जगेंद्र हत्याकांड : ताकतवर आरोपियों की साजिश-दर-साजिश, अब महिला बनी मोहरा

Share the news

दुनिया भर में चर्चित शाहजहाँपुर के पत्रकार जगेन्द्र हत्या कांड को ‘हत्या और आत्म हत्या’ के बीच उलझाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रभावशाली नामजद आरोपी, पुलिस और कुछ मीडिया संस्थान शर्मनाक तरीके से दिवंगत पत्रकार का चरित्र हनन तक करने लगे हैं, जबकि बड़ा कारण हत्या, आत्म हत्या और चरित्र नहीं, बल्कि मृत्यु है। बड़ी बात यह नहीं है, जगेन्द्र मरे कैसे? बड़ी बात यह बात है कि जगेन्द्र मरे क्यों?

शाहजहांपुर में जगेन्द्र 1 जून को जला, उसी दिन गंभीर हालत होने के कारण जगेन्द्र को उपचार हेतु लखनऊ के लिए भेज दिया गया, जहां 8 जून को उसकी मृत्यु हो गई। अगले दिन राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा, उस समय के कोतवाल श्रीप्रकाश राय सहित छः लोगों को नामजद करते हुए कई अज्ञात लोगों के विरुद्ध जगेन्द्र के बेटे राहुल की ओर से पेट्रोल डाल कर जिंदा जला देने का मुकदमा दर्ज कराया गया। प्रत्यक्षदर्शी के रूप में एक महिला गवाह बनी, जिसने अब पुलिस को बयान दिया है कि जगेन्द्र ने स्वयं आग लगाई, इसी बयान को एक अखबार ने उछाला है और महिला को दिवंगत जगेन्द्र की मित्र बताया है।

अब बात 1 जून से पहले की करते हैं। जगेन्द्र राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा के विरुद्ध फेसबुक पर निरंतर खुलासे कर रहे थे, जिससे राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा का चिढ़ना स्वाभाविक ही है। उन्होंने इसी रंजिश में एक अमित भदौरिया नाम के व्यक्ति की मदद कर दी, जिसकी जगेन्द्र से रंजिश चल रही थी। जगेन्द्र के विरुद्ध राममूर्ति वर्मा का साथ पाकर अमित भदौरिया ने अप्रैल के महीने में जानलेवा हमला करने का एक फर्जी मुकदमा दर्ज करा दिया। राममूर्ति वर्मा के ही दबाव में पुलिस निष्पक्ष जांच करने की जगह जगेन्द्र की गिरफ्तारी करने में जुट गई। जगेन्द्र भूमिगत हो गया और पुलिस के अफसरों से गुहार लगाने लगा कि निष्पक्ष जांच करा दीजिये, पर उसके प्रार्थना पत्रों को किसी पुलिस अफसर ने गंभीरता से नहीं लिया, इसके बावजूद जगेन्द्र ने लिखना बंद नहीं किया। जगेन्द्र लगातार राममूर्ति वर्मा के खुलासे करते रहे। उनकी अवैध संम्पत्ति और खनन आदि में संलिप्त होने की खबरें छापते रहे, जिससे राममूर्ति वर्मा ने पुलिस पर और अधिक दबाव बनाया। जगेन्द्र को राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा की ओर से और भी कई तरह के खतरे महसूस होने लगे, तो जगेन्द्र ने 22 मई को फेसबुक पर लिखा कि राममूर्ति वर्मा उसकी हत्या कराने का षड्यंत्र रच रहे हैं और उसकी हत्या करा सकते हैं।

28 मई को एक आँगनबाड़ी कार्यकत्री ने आरोप लगाया कि कोतवाल श्रीप्रकाश राय उसे गेस्ट हाउस ले गये, जहां राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा आदि ने उसका यौन शोषण किया, इस मुकदमे के संबंध में जगेन्द्र ने न सिर्फ लिखा, बल्कि गवाह भी बन गया। इस मुकदमे के बाद राममूर्ति वर्मा और पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया। जो पुलिस अब तक राममूर्ति वर्मा के दबाव में जगेन्द्र को खोज रही थी, वो पुलिस अब खुद सीधे दुश्मन बन गई। एक जून को पुलिस ने जगेन्द्र को घर में घेर भी लिया, तभी जगेन्द्र के जलने की घटना हुई। उसी दिन जिला अस्पताल में जगेन्द्र ने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दिया कि पुलिस ने उसे जलाया है और आरोपी कोतवाल श्रीप्रकाश राय ने मुकदमा लिखा कि जगेन्द्र ने आत्महत्या का प्रयास किया है।

अब बहस इस पर हो रही है कि जगेन्द्र ने आत्महत्या की, अथवा उसकी हत्या हुई? हत्या के पक्ष में जगेन्द्र का अपना बयान, फेसबुक वॉल पर मौजूद खबरें और 22 मई की वो पोस्ट, जिसमें उसने अपनी हत्या होने की आशंका जताई थी, वही काफी है। इसलिए आत्महत्या पर बात करते हैं। मान लेते हैं कि जगेन्द्र ने आत्महत्या ही की, तो सवाल यह उठता है कि आत्महत्या करने के हालात किसने उत्पन्न किये? जगेन्द्र ने खुशी में तो आत्महत्या की नहीं होगी। जाहिर है कि राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा और पुलिस के दबाव में ही उसने आत्म हत्या की होगी, तो आत्म हत्या करने को मजबूर कर देना भी कोई छोटा गुनाह नहीं है। भारतीय दंड संहिता में यह उल्लेख है कि आत्म हत्या को मजबूर कर देना भी हत्या की ही श्रेणी का अपराध है। इसीलिए प्रत्यक्षदर्शी गवाह का यह कहना कि जगेन्द्र ने आत्महत्या की थी, नामजद आरोपियों को दोष मुक्त नहीं कर देता।

जगेन्द्र की हत्या के मुकदमे की प्रत्यक्षदर्शी गवाह और राममूर्ति वर्मा आदि पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला एक ही है, जिसे एक अखबार ने जगेन्द्र की मित्र बताया है। मतलब चरित्र हनन करने का भी प्रयास किया है और यह भी सिद्ध करने का प्रयास किया है कि जगेन्द्र की मित्र का ही यह कहना है। असलियत में महिला जगेन्द्र की मित्र नहीं, बल्कि दो पीड़ित एक साथ आ गये थे। महिला भी सत्ता पक्ष की सताई हुई थी। तभी उसने यौन शोषण जैसा आरोप लगा दिया। अब जगेन्द्र नहीं हैं, साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकत्री की परेशानियां सुलझा दी गई होंगी, तो वो क्यों किसी से दुश्मनी बढ़ायेगी।

हाँ, मित्र होती, तो जरुर जगेन्द्र के न्याय के लिए स्वयं की बलि भी चढ़ा देती। अब संभावना यह भी है कि यौन शोषण के प्रकरण में भी वह यह कह दे कि राममूर्ति वर्मा और पुलिस आदि पर उससे जगेन्द्र ने ही आरोप लगवाये थे। 

स्वतंत्र पत्रकार बी पी गौतम से संपर्क : 8979019871



भड़ास का ऐसे करें भला- Donate

भड़ास वाट्सएप नंबर- 7678515849



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *