Abhishek Srivastava : अब योगी के बारे में कुछ बातें। मैं मानता हूं कि योगी आदित्यनाथ भाजपा के लिए बिलकुल सही चुनाव हैं। योगी को चुनकर भाजपा ने जनादेश को सम्मान दिया है। भाजपा के राजनीतिक एजेंडे के लिहाज से भी यह उपयुक्त चुनाव है। तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं योगी के चयन को लेकर आ रही हैं। कई जगह पढ़ा कि कुछ लोगों के मुताबिक वे भाजपा के लिए भस्मासुर साबित होंगे। ऐसे लोग योगी को जानने का दावा करते हैं। मुझे लगता है अभी वह वक्त नहीं आया कि हम योगी की तरफ़ खड़े होकर उनके चुनाव का विश्लेषण करें।
मेरा मानना है कि अब भी मोदी, आरएसएस और भाजपा की ओर खड़े रह कर ही योगी पर बात होनी चाहिए। जो लोग मोदी को जानते हैं, वे यह चूक न करें कि भस्मासुर वाली बात मोदी खुद समझ नहीं रहे होंगे। आखिर मोदी जैसा ताकतवर नेता अपने लिए भस्मासुर को क्यों खड़ा करेगा भला? मामला यह है ही नहीं। जबरन दोनों के बीच अंतर्विरोध को दिखाकर खामख़याली न पालिए। फि़लहाल, मोदी, योगी, संघ और भाजपा के बीच कोई अंतर्विरोध नहीं है। हां, आखिरी वक्त में मनोज सिन्हा का नाम क्यों और कैसे कटा, उस पर बात बेशक की जानी चाहिए।
मोदीजी का तात्कालिक एजेंडा यह है कि 2019 तक अबकी मिले हिंदू वोटों को कंसोलिडेट रखा जाए और कोई नुकसान न होने पाए। केशव मौर्या और शर्मा इसमें सहायक होंगे। दीर्घकालिक एजेंडा मेरी समझ से दक्षिणपंथी राजनीति का एक लंबा खिलाड़ी तैयार करना है जो 2024 में मोदीजी का उपयुक्त उत्तराधिकारी बन सके। मोदीजी जानते हैं कि वे बालासाहेब ठाकरे नहीं हो सकते। अगर वैसा बनने की कोशिश करेंगे तो जो इमारत खड़ी कर रहे हैं वह उनके बाद ढह जाएगी। योगी इस लिहाज से मोदी के सक्सेसर हैं और योगी खुद इस बात को समझते होंगे।
इसीलिए योगी गरम दिमाग से कोई काम नहीं करेंगे, मुझे भरोसा है। वे मोदी के विकास और न्यू इंडिया के आड़े कम से कम 2019 तक नहीं आएंगे क्योंकि इसी में उनकी भी भलाई है। हां, योगी के सामने एक चुनौती अवश्य होगी- गोरखनाथ मठ की समावेशी परंपरा के साथ हिंदुत्व की राजनीति का संतुलन बैठाना। मुझे लगता है कि अगर योगी का सामाजिक काम पहले की तरह चलता रहा, तो वे बड़ी आसानी से एक राज्य के प्रमुख के बतौर और एक मठ के महंत के बतौर अपनी दो अलहदा भूमिकाओं को खे ले जाएंगे। मुझे फिलहाल कहीं कोई लोचा नज़र नहीं आ रहा है योगी के चुनाव में। यह नरम हिंदू वोटरों को कट्टर हिंदुत्व समर्थक बनाकर एकजुट करने का एजेंडा है। योगी का आना हिंदुओं में लिबरल स्पेस का जाना है। असल लड़ाई यहां है। बशर्ते कोई लड़ सके।
पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव की एफबी वॉल से. उपरोक्त स्टेटस पर आए कुछ प्रमुख कमेंट्स इस प्रकार हैं…
Akhilesh Singh योगी ..मोदी-2.0 होंगे…जैसे मोदी ..अटल-2.0 हुए थे …और वैसा ही गुणात्मक कंटिनुअम भी होगा …
विभांशु केशव इस मुद्दे पर लड़ेंगे तो जो कट्टर हो चुके हैं वो और कट्टर होते जायेंगे और फेसबुक व्हाट्स एप पर दौड़ने वाले मन्त्रों के सहारे दूसरों को भी कट्टर बनाते जायेंगे। केंद्र से लेकर राज्य सरकारों ने जो वादे किए हैं उन पर लड़ाई हो सकती है तब शायद जनता भी साथ खड़ी हो। जनता और कुछ विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त युवाओं के वैचारिक स्तर का पता लगा लेना चाहिये
Abhishek Srivastava फ़ोन पर बात करेंगे। यहाँ समझाने में बहुत लिखना पड़ेगा।
