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उत्तर प्रदेश

लेखकों की हत्या के खिलाफ बनारस में प्रदर्शन

देश में अभिव्यक्ति और विविधता पर हो रहे लगातार हमलो के खिलाफ और हाल के वर्षों में मारे गए कई लेखकों, पत्रकारो और विचारकों को श्रद्धांजलि देने हेतु बुधवार 9 सितम्बर को सायं  “साझा संस्कृति मंच” से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शास्त्री घाट, वरुनापुल, वाराणसी पर बैठक की और उसके बाद कैंडिल मार्च किया. बैठक में वक्ताओं ने कहा कि साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक और विचारक तथा कन्नड़ साहित्यकार प्रो० एम.एम कलबुर्गी जो कि कन्नड़ विश्वविद्यालय के कुलपति भी रह चुके थे की कट्टरपंथियों द्वारा उनके घर में घुस कर गोली मारकर हत्या कर दी गयी जो यह बेहद ही कायराना हरकत है वरिष्ठ साहित्यकार उदय प्रकाश ने इसके विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है.

देश में अभिव्यक्ति और विविधता पर हो रहे लगातार हमलो के खिलाफ और हाल के वर्षों में मारे गए कई लेखकों, पत्रकारो और विचारकों को श्रद्धांजलि देने हेतु बुधवार 9 सितम्बर को सायं  “साझा संस्कृति मंच” से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शास्त्री घाट, वरुनापुल, वाराणसी पर बैठक की और उसके बाद कैंडिल मार्च किया. बैठक में वक्ताओं ने कहा कि साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक और विचारक तथा कन्नड़ साहित्यकार प्रो० एम.एम कलबुर्गी जो कि कन्नड़ विश्वविद्यालय के कुलपति भी रह चुके थे की कट्टरपंथियों द्वारा उनके घर में घुस कर गोली मारकर हत्या कर दी गयी जो यह बेहद ही कायराना हरकत है वरिष्ठ साहित्यकार उदय प्रकाश ने इसके विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है.

वक्ताओं ने कहा कि आज देश में फांसीवादी ताकतों को प्रगतिशील विचारों से इतना डर है कि वह लगातार विचारो का गला घोंटने को तत्पर हैं, हाल के वर्षों में सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं विचारक डा नरेंद्र दाभोलकर, गंटी प्रसादम, गोविन्द पानसरे जैसे साहित्यकारों की निर्मम हत्याएं की जा चुकी है. प्रो कलबुर्गी की हत्या ने एक बार फिर वैज्ञानिक सोच-समझ रखने वाले लोगों और लोकतांत्रिक व्यवस्था को गहरी चोट पहुंचाई है. उक्त दुर्घटनाएं एक नियत और लक्ष्यपूर्ण ढँग से धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक और वैज्ञानिक सोच के खिलाफ काम करने वाली शक्तियों द्वारा की जा रहीं है, वक्ताओं ने कहा कि अपने देश में फिल्मों को प्रदर्शन से रोक दिया जा रहा है, कलाकारों को देश से पलायन करना पड़ रहा है, पुस्तकों को जलाया जा रहा है, अभिव्यक्ति के संविधान प्रदत्त अधिकारों पर लगातार कुठाराघात किया jaरहा है जो सर्वथा निंदनीय है.

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इस क्रम में वक्ताओं ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा हाल ही में जन आंदोलनों, शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन आदि की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए बनाये गये नियमो को भी जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया. बैठक के दौरान देश के गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह को संबोधित एक ज्ञापन तैयार किया गया जिसमे उनसे मांग की गयी कि उक्त दुर्घटनाओं की सततता और गंभीरता को देखते हुए यथाशीघ्र उचित कारवाई करते हुए अपने समाज के बुद्धिजीवियों, लेखकों, कलाकारों विशेषकर जो लोग धार्मिक कट्टरता आदि के खिलाफ हैं की सुरक्षा सुनिश्चित करवाएँ साथ ही उन सभी संगठनों, विचारकों और लोगों पर कड़ी कारवाई करें जिससे अपने संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति के अधिकार की उपलब्धता बनी रहे.

बैठक के बाद ऐसी घटनाओं में मारे गए सभी को श्रद्धांजलि देने के लिए कैंडल मार्च करते हुए महात्मा गांधी की लौह प्रतिमा के समक्ष शांति प्रार्थना की गयी. कार्यक्रम में डा आनंद तिवारी, मनीष, डा लेनिन रघुवंशी,  धनञ्जय त्रिपाठी , डा एम पी सिंह, रविन्द्र दुबे, विनय सिंह, श्री प्रकाश राय, वल्लभ पाण्डेय, फादर आनंद, रामाज्ञा शशिधर, जागृति राही, प्रदीप सिंह, सतीश सिंह, नन्द लाल मास्टर, फैसल खान, राजेंद्र चौधरी, एनामुल, दीन दयाल, कमलेश,  गिरी संत, डा मुनीजा, विजय मिश्र, अब्दुल कादिर, रवि शेखर, एकता सिंह, प्रो सोमनाथ त्रिपाठी, राम जनम भाई, श्रुति नागवंशी आदि उपस्थित रहे.

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भवदीय
साझा संस्कृति मंच
संपर्क :
फादर आनंद :9598604926
जागृति राही: 9450015899
वल्लभाचार्य पाण्डेय: 9415256848

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