनके पीछे माँ भी उलाहना देने चल दी। इधर भीषण अपमान से आहत बेटी को कोई रास्ता न सूझा। उसने अपने ऊपर किरोसिन डाल कर आग लगा ली। पड़ोसी चिल्लाये, दौड़े तो आग बुझाई। माँ-बाप-चाचा उलटे पांव लौटे और बेटी को लेकर थाने भागे। थानेदार ने वाकया और अभियुक्तों का नाम सुनते ही वहां से भगाया तो वो कोई साधन लेकर मौदहा तहसील और फिर हमीरपुर जिला अस्पताल पहुंचे। जिला अस्पताल के गेट पर पहुंचते पहुंचते बेटी ने दम तोड़ दिया। 

<p>12वीं क्लास में पढ़ रही एक बेटी सुबह 7 बजे गावं में ही कोचिंग जा रही थी। उ. प्र. सरकार के दो रिश्तेदारों ने उसे सरेराह रोककर छींटाकसी की। कपड़े खीचे। बाल पकड़ कर खींचा। बेटी को तरह-तरह से बेइज्जत किया। पास में रहने वाली एक मुस्लिम महिला ने अपनी जान जोखिम में डाल कर बेटी को बचाया। वहां से छूट कर वो किसी तरह घर भागी। पिता और चाचा ने उसकी दुर्दशा देखी और उन गुंडों का पता करने निकल पड़े। उनके पीछे माँ भी उलाहना देने चल दी। इधर भीषण अपमान से आहत बेटी को कोई रास्ता न सूझा। उसने अपने ऊपर किरोसिन डाल कर आग लगा ली। पड़ोसी चिल्लाये, दौड़े तो आग बुझाई। माँ-बाप-चाचा उलटे पांव लौटे और बेटी को लेकर थाने भागे। थानेदार ने वाकया और अभियुक्तों का नाम सुनते ही वहां से भगाया तो वो कोई साधन लेकर मौदहा तहसील और फिर हमीरपुर जिला अस्पताल पहुंचे। जिला अस्पताल के गेट पर पहुंचते पहुंचते बेटी ने दम तोड़ दिया। </p>

12वीं क्लास में पढ़ रही एक बेटी सुबह 7 बजे गावं में ही कोचिंग जा रही थी। उ. प्र. सरकार के दो रिश्तेदारों ने उसे सरेराह रोककर छींटाकसी की। कपड़े खीचे। बाल पकड़ कर खींचा। बेटी को तरह-तरह से बेइज्जत किया। पास में रहने वाली एक मुस्लिम महिला ने अपनी जान जोखिम में डाल कर बेटी को बचाया। वहां से छूट कर वो किसी तरह घर भागी। पिता और चाचा ने उसकी दुर्दशा देखी और उन गुंडों का पता करने निकल पड़े। उनके पीछे माँ भी उलाहना देने चल दी। इधर भीषण अपमान से आहत बेटी को कोई रास्ता न सूझा। उसने अपने ऊपर किरोसिन डाल कर आग लगा ली। पड़ोसी चिल्लाये, दौड़े तो आग बुझाई। माँ-बाप-चाचा उलटे पांव लौटे और बेटी को लेकर थाने भागे। थानेदार ने वाकया और अभियुक्तों का नाम सुनते ही वहां से भगाया तो वो कोई साधन लेकर मौदहा तहसील और फिर हमीरपुर जिला अस्पताल पहुंचे। जिला अस्पताल के गेट पर पहुंचते पहुंचते बेटी ने दम तोड़ दिया। 

यह बात उस गांव के निवासी और प्रलेस इलाहाबाद के अध्यक्ष प्रो संतोष भदौरिया को पता चली तो उन्होंने मुझे बताया। मैंने अपने पुराने साथी और TIMES NOW के य़ू पी के ब्यूरो प्रमुख प्रान्शु मिश्रा को बताया तो उनके सन्देश पर स्थानीय मीडिया के लोग अस्पताल गेट पर पहुंचे। मीडिया कर्मियों के बताने पर ASP और SDM भी वहीँ पहुँच गए। इधर बिंवार के साथ ही बांधुर, निवादा और सायर गांवों के 2-3 हजार लोग बिवार थाने के सामने जमा हो गए और अभियुक्तों को पकड़ने की मांग करने लगे। लेकिन दोनों दरिन्दे जीतेन्द्र यादव और भूरा यादव तो थानेदार के दलाल और गावं के ठाकुर प्रधान के घर में सुरक्षित थे।

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जब बेटी के पिता और चाचा बेटी की लाश लेकर घर पहुंचे तो ग्रामीणों के गुस्से को संभालना मुश्किल था और वो बेटी को लाश को लेकर थाने के पास आ गए और अभियुक्तों को पकड़ने की मांग दोहराने लगे। जिले से पहुंची कई ट्रक पुलिस को यह मांग बहुत बुरी लगी। उसने लाठी भांजनी शुरू कर दी । ग्रामीणों ने पत्थर उठाये तो पुलिस की बंदूकें बारूद उगलने लगीं। रोहित, कालू खां और मईधर को गोली लगी। रोहित ने अस्पताल पहुंचने से पहले दम तोड़ दिया और कालू की हालत काफी गंभीर है जबकि मईधर के पैर में गोली लगी।

उसके पहले पुलिस की एक गाड़ी बेटी की लाश औए पिता, चाचा,मामा को लेकर जिले की और निकल गई, जहाँ लाश को जला दिया और उन तीनों पीड़ित परिजनों को मार-मार कर बेदम कर नेतागिरी न करने का पाठ पढाया। इधर रोहित की लाश को भी लेजाकर पुलिस ने यमुना में बहा दिया। जीतेन्द्र और भूरा और उनका बहनोई सत्ता पार्टी के जिलाप्रमुख की सुरक्षा में रह रहे हैं। चित्रकूट धाम की कमिश्नर, हमीरपुर की डी एम, मौदहा की SDM तीनों महिलाएं भी हैं। एक बेटी की यह दशा-कथा हुई। कहीं कोई कुछ भी हो लेकिन स्वामिभक्ति सर्वोपरि है।

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सुधीर कुमार के एफबी वाल से

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