सलमान खान और जयललिता प्रकरण से भारतीय न्यायपालिका विश्वसनीयता की उस पायदान पर जा पहुँची है जहाँ उसके विषय में की गई हर सरगोशी सच लगती है। बहुत बड़े साइज़ के अति विश्वसनीय क़िस्म के सूत्र के अनुसार जयललिता के लिये देश की सर्वोच्च न्यायालय में क्या क्या होना है यह scripted है ” लिख के ले लो, उधर कर्नाटका सरकार अपील करेगी इधर सुप्रीम कोर्ट में जयललिता की “ग्रान्ट लीव” का फ़ैसला आ जायेगा और मामला आठ दस साल के इंतज़ार के ब्रेकेट में जा गिरेगा”, ऐसा दावा किया गया है । अम्माँ” इस अरेंजमेंट की राजनैतिक क़ीमत चुकायेंगीं । वे राज्यसभा में “केन्द्र सरकार के बिल पास कराने में सहयोग देंगी “।
ममता बनर्जी “श्रद्धा”मामले में सीबीआई से स्वयं के लिये क्लीन चिट चाहती हैं । सीबीआई ने इधर उन पर चुप लगा ली है जबकि जेल पहुँचा उनका हर सहयोगी सीबीआई को दीदी की जाँच की चुनौती दे रहा है ! दूसरी ओर राज्य सभा में और बार्डर के सवालों पर तृणमूल और केन्द्र सरकार में “कुछ मुद्दों पर सीमित सहयोग”शुरू हो चुका है । सूत्रों के अनुसार ममता दी तैयार हैं पर उन्हे बंगाल के मुस्लिम वोट बैंक की चिंता सता रही है जो अभी होलसेल में उनके साथ है और जो उनकी सफलता की रीढ़ की हड्डी है । इस सीमित सहयोग के जवाब में दीदी को न्यायिक स्क्रुटिनी से अभयदान दिलाने को केन्द्र तैयार है !
श्रद्धा मामले की जाँच हाई कोर्ट की निगरानी में सीबीआई कर रही है ।
आने वाले दिन बतायेंगे कि “न्याय ” के Compromise होने की ये सरगोशियां सच हैं या अफ़वाह !
शीतल पी सिंह के एफबी वॉल से