Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

सहायक सूचना निदेशक की कारगुजारी, सचिवालय प्रशासन पर पड़ रही भारी

: रेवडि़यों की तरह बांट दिए सचिवालय प्रवेश पत्र : गड़बड़ी के आरोपों में बस्‍ती भेजा जा चुका है यह टोपीधारी : लखनऊ। इन दिनों सचिवालय प्रशासन और सत्र के दौरान विधानसभा सचिवालय को सूचना विभाग की करनी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। विभाग के पास अपने एक तत्कालीन सहायक निदेशक की इस कारगुजारी पर शार्मिन्दा होने अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। इसी सहायक निदेशक की कारगुजारी का नतीजा है कि राज्य मुख्‍यालय पर मान्यता प्राप्त संवाददाताओं का संख्‍याबल विधानसभा के कुल सदस्यों के संख्‍याबल को पार ही नहीं कर गया बल्कि उससे काफी आगे बढ़ गया है। 

<p>: <strong>रेवडि़यों की तरह बांट दिए सचिवालय प्रवेश पत्र : गड़बड़ी के आरोपों में बस्‍ती भेजा जा चुका है यह टोपीधारी</strong> : लखनऊ। इन दिनों सचिवालय प्रशासन और सत्र के दौरान विधानसभा सचिवालय को सूचना विभाग की करनी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। विभाग के पास अपने एक तत्कालीन सहायक निदेशक की इस कारगुजारी पर शार्मिन्दा होने अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। इसी सहायक निदेशक की कारगुजारी का नतीजा है कि राज्य मुख्‍यालय पर मान्यता प्राप्त संवाददाताओं का संख्‍याबल विधानसभा के कुल सदस्यों के संख्‍याबल को पार ही नहीं कर गया बल्कि उससे काफी आगे बढ़ गया है। </p>

: रेवडि़यों की तरह बांट दिए सचिवालय प्रवेश पत्र : गड़बड़ी के आरोपों में बस्‍ती भेजा जा चुका है यह टोपीधारी : लखनऊ। इन दिनों सचिवालय प्रशासन और सत्र के दौरान विधानसभा सचिवालय को सूचना विभाग की करनी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। विभाग के पास अपने एक तत्कालीन सहायक निदेशक की इस कारगुजारी पर शार्मिन्दा होने अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। इसी सहायक निदेशक की कारगुजारी का नतीजा है कि राज्य मुख्‍यालय पर मान्यता प्राप्त संवाददाताओं का संख्‍याबल विधानसभा के कुल सदस्यों के संख्‍याबल को पार ही नहीं कर गया बल्कि उससे काफी आगे बढ़ गया है। 

सत्र के दौरान विधायकों और मंत्रियों को चेहरा दिखाने और उनकी चंपूगीरी करने वाले तथाकथित पत्रकारों के चलते मूलत: कवरेज करने वाले मीडियाकर्मियों को कई दिक्कतों से दो चार होना पड़ता है।  यही नहीं मान्यता और गैरमान्यता प्राप्त संवाददाताओं को इतनी संख्‍या में वाहन प्रवेश पत्र जारी हो गए हैं कि विधायकों को अपने वाहन विधानभवन के बाहर खड़े करने पड़ रहे हैं। यह सब किया धरा है सूचना विभाग के एक तत्कालीन सहायक निदेशक का, जिसके जिम्‍मे पत्रकारों के सचिवालय प्रवेश पत्र और वाहन प्रवेश पत्र निर्गत कराने का काम आवंटित था। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

हालांकि यह सहायक निदेशक तो अपने पद से हटकर बस्ती चले गए लेकिन इनका किया धरा सचिवालय और विधानसभा सचिवालय भुगत रहा है। प्रेस मान्यता का काम देखने वाले इसी सहायक निदेशक का कारनामा देखिए कि इस समय राजधानी में राज्य मुख्‍यालय पर मान्यता प्राप्त संवाददाताओं की संख्‍या 428 पहुंच गई है, जबकि विधानसभा का सं,ख्‍याबल मात्र 403 ही है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि जिन दिनों इस सहायक निदेशक के जिम्‍मे प्रेस मान्यता का कार्य आवंटित था, उस दौरान इसने नियमों के विपरीत जाकर ऐसे एैरौ-गैरों की मान्यता करा दी, जो मान्यता के मानक ही नहीं पूरा करते थे।  

