प्रयागराज के पत्रकार विनय रघुवंशी को कैंट पुलिस ने एक कथित मुकदमे में पिछले दिनों जेल भेजा था. मामले की कोर्ट में सुनवाई के दौरान गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त सबूत न होने पर वकीलों द्वारा तर्क रखा गया कि प्रार्थी/अभियुक्त निर्दोष है और उसे रंजिशन गलत तथ्यों के आधार पर झूठा फंसाया गया है.
वकीलों ने कोर्ट को बताया कि प्रार्थी विनय रघुवंशी टाइम्स नाउ नवभारत के लिए काम करता है. दिनांक 4 नवंबर 2023 को वह न्यूज़ कवरेज के लिए सिविल लाइंस में था. उसने उस दिन भी PDA द्वारा की जा रही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को अपने चैनल पर लगभग 2:00 बजे प्रसारित कराया था. इसके साथ चैनल पर एक आडियो भी प्रसारित हुआ था. जिसमें पुलिस और अभियुक्त के बीच पैसे की बातचीत थी.
चैनल पर खबर आ जाने से उसको थाना पुलिस द्वारा वादी पर दबाव बनाकर अभियुक्त बना दिया गया. उसका पीड़िता और बाकी अभियुक्त से कभी कोई लेना-देना नहीं रहा. वहीं वादी के वकील ने भी हाजिर होकर बताया कि अभियुक्त को बेल देने से उन्हें कोई ऑब्जेक्शन नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने सभी चीजों को सुनते हुए व पर्याप्त सबूत न होने के आधार पर पत्रकार को बेल दे दी.
बता दें कि प्रयागराज के अशोकनगर की रहने वाली महिला मंजू चंद्र ने आदित्य तिवारी, संदीप व रंजीत यादव के साथ दो अन्य पत्रकारों के खिलाफ रंगदारी व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था. वहीं अभियुक्त आदित्य तिवारी ने भी न्यायालय में साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए 153/3 के तहत मंजू चंद्र पर भी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है. फिलहाल अब दोनों पक्षों के बीच समझौता भी हो चुका है. दोनों पक्षों ने अपने-अपने मुकदमे वापस लेने के लिए एफिडेविट भी दाखिल कर दी है.
इस मुकदमे में फंसे अन्य पत्रकार पंकज का कहना है कि उनका व उनके साथी का इन दोनों पक्षों के विवाद से कोई लेना-देना नहीं है. वह सिर्फ खबर की सूचना पाकर कवरेज के इरादे से गए थे.
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