Majid Ali Khan अभिषेक जी क्या हिंदुत्व की संतृप्ति के लिए अहमदाबाद को दोहराए जाने की संभावना उत्तर प्रदेश में कहीं नज़र आ रही है या नहीं कुछ रौशनी डालें, यानी मुसलमानों का कुछ दिन खुलकर कत्लेआम हो और हिंदुत्ववादी वोटर संतुष्ट हो जाए और अपने आप को विजयी समझ कर शांति से रहता रहे
Abhishek Srivastava कुछ भी हो सकता है होने को तो, लेकिन हमें ऐसा लगता नहीं है कि कुछ दुर्दांत होगा। मने लगने का मामला है। अगर ज़रूरत लगेगी उन्हें तो उसे वे पूरी करेंगे। चूंकि ऐसा कुछ किये बगैर ही प्रचंड बहुमत है, तो हिन्दू वोटर आलरेडी संतुष्ट है। योगी के cm बनने से अब वो चैन की नींद सोयेगा की रामराज आ गया।
Poojāditya Nāth मुझे लगता है कि बाबा को साल भर में निपटा दिया जाएगा। मतलब राजनीतिक अंत हो जाएगा ताकि ये ज़्यादा फड़फड़ाए नहीं।
Abhishek Srivastava बाबा कौन है अगर आप समझते हैं तो ऐसा नहीं कहेंगे।
Akhilesh Pratap Singh सही है….लेकिन योगी के आने से पहले हिंदुओं में लिबरल स्पेस का घटना शुरू हो चुका है और केवल गोरखनाथ मठ की छवि की बात करें तो उसकी कथित लिबरल छवि की पोल अवैद्यनाथ के जमाने में ही खुल चुकी थी….बाकी ” समाजसेवी और शिक्षा प्रेमी ” तो मुख्तार अंसारी भी हैं और रघुराज प्रताप सिंह भी…..यह बात बिल्कुल सही है कि मोदी और योगी में अंतर्विरोध खोजना बेमतलब है……
Abhishek Srivastava मामला मठ की छवि का उतना नहीं है जितना मठ की परंपरा और छवि के बीच टकराव का है। हम मठ की परंपरा पर ज़ोर दें तो छवि बिगाड़ने वालों को नंगा कर सकते हैं, साथ ही हिंदू लिबरल स्पेस को भी बचा सकते हैं। दिक्कत यह है कि इस एंगिल से बात करने को कोई तैयार नहीं।
Akhilesh Pratap Singh अब कहां परंपरा…अब तो हिंदू का मतलब बीजेपी-आरएसएस समर्थक कमोबेश मान लिया गया है…यही बिल्ला हटाए न हट रहा….जबकि हिंदू वह है नहीं, जिसका ढोल पीट रहे हैं सब लोग…बहुत विनम्रता और धीरज की जरूरत है मनाने के लिए और मानने के लिए….लेकिन शोर इतना है और हर तरफ से शोर है कि हिंदू के बारे में बात करना बीजेपी के बारे में बात करना मान लिया जा रहा है…..डेडली साउंड मिक्सिंग
Abhishek Srivastava यह बिल्ला हटाने के लिए काम कौन कर रहा है? एक नाम गिनवाइए। दरअसल बुनियादी लड़ाई यहां है जहां से आप संघ को नाथ सकते हैं, लेकिन हमारे यहां लड़ने वालों को हिंदू और धर्म से ही परहेज है तो अल्ला खैर करे।
Akhilesh Pratap Singh लड़ने वालों को हिंदू और धर्म से परहेज है … 🙂
Abhishek Srivastava मजाक नहीं कर रहे, सीरियस हैं। क्यों नहीं कोई जाकर बताता जनता को कि हिंदू नाम की चिडि़या वेदों में नहीं है। कहीं नहीं है। जो है सनातन है। इनके हिंदुत्व के बरक्स सनातन धर्म को खड़ा करिए फिर देखिए कैसी हवा निकलती है।
Akhilesh Pratap Singh मजाक नहीं कर रहा….आप ठीक कह रहे हैं…लेकिन यह ऐसा प्रोजेकट है, जिसके लिए अपार धीरज की जरूरत है…चुनावी चिंता के पार जाने वाली नजर की…गांधी…गांधी…गांधी
Jaya Nigam योगी, मोदी के सक्सेसर हैं, 2024 के लिये, यह कैसे ?
Abhishek Srivastava वो ऐसे कि ऐसे के पीछे ऐसा ही होता है।
Shashank Dwivedi मनोज सिन्हा का पत्ता क्यों कटा?
Abhishek Srivastava राजनाथ सिंह से पूछिए
K Kumar योगी से योगी उनके समर्थक रोटी कपड़ा और मकान से पहले मंदिर की उम्मीद कर रहे हैं दादा। ऐसे में यदि योगी मोदी की राजनीति करेंगे तो उनका बेस खिसकेगा और योगी, योगी की राजनीति करते हैं तो मोदी धराशायी हो सकते हैं। बस अपना एक यह भी थीसिस है।
अभिषेक श्रीवास्तव का लिखा यह भी पढ़ सकते हैं….
SadhnaFrmUP
March 17, 2015 at 2:06 pm
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