विभागीय सूत्रों के दावों पर यकीन किया जाए तो बड़ी संख्‍या में मान्यता से जुड़ी पत्रावलियां विभाग से गायब हैं। इन पत्रावलियों में वे भी शामिल हैं, जिसमें इस सहायक निदेशक ने लोगों से उपकृत होने के बाद उन्हें मान्यता दिलाने में दिलचस्पी दिखाई ही नहीं बल्कि अपने भगीरथ प्रयासों से ऐसे लोगों को मान्यता दिलाई जो उसके पात्र भी नहीं थे। रेवडिय़ों की तरह मान्यता दिलाने के साथ ही इन्होंने सचिवालय प्रवेश पत्र दिलानें जो दरियादिली दिखाई उसके लिए इनकी जितनी पीठ ठोंकी जाए वो कम है। सूचना विभाग की बेवसाइट पर अपडेट सूची करे देखने से साफ हो जाता है कि किस तरह सचिवालय प्रवेशपत्र जारी किए जाने में घालमेल किया गया है। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

थोक के भाव में हुई मान्यता और अन्धाधुंध बने सचिवालय प्रवेश पत्रों का ही नतीजा है कि सचिवालय एनेक्सी में होने वाली प्रेस कांफ्रेस में भी लोगों को बैठने की जगह नहीं मिल पाती है। सबसे ज्यादा दुश्वारी तो सत्र के दौरान होती है। मान्यता प्राप्त पत्रकारों के अलावा गैर मान्यता प्राप्त पत्रकार, जो सचिवालय प्रवेश पत्र हासिल कर चुके हैं वे भी सत्र के दौरान विधानसभा कवरेज के लिए प्रेसदीर्घा का प्रवेश पत्र पाने की जुगत में लग जाते हैं और सफलता हासिल करके ही दम लेते हैं। विधानसभा में सत्र के दौरान इस समय तीन दीर्घाएं आवंटित है लेकिन झोलाछाप डाक्टरों की तरह डायरी लिए और जेब में सचिवालय प्रवेश पत्र लिए पत्रकारों की इतनी संख्‍या हो गई है कि विधानभवन में मंत्रियों और अधिकारियों के यहां मिलने वाला हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी समाचार पत्र का संपादक या संवाददाता ही निकलता है। 

लोगों को यहां का रास्ता दिखाने का श्रेय इसी सहायक निदेशक को जाता है। सचिवालय प्रवेश पत्र हासिल करने वालों में कई प्रापर्टी डीलिंग और जमीन की खरीद-फरोख्‍त करने वाले लोग भी सफल हुए हैं। सचिवालय प्रवेश पत्र और मान्यता की ही तरह वाहन प्रवेश पत्र निर्गत करने में इस सहायक निदेशक की खूब मनमानी रही, जिन 128 लोगों के वाहन प्रवेश पत्र निर्गत हुए उनमें काफी संख्‍या उन लोगों की है, जो वाहन प्रवेश पत्र पाने के  मापदंड को पूरा नहीं करते। सचिवालय प्रशासन के एक अधिकारी की माने तो विधानभवन और एनेक्सी में पार्किंग का सीमित स्थान होने के बावजूद विभाग द्वारा इतनी संख्‍या में वाहन प्रवेश पत्र निर्गत करने की संस्तुति की गई है, जिसे पूरा कर पाना मुशकिल हो रहा है। इस सहायक निदेशक की कारगुजारी से सचिवालय प्रशासन के अलावा सूचना विभाग भी काफी हलकान है। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

दैनिक स्‍पष्‍ट आवाज में प्रकाशित खबर.  

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement