तहसील सिकन्दरपुर, बलिया के पत्रकार संजीव कुमार सिंह को कबीना मंत्री रामगोविन्द चैधरी के चचेरे भाई रामबचन यादव और उसके ड्राईबर धर्मेन्द्र के बारे में खबर छापने की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. संजीव ने दुर्गा पुजा के दिन धर्मेन्द्र द्वारा सिकंदरपुर कस्बे में कथित छेड़छाड़ करने पर लोगों द्वारा की गयी पिटाई के बाद पुलिस द्वारा एकतरफा कार्यवाही किये जाने के सम्बन्ध में खबर लिखी थी. इस पर 08 अक्टूबर को रात करीब 07.30 बजे धर्मेन्द्र, छोटक सिंह तथा अन्य लोगों ने समाचार छपने के लिए संजीव को भला-बुरा कहा और लात-घूंसे से मारा.
संजीव ने थाना सिकन्दरपुर जा कर एसओ को लिखित सूचना दी पर एसओ ने मंत्री से जुड़ा मामला बताते हुए इसका संज्ञान लेने से मना कर दिया. उन्होंने न तो किसी पुलिसवाले को मौके पर भेजा, न ही संजीव का मेडिकल कराया. संजीव ने स्थानीय पत्रकारों के साथ जा कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सिकंदरपुर में मेडिकल कराया जिसमे चेहरे पर नीलगू निशान और सिर में फुलाव सहित तीन चोटें बतायी गयीं. उन्होंने एसपी बलिया राजूबाबू सिंह से भी बात की पर उन्होंने कोई कार्यवाही करने से इनकार कर दिया.
अब संजीव ने आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर से इस सम्बन्ध में मदद मांगी है जिस पर इन दोनों ने समस्त तथ्यों के साथ डीजीपी ए एल बनर्जी को पत्र लिख कर तत्काल एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है. इन्होने कहा है कि डीजीपी ने हाल में टेस्ट एफआईआर दर्ज नहीं होने पर कई एसओ को निलंबित किया, अतः एक पत्रकार के चोटिल अवस्था में थाने पर एफआईआर दर्ज नहीं होने पर निश्चित कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए. साथ ही इन्होने प्रेस कौंसिल अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू को भी एक पत्रकार को खबर लिखने के कारण पीटे जाने के सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही करने हेतु पत्र भेजा है.
सेवा में,
श्री ए एल बैनर्जी,
पुलिस महानिदेशक,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- थाना सिकन्दरपुर, जनपद बलिया के तहसील पत्रकार श्री संजीव कुमार सिंह के साथ घटी आपराधिक घटना में एफआईआर ना दर्ज करने विषयक
महोदय,
कृपया निवेदन है कि श्री संजीव कुमार सिंह, क़स्बा सिकन्दरपुर, जनपद बलिया, जो स्थानीय तहसील के हिन्दी दैनिक अमर उजाला अखबार के सहसील पत्रकार हैं, द्वारा दिनांक 09/10/2014 को समय 1:09 एएम पर उनके ईमेल Sanjeev Singh <[email protected]> से हमारे ईमेल [email protected] तथा [email protected] पर एक मेल भेजा गया जिसमे उन्होंने थानाध्यक्ष सिकंदरपुर, जनपद बलिया को दिए गए एक प्रार्थनापत्र की प्रति के साथ दो समाचार एवं अपने स्वयं के घायल अवस्था में कराये जा रहे इलाज के कुछ चित्र प्रेषित किये थे.
थानाध्यक्ष, सिकंदरपुर को दिए प्रार्थनापत्र के अनुसार दुर्गा पुजा मेले में घटी एक घटना के सम्बन्ध में उनके द्वारा लिखे समाचार के प्रकाशित होने से कतिपय लोग उनसे नाराज थे और उन के उपर काफी लोगो का दबाव व धमकी समाचार न छापने को लेकर मिलती रही. रात्रि करीब 07.30 बजे जब वे समाचार फैक्स करने जा रहे थे तो अचानक श्री धर्मेन्द्र तथा अन्य लोग आ धमके और उन्होंने इस प्रकार के समाचार छपने के लिए श्री संजीव को भला-बुरा कहा, साथ ही लात-घूंसे आदि से मारा-पीटा. इस प्रार्थनापत्र में रिपोर्ट लिख कर आवश्यक कार्यवाही करने का निवेदन था.
पुनः आज दिनांक 09/10/2014 को श्री संजीव ने अपने फोन नंबर 094507-76406 से करीब 11.00 बजे प्रातः फोन कर विस्तार से सारी बतायीं. हमने उनसे इन बातों को लिपिबद्ध करते हुए मेडिकल रिपोर्ट की प्रति सहित हमें प्रेषित करने को कहा. श्री संजीव द्वारा हमें मेल से मुझे पृष्ठांकित एक प्रार्थनापत्र प्रेषित किया गया जिसकी प्रति हम संलग्न कर प्रेषित कर रहे हैं. श्री संजीव द्वारा मौखिक बताये तथ्यों, उनके द्वारा प्रेषित दो समाचारों और इस प्रार्थनापत्र के अनुसार दिनांक 02/10/2014 को दुर्गा पुजा मेले में उत्तर प्रदेश शासन के मा० मंत्री श्री रामगोविन्द चैधरी के चचेरे भाई श्री रामबचन यादव के ड्राईबर श्री धर्मेन्द्र के द्वारा पंडाल में घुसकर किसी युवती के साथ छेड़खानी कर दी. इस बात को लेकर दुर्गा पूजा कमेटी के सदस्यो ने ड्राईबर की पीटाई कर दी. इसके बाद मा० मंत्री के चचेरे भाई श्री रामबचन यादव और उनके सहयोगी के वहां पहुँचने पर दोनों पक्षों में कुछ मारपीट हुई. पुलिस ने मौके पर आ कर एकपक्षीय पिटाई की जिससे महिलाओं ने नाराज हो कर दो स्थानों, नगरा मोड़ तथा जल्पा चौक पर विरोध प्रदर्शन किया जिसे हटाने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया. प्रार्थनापत्र के अनुसार इस घटना में एकपक्षीय कार्यवाही हुई और मात्र श्री रामबचन यादव के पक्ष की तहरीर पर दुर्गा पूजा कमेटी के सदस्यो सहीत करीब चैदह लोगो पर मुकदमा दर्ज किया गया. समाचार के अनुसार स्थानीय पुलिस ने दवाब में आ कर मानवाधिकार उल्लंघन करते हुए कई दबिश डाली जिसके कारण आरोपित पक्ष के सभी लोग घर से पलायित हो गए हैं.
प्रार्थनापत्र के अनुसार श्री संजीव पर इस घटना को सत्यपरक ढंग से नहीं छपने के लिए भारी दवाब डाला गया और समाचार न छापने को लेकर उनके उपर काफी लोगो का दबाव व धमकी मिलती रही. फिर भी उन्होंने निष्पक्ष पत्रकारिता के मानदंडों के अनुरूप दिनांक 05/10/2014 को घटना तथा दिनांक 06/10/2014 तथा 08/10/2014 को कथित पुलिस उत्पीड़न के सम्बन्ध में समाचार प्रकाशित किये.
प्रार्थनापत्र के अनुसार इन बातों से विपक्षीगण इतने बौखला गए कि दिनांक 08/10/2014 दिन बुधवार को शाम 07.30 बजे जब श्री संजीव बस स्टेशन चैराहा सिकन्दरपुर पर मोबाईल पर बात कर रहे थे तो अचानक श्री धर्मेन्द्र, श्री छोटक सिंह तथा करीब आधा दर्जन लोग आ धमके और गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी देते हुए कि समाचार छापोगे तो यही अंजाम होगा, उन पर हमला भी किया.
