विवेक कुमार-
विश्वयुद्ध कराने की ऐसी सनक तो उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह क़िम जोंग को भी नही होगी जो टीआरपी की रेस में बुरी तरह मात खाने के बाद आजतक को चढ़ चुकी है। हालाँकि आजतक लंबे समय से विश्वयुद्ध कराने पर आमादा है मगर रेटिंग में बुरी तरह मात खाने के बाद से यह उसकी तारीख भी बताने लगा है। तो बक़ौल आजतक 9 मई को विश्वयुद्ध होने जा रहा है। सो मेहरबान, क़द्रदान, सामान बांधकर हो जाइए तैयार। 9 मई से पहले ही निकल लीजिए धरती के किसी सुरक्षित हिस्से की तरफ और अगर धरती पर ऐसी कोई जगह न मिले तो मंगल ग्रह ट्राई कीजिए। हो सकता है आजतक अपनी अगली किसी रिपोर्ट में वहां तक पहुंचने का रास्ता भी समझा दे।
यहां आजतक का जिक्र इसलिए ज़रूरी है क्योंकि इसी चैनल के पुरोधा टीआरपी में मात खाने के बाद दूसरे चैनलों की हेडलाइन्स और खबरों का जिक्र करते घूम रहे हैं। उन पर विश्वयुद्ध दिखाकर और सनसनी फैलाकर टीआरपी लेने के आरोप लगा रहे हैं। जानकारी इस बात की भी है कि कुंजीलाल की मौत और बिना ड्राइवर की कार जैसी बेसिरपैर की खबरें चलाकर पत्रकारिता के ‘उड़नछू’ अतीत में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में लिखवा चुके इस चैनल के कर्ताधर्ता दूसरे चैनलों के खिलाफ शिकायत लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दरवाजे तक भी पहुंचे हैं। यहां पहुँचकर पत्रकारिता के इन स्वनामधन्य कुंजीलालों ने दूसरे चैनलों की सनसनीख़ेज़ हेडलाइन्स, भ्रामक खबरों आदि आदि का रोना भी रोया है और टीआरपी में पिछड़ने के लिए इन्हीं बातों को ज़िम्मेदार ठहराया है।
मगर हकीकत एकदम उल्टी है। सच तो ये है कि खुद आजतक लंबे अरसे से रुस-यूक्रेन युद्ध के बहाने एक से बढ़कर एक भ्रामक और सनसनीख़ेज़ खबरें फैलाकर टीआरपी में बढ़त हासिल करने के लिए छटपटा रहा है। रोज़ ही विश्वयुद्ध करा रहा है। आजतक पर चली ऐसी ही खबरों के उदाहरण देखिए—
परमाणु युद्ध की घड़ी, दुनिया की नींद उड़ी— तारीख— 29 मार्च
यूक्रेन पर रुस-अमेरिका आपने-सामने, हो ही जाएगा विश्वयुद्ध?— तारीख 27 जनवरी
अब होगा वर्ल्ड वार 3! — तारीख— 21 मार्च
बाइडेन कराएँगे वर्ल्ड वार—तारीख— 15 अप्रैल
बाइडेन की ललकार, अब होगा वर्ल्ड वार— तारीख —26 मार्च
विश्व युद्ध का ट्रेलर— तारीख 23 मार्च
असली है वर्ल्ड वार 3 का खतरा— तारीख 26 अप्रैल
ये तो चंद उदाहरण हैं। आजतक की अपनी वेबसाइट, चैनल और सोशल मीडिया के लिंक्स वर्ल्ड वार के ऐसे भ्रामक उदाहरणों से भरे पड़े हैं। हाँ, पहले से एक फर्क जरूर आया है। रेटिंग में बुरी तरह पिटने के बाद अब आजतक भारत को भी युद्ध कराने पर आमादा है। उसकी स्क्रीन पर अगला सवाल यही है कि “क्या भारत युद्ध लड़ने जा रहा है?” ये वही आजतक है जो रुस-युक्रेन युद्ध की कवरेज में बुरी तरह पिटने के बाद रेटिंग की खातिर जहांगीर पुरी में दंगे की सनसनी फैला रहा था। इसी छटपटाहट में उसे AC स्टूडियो के कूल कूल वातावरण में बैठकर हल्ला बोलने वाले अपने एंकरों को भी जहांगीरपुरी की चिलचिलाती धूप में सड़क पर उतारना पड़ गया। मगर ये दांव भी फेल गया। दरअसल 22 साल की विरासत का दावा करने वाले आजतक की ये विरासत ही नक़ल और फर्जी भौकाल पऱ आधारित है। इसमें सृजनात्मकता, नए प्रयोगों और किसी रचनात्मक जोखिम की संभावना न के बराबर है।
वही पुरानी स्क्रीन, वही पुराने ग्राफ़िक्स, वही घिसे-पिटे सेट, खबर लिखने का वही 20 साल पुराना तरीक़ा, वही रंगे-पुते घिसे घिसाए चेहरे, न कोई नई खबर, न कोई नया पर्सपेक्टिव, न ही कोई ऑउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग। ये सब अभी तक चल जा रहा था क्योंकि टीवी की न्यूज इंडस्ट्री सालों से बस एक ही पैटर्न फ़ॉलो कर रही है, और वो है, क्राइम, सिनेमा, सेक्स, सनसनी, हिंदू-मुस्लिम डिबेट और बाकी भूत-प्रेत, सांप-छछून्दर व बिना ड्राइवर की कार। ऐसे में आजतक का काम चल जा रहा था क्योंकि कहीं भी नया माल न मिलने की सूरत में दर्शक घिसी घिसाई दुकान पर ही भरोसा कर ले रहे थे। मगर जैसे ही दर्शकों को ताज़ा और नई हवा का एहसास हुआ, उनकी राह बदल गई। आजतक की छटपटाहट की असली वजह यही है। इसी छटपटाहट में वह लगातार विश्वयुद्ध कराने पर आमादा है कि किसी तरह टीआरपी आ जाए। ऐसे में तुरंत ये मामला संयुक्त राष्ट्र संघ के संज्ञान में लाए जाने की जरूरत है। सिर्फ वही है जो आजतक को इस महाविनाशक अभियान से रोक सकता है।