श्री संजीव के अनुसार वे इस घटना के बाद थाना सिकन्दरपुर गए जहां उन्होंने इस घटना की लिखित सूचना थानाध्यक्ष सिकंदरपुर को दिया लेकिन उन्होंने इस मामले पर संज्ञान लेने से स्पष्टतया इनकार कर दिया. श्री संजीव के अनुसार थानाध्यक्ष ने न तो एफआईआर दर्ज किया, न घटना स्थल पर गए और ना ही थाने का एक भी पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचा. श्री संजीव ने इलाज व मेडिकल के लिए थानाध्यक्ष से गुहार लगाया तो थानाध्यक्ष ने उनका मेडिकल कराने से साफ इन्कार कर दिया. जब इस घटना की जानकारी स्थानीय पत्रकारों को हुई तो वे भी आ गए जिनके दवाब में थानाध्यक्ष ने तहरीर तो ले ली लेकिन मेडिकल कराने से इनकार कर दिया. श्री संजीव ने इसके बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सिकंदरपुर में प्राइवेट रूप में अपना मेडिकल कराया.
श्री संजीव के अनुसार उन्होंने इस घटना की जानकारी एसपी, बलिया श्री राजाबाबू सिंह को भी दी लेकिन उन्होंने भी उलटे उनके प्रति नाराजगी व्यक्त करते हुए मामले में कोई अग्रिम कार्यवाही करने के इनकार कर दिया. श्री संजीव द्वारा उपलब्ध कराये गए मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार दिनांक 08/10/2014 को समय 09.10 बजे रात्रि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उनका परीक्षण शुरू हुआ जो 09.30 बजे समाप्त हुआ. मेडिकल रिपोर्ट में तीन चोटें अंकित हैं- “Contusion on left side cheek size 05cmx03cm, swelling on head size 03cmx04cm, complaint of pain on back and chest.मेडिकल के अनुसार ये चोटें fresh तथा simple हैं. एक दुसरे पर्चे में Surgeon opinion Refer to Ballia District Hospital अंकित है.
उपरोक्त मेडिकल रिपोर्ट से प्रथमद्रष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि श्री संजीव के साथ कोई घटना अवश्य हुई क्योंकि इस मेडिकल का समय और घटना घटने तथा उसके बाद थाने जाने के समय में लगभग पूर्ण तालमेल है. यह भी महत्वपूर्ण है कि श्री संजीव ने थाने को दी अपनी एफआईआर में श्री संतोष पुत्र श्री शुभ नारायण निवासी ग्राम मासूमपुर थाना खेजुरी को मौके का गवाह भी बताया है. उन्होंने इसके साथ थाने पर तमाम स्थानीय पत्रकारों के पहुँचने और इन सभी लोगों के साथ जा कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर उपचार कराये जाने की बात भी कही है. उन्होंने इस प्रकार की घटना होने का एक निश्चित कारण (मोटिव) भी बताया है.
आप सहमत होंगे कि यदि श्री संजीव अपने कुछ चोट दिखाते हुए कुछ लोगों द्वारा उन्हें मारने-पीटने और इस मार-पीट के पीछे के कारण को स्पष्ट करते हुए थाने पहुंचे थे तो उनके संवैधानिक और विधिक अधिकारों के अनुसार उनका एफआईआर तत्काल दर्ज किया जाना चाहिए था. हम सभी अवगत हैं कि ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश शासन (AIR 2012 SC 1515) में मा० सर्वोच्च न्यायालय ने दंड प्रक्रिया संहिता का विश्लेषण करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि अब किसी भी स्थिति में किसी व्यक्ति का एफआईआर दर्ज करने में कोई विलम्ब नहीं किया जाएगा. मैंने हाल में कई बार समाचारपत्रों में पढ़ा कि स्वयं आप इस दिशा में अत्यंत चिंतित और संवेदनशील हैं और आपने कई जनपदों में टेस्ट एफआईआर दर्ज करवा कर एफआईआर दर्ज नहीं करने वाले थानाध्यक्षों के विरुद्ध निलंबन तक की कठोर कार्यवाही की है. आप सहमत होंगे कि यदि टेस्ट एफआईआर में एफआईआर दर्ज नहीं करने वाले पर कार्यवाही होनी चाहिए तो रियल लाइफ (वास्तविक जीवन) के प्रकरण में एफआईआर दर्ज नहीं होने का मामला कितना सीरियस और गंभीर है.
फिर यदि पीड़ित व्यक्ति पत्रकार हो और उसे कथित रूप से इस कारण से मारापीटा गया हो कि उसने मनमाफिक खबर क्यों नहीं छापी अथवा इसने निष्पक्ष खबर क्यों छापी तो मामला स्वतः ही अत्यंत गंभीर हो जाता है. उस पर कथित रूप से स्वयं जिले के एसपी द्वारा तथ्य संज्ञान में आने के बाद भी उसे नज़रंदाज़ करना मामले को अति-गंभीर और चिंताजनक बना देता है. संभव है कि यह सब प्रतिपक्षीगण के राजनैतिक रसूख के कारण हो रहा हो क्योंकि श्री संजीव के अनुसार उन्हें पीटने वाला ड्राईवर उत्तर प्रदेश शासन के एक माननीय मंत्री के चचेरे भाई का ड्राईवर है और प्रकरण माननीय मंत्री के चचेरे भाई से सीधा जुड़ा हुआ बताया जा रहा है.
चूँकि श्री संजीव ने हमें अपनी बात कही है तो यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम हर प्रकार से उनकी न्यायोचित सहायता करने का प्रयास करें. इसके दृष्टिगत हम आपके सम्मुख यह प्रकरण रखते हुए सादर निम्न निवेदन कर रहे हैं-
1. कृपया इस मामले की तत्काल अपने स्तर से उच्च-स्तरीय जांच करा कर इस प्रकरण में दोषी पाए गए जिम्मेदार पुलिस अफसर सहित सभी व्यक्तियों के विरुद्ध समस्त आवश्यक विधिक तथा प्रशासनिक कार्यवाही कराये जाने की कृपा करें
2. कृपया श्री संजीव कुमार सिंह की एफआईआर तत्काल दर्ज किये जाने के आदेश निर्गत करने की कृपा करें
3. कृपया भविष्य में ऐसे किसी प्रकरण की पुनरावृत्ति नहीं होने और ऐसा होने पर गंभीर कार्यवाही किये जाने के विषय में आवश्यक दिशानिर्देश निर्गत करने की कृपा करें
भवदीय
डॉ नूतन ठाकुर
अमिताभ ठाकुर
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
# 94155-34526
पत्रांक संख्या- AT/Comp/02/14
दिनांक – 10/10/2014 (
संलग्नक- प्रार्थनापत्र तथा मेडिकल की प्रति
सेवा में,
श्री मार्कंडेय काटजू,
अध्यक्ष,
प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया,
नयी दिल्ली
विषय- थाना सिकन्दरपुर, जनपद बलिया के तहसील पत्रकार श्री संजीव कुमार सिंह को सत्यपरक समाचार छापने पर मारने-पीटने तथा उसकी एफआईआर ना दर्ज करने विषयक
महोदय,
कृपया निवेदन है कि श्री संजीव कुमार सिंह, क़स्बा सिकन्दरपुर, जनपद बलिया, जो स्थानीय तहसील के हिन्दी दैनिक अमर उजाला अखबार के सहसील पत्रकार हैं, द्वारा दिनांक 09/10/2014 को समय 1:09 एएम पर उनके ईमेल Sanjeev Singh <[email protected]> से मेरे ईमेल [email protected] तथा मेरे पति श्री अमिताभ ठाकुर के ईमेल [email protected] पर एक मेल भेजा गया जिसमे उन्होंने थानाध्यक्ष सिकंदरपुर, जनपद बलिया को दिए गए एक प्रार्थनापत्र की प्रति के साथ दो समाचार एवं अपने स्वयं के घायल अवस्था में कराये जा रहे इलाज के कुछ चित्र प्रेषित किये थे.
थानाध्यक्ष, सिकंदरपुर को दिए प्रार्थनापत्र के अनुसार दुर्गा पुजा मेले में घटी एक घटना के सम्बन्ध में उनके द्वारा लिखे समाचार के प्रकाशित होने से कतिपय लोग उनसे नाराज थे और उन के उपर काफी लोगो का दबाव व धमकी समाचार न छापने को लेकर मिलती रही. रात्रि करीब 07.30 बजे जब वे समाचार फैक्स करने जा रहे थे तो अचानक श्री धर्मेन्द्र तथा अन्य लोग आ धमके और उन्होंने इस प्रकार के समाचार छपने के लिए श्री संजीव को भला-बुरा कहा, साथ ही लात-घूंसे आदि से मारा-पीटा. इस प्रार्थनापत्र में रिपोर्ट लिख कर आवश्यक कार्यवाही करने का निवेदन था.
पुनः दिनांक 09/10/2014 को श्री संजीव ने अपने फोन नंबर 094507-76406 से करीब 11.00 बजे प्रातः फोन कर विस्तार से सारी बतायीं. हमने उनसे इन बातों को लिपिबद्ध करते हुए मेडिकल रिपोर्ट की प्रति सहित हमें प्रेषित करने को कहा.
श्री संजीव द्वारा हमें मेल से मुझे एक प्रार्थनापत्र प्रेषित किया गया जिसकी प्रति संलग्न कर रही हूँ. श्री संजीव द्वारा मौखिक बताये तथ्यों, उनके द्वारा प्रेषित दो समाचारों और इस प्रार्थनापत्र के अनुसार दिनांक 02/10/2014 को दुर्गा पुजा मेले में उत्तर प्रदेश शासन के मा० मंत्री श्री रामगोविन्द चैधरी के चचेरे भाई श्री रामबचन यादव के ड्राईबर श्री धर्मेन्द्र के द्वारा पंडाल में घुसकर किसी युवती के साथ छेड़खानी कर दी. इस बात को लेकर दुर्गा पूजा कमेटी के सदस्यो ने ड्राईबर की पीटाई कर दी. इसके बाद मा० मंत्री के चचेरे भाई श्री रामबचन यादव और उनके सहयोगी के वहां पहुँचने पर दोनों पक्षों में कुछ मारपीट हुई. पुलिस ने मौके पर आ कर एकपक्षीय पिटाई की जिससे महिलाओं ने नाराज हो कर दो स्थानों, नगरा मोड़ तथा जल्पा चौक पर विरोध प्रदर्शन किया जिसे हटाने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया. प्रार्थनापत्र के अनुसार इस घटना में एकपक्षीय कार्यवाही हुई और मात्र श्री रामबचन यादव के पक्ष की तहरीर पर दुर्गा पूजा कमेटी के सदस्यो सहीत करीब चैदह लोगो पर मुकदमा दर्ज किया गया. समाचार के अनुसार स्थानीय पुलिस ने दवाब में आ कर मानवाधिकार उल्लंघन करते हुए कई दबिश डाली जिसके कारण आरोपित पक्ष के सभी लोग घर से पलायित हो गए हैं.
प्रार्थनापत्र के अनुसार श्री संजीव पर इस घटना को सत्यपरक ढंग से नहीं छपने के लिए भारी दवाब डाला गया और समाचार न छापने को लेकर उनके उपर काफी लोगो का दबाव व धमकी मिलती रही. फिर भी उन्होंने निष्पक्ष पत्रकारिता के मानदंडों के अनुरूप दिनांक 05/10/2014 को घटना तथा दिनांक 06/10/2014 तथा 08/10/2014 को कथित पुलिस उत्पीड़न के सम्बन्ध में समाचार प्रकाशित किये.
प्रार्थनापत्र के अनुसार इन बातों से विपक्षीगण इतने बौखला गए कि दिनांक 08/10/2014 दिन बुधवार को शाम 07.30 बजे जब श्री संजीव बस स्टेशन चैराहा सिकन्दरपुर पर मोबाईल पर बात कर रहे थे तो अचानक श्री धर्मेन्द्र, श्री छोटक सिंह तथा करीब आधा दर्जन लोग आ धमके और गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी देते हुए कि समाचार छापोगे तो यही अंजाम होगा, उन पर हमला भी किया.
श्री संजीव के अनुसार वे इस घटना के बाद थाना सिकन्दरपुर गए जहां उन्होंने इस घटना की लिखित सूचना थानाध्यक्ष सिकंदरपुर को दिया लेकिन उन्होंने इस मामले पर संज्ञान लेने से स्पष्टतया इनकार कर दिया. श्री संजीव के अनुसार थानाध्यक्ष ने न तो एफआईआर दर्ज किया, न घटना स्थल पर गए और ना ही थाने का एक भी पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचा. श्री संजीव ने इलाज व मेडिकल के लिए थानाध्यक्ष से गुहार लगाया तो थानाध्यक्ष ने उनका मेडिकल कराने से साफ इन्कार कर दिया. जब इस घटना की जानकारी स्थानीय पत्रकारों को हुई तो वे भी आ गए जिनके दवाब में थानाध्यक्ष ने तहरीर तो ले ली लेकिन मेडिकल कराने से इनकार कर दिया. श्री संजीव ने इसके बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सिकंदरपुर में प्राइवेट रूप में अपना मेडिकल कराया.
श्री संजीव के अनुसार उन्होंने इस घटना की जानकारी एसपी, बलिया श्री राजाबाबू सिंह को भी दी लेकिन उन्होंने भी उलटे उनके प्रति नाराजगी व्यक्त करते हुए मामले में कोई अग्रिम कार्यवाही करने के इनकार कर दिया.
श्री संजीव द्वारा उपलब्ध कराये गए मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार दिनांक 08/10/2014 को समय 09.10 बजे रात्रि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उनका परीक्षण शुरू हुआ जो 09.30 बजे समाप्त हुआ. मेडिकल रिपोर्ट में तीन चोटें अंकित हैं- “Contusion on left side cheek size 05cmx03cm, swelling on head size 03cmx04cm, complaint of pain on back and chest.मेडिकल के अनुसार ये चोटें fresh तथा simple हैं. एक दुसरे पर्चे में Surgeon opinion Refer to Ballia District Hospital अंकित है.
उपरोक्त मेडिकल रिपोर्ट से प्रथमद्रष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि श्री संजीव के साथ कोई घटना अवश्य हुई क्योंकि इस मेडिकल का समय और घटना घटने तथा उसके बाद थाने जाने के समय में लगभग पूर्ण तालमेल है. यह भी महत्वपूर्ण है कि श्री संजीव ने थाने को दी अपनी एफआईआर में श्री संतोष पुत्र श्री शुभ नारायण निवासी ग्राम मासूमपुर थाना खेजुरी को मौके का गवाह भी बताया है. उन्होंने इसके साथ थाने पर तमाम स्थानीय पत्रकारों के पहुँचने और इन सभी लोगों के साथ जा कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर उपचार कराये जाने की बात भी कही है. उन्होंने इस प्रकार की घटना होने का एक निश्चित कारण (मोटिव) भी बताया है.
आप सहमत होंगे कि यदि श्री संजीव को अपनी पत्रकारिता में निष्पक्ष कार्यों के लिए इस प्रकार की प्रताड़ना और आपराधिक हमलों का शिकार होना पड़ा है तो यह मामला अत्यंत ही सीरियस और गंभीर है. यदि एक व्यक्ति को कथित रूप से इस कारण से मारापीटा गया हो कि उसने मनमाफिक खबर क्यों नहीं छापी अथवा इसने निष्पक्ष खबर क्यों छापी तो मामला स्वतः ही अत्यंत गंभीर हो जाता है. उस पर यदि वे अपने कुछ चोट दिखाते हुए कुछ लोगों द्वारा उन्हें मारने-पीटने और इस मार-पीट के पीछे के कारण को स्पष्ट करते हुए थाने पहुंचे थे तो इस सम्बन्ध में एफआईआर दर्ज नहीं करने तथा मेडिकल तक नहीं कराने का प्रकरण वास्तव में गंभीर कहा जाएगा.
उपरोक्त तथ्यों के दृष्टिगत मैं आपके सम्मुख यह प्रकरण रखते हुए सादर निम्न निवेदन कर रही हूँ-
1. कृपया इस मामले में एक पत्रकार को सत्यपरक खबर छापने के लिए पीटे जाने और उस पर एफआईआर तथा मेडिकल तक नहीं होने के सम्बन्ध में तत्काल अपने स्तर से उच्च-स्तरीय जांच करा कर इस प्रकरण में समस्त आवश्यक विधिक तथा प्रशासनिक कार्यवाही कराये जाने की कृपा करें
2. कृपया भविष्य में ऐसे किसी प्रकरण की पुनरावृत्ति नहीं होने और ऐसा होने पर गंभीर कार्यवाही किये जाने के विषय में आवश्यक दिशानिर्देश निर्गत करने की कृपा करें
भवदीय,
डॉ नूतन ठाकुर
अमिताभ ठाकुर
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
# 94155-34526
दिनांक – 10/10/2014 (
संलग्नक- प्रार्थनापत्र तथा मेडिकल की प्रति
देवानन्द यादव
October 13, 2014 at 5:03 am
यूपी सरकार मै पत्रकारों के ऊपर बहुत अत्याचार हुए और लगातार हो रहे है ।हांलाकि संसदीय चुनाव से सीख लेते हुए सपा सरकार विज्ञापन देकर मीडिया को अपनी तरफ झुकाव करा रही है ।दूसरी तरफ पत्रकारों पे हो रहे हमलों पे को देखकर अनदेखा कर रही है सपा सरकार ।सपा के दोहरे रवैये से अभी और दरदिन देखना हो सकता है ।अभी भी वक्त है सपा सरकार के पास नही तो समलने का मौका तक नही मिलेगा ।
manoj kumar
October 18, 2014 at 12:41 pm
संजीव जी बड़े ही खेद की बात है की आपके साथ ऐसी घटना हुई लेकिन यह कोई पहला मामला नहीं है इसे पहले भी ऐसी घटनाये होती रही है । दरसल में एक पत्रकार ही दूसरे पत्रकार का साथ नही देता सभी अपने को बड़ा पत्रकार बनाने में लगे है । जब वह किसी नेता ,अधिकारी के पास जाते है तो दूसरे पत्रकार को निचा दिखाते है और तलवे चाटते हुए कहते है की साहब यह तो ऐसे ही है । और तो और यदि वह कोई खबर लगा देता है तो उसकी काट भी वह साहब को बता देते है तो पत्रकारों का स्तर ऐसे ही चाटुकारिता करने वाले पत्रकारो की वजह से गिरा रहा है । यदि कलम की ताकत एक साथ हो जाये तो किसी की मजाल नहीं है की कोई भी आँख उठकर देख सके क्योकि जहातक में जनता हु की पूरी दुनिया में इससे बड़ी कोई ताकत नहीं ।
099-338-772 manoj kumar faridabad