यशवंत जी, मीडिया में मेरा अनुभव बहुत ज्यादा तो नहीं, पर इतना समझ जरुर आ गया है की चैनल छोटा हो या बड़ा शोषण हर जगह होना है। मैं बात कर रहा हूं देश क सबसे बड़े चैनल आज तक के बारे में। कुछ महीनो पहले मुझे आज तक के लैंडलाइन नंबर से काल आई। नंबर देख कर मैं अचंभित हुआ। मैंने झट से फ़ोन रिसीव किया, उधर से आवाज आई ‘मैं आज तक के एचआर डिपार्टमेंट से बोल रही हूं। आपका रिज्यूम ‘…….’ जी से प्राप्त हुआ, क्या आप इंटरव्यू के लिए आ सकते हैं।’ मेरी ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं करूं क्या? और ऐसा होना स्वभाविक भी था। देश के सबसे बड़े न्यूज़ चैनल से काल जो आई थी, और बुलावा भी ऐसे शो (‘सो सॉरी’) के लिए था जो पहले से ही बहुत पॉपुलर था।
मुझे अगले दिन कन्फर्मेशन कॉल आई की ‘आप आ रहे हो ना।’ मैंने भी कहा जी बिलकुल और फिर मैं इंटरव्यू के लिए पंहुचा। अंदर जाने पर मुझे एक छोटा सा टेस्ट दिया गया, जो मैंने कुछ ही घंटो में पूरा कर लिया। उस के बाद एक पुरुष व एक महिला मेरी तरफ आये और मुझे कहा “आप टेस्ट के लिए आये हो।” मैंने कहा जी। टेस्ट देखने के बाद उन्होंने मुझे शाबाशी दी। मैं मन ही मन मान लिया की आज तो नौकरी पक्की। फिर मुझे अपने साथ ले गए और पैसे को लेकर मोल भाव करने लगे और बोले कब से जॉइन कर सकते हो। एक सप्ताह के बाद के लिए मैंने हामी भर दी। उस के बाद पुछा शिफ्ट को लेकर कोई प्रॉब्लम तो नहीं है मैंने कहा कोई नहीं। उस के बाद मैं वहां से निकल गया।
ठीक एक सप्ताह के बाद ऑफिस पंहुचा। ऑफिस में हर को व्यस्त नज़र आ रहा था। नज़र हर तरफ घूमने के बाद भी वो पुरष और महिला नहीं दिखे। पूछने पर पता चला कि ये दोनों ही बॉस हैं और दोपहर के 2 बजे तक आएंगे। पहला दिन था सो थोड़ा अलग सा फील हो रहा था। दोपहर २:३० बजे वो दोनों आये। ऑफिस में मानो सन्नाटा सा पसर गया। मुझे इशारा किया और मैं उनके पास गया। वे बोले आ गए, मैंने कहा जी उसके बाद मुझे भी थोड़ा बहुत काम थमा दिया गया। मैंने कुछ घंटो में उसे खत्म कर लिया। शाम क 7 बज चुके थे पर कोई भी अपनी जगह से हिल नहीं रहा था। मैंने अपने बगल में बैठे एक मित्र से पुछा भाई घर कब तक निकलना है। उधर से हंसते हुए जवाब आया क्यों क्या हुआ। मैंने कहा भाई घर जाने का समय हो गया है। उसने कहा वो उधर जो मैडम बैठी हैं उनसे पूछ कर चले जाओ। मैं भी उनके पास गया और जाने के लिए पुछा, उधर से जवाब आया इतनी जल्दी। मैंने कहा रात के 8 बज चुके हैं, घर जाना है। बोला आज तो चले जाओ लेकिन कल से धयान रखना। मैं वहां से निकल गया।
अगले दिन 10 बजे ऑफिस पंहुचा। मैंने एक मित्र से ऐसे ही पुछा यहां ऑफिस टाइम क्या है भाई? उसने बोला भाई कोई टाइमिंग नहीं है, बस करते रहो….करते रहो। मैंने कहा कब तक, तो वो बोला जब तक काम खत्म न हो जाये। मैंने कहा भाई काम अगर 2 दिन खत्म न हुआ तो क्या 2 दिन यहीं रहोगे। उसने कहा जी हां। मैंने कहा लेकिन यहाँ बाकी सबकी तो टाइमिंग ऐसी नहीं है। उसने कहा भाई वो इंडिया टुडे में हैं। मैंने कहा भाई हम भी तो इंडिया टुडे ग्रुप में ही हैं। उसने कहा नहीं भाई हम मॉर्फ़ टेक्नोलॉजी के एम्प्लॉई हैं और यहाँ उनके ही रूल्स चलते हैं। मैंने कहा लेकिन भाई मुझे तो इंडिया टुडे ग्रुप बताया था और कॉल भी यहीं के नंबर्स से की थी।
मैं तुरंत एचआर के पास पंहुचा और उनसे अप्वाइंटमेंट लेटर के लिए कहा। उन्होने जवाब दिया मिल जायेगा। मैं वहां से बिना कुछ कहे वापस आ गया। रात के 9 बज चुके थे लेकिन सब के सब वहीं बैठे हुए थे मैं घर जाने के लिए उठा तो पास में बैठे मित्र ने कहा कहा चले भाई? मैंने कहा घर और कहां। उसने कहा मैडम से पूछ लिया। मैंने कहा भाई रात के 9 बज रहे हैं और आप कह रहे हो घर जाने के लिए मैडम से पूछो। उसने कहा हां भाई यहाँ पूछ के ही जाना होता है। मैं बिना कुछ बोले वापस बैठ गया। रात के 2 बज चुके थे और मैं वही कंप्यूटर के सामने आँख गड़ाए बैठा था। थोड़ी देर क बाद सर और मैडम दोनों घर के लिए निकल गए। नींद से बुरा हाल हो गया था। मैं भी थोड़ी देर कुर्सी पे बैठा और कब सो गया पता नहीं चला।
सुबह 6 बजे मेरी आँख खुली। कुछ लोग अभी भी कंप्यूटर के सामने ही थे और कुछ इधर उधर। मैंने कहा भाई अब तो घर जा सकता हुं। उसने कहा मैडम से पूछ लो चले जाना। मैंने कहा भी पूरा दिन यहीं गुज़रा पूरी रात यहीं गुज़री और अभी भी मैडम से पूछ कर जाना होगा। उसने कहा हां भाई बिना पूछे गए तो नौकरी से निकाल देंगी। यही रोज का आलम है। अब तो संक्षेप में कहुंगा जानवरों से बदतर हाल हो गया है यहाँ सब का। एक सप्ताह में बस 2 दिन ही घर जाने को मिलता है। पूरे दिन पूरी रात यहीं पड़े रहो। सर और मैडम की गालियां सुनते रहो। एक महीने की सेलरी में दो महीने का काम करो। दो दिन दो रात लगातार काम करने के बाद दो से चार घंटे की नींद ……….ईराक में बंधक बनाये गए लोगो की तरह हमें भी बंधक बना कर रखा गया है। कोई हेल्प करे हमारी….. प्लीज़….
भड़ास को भेजे गए पत्र पर आधारित।
amit
June 27, 2014 at 5:06 pm
abe tere se kisne kaha yeha kaam karne ko, apna shoshn khud hi karwa raha hai. jahan pehle tha woha chala ja, par nahi jayega kyoki tu janta hai ye bada banner hai. to laga rah bhaiya.
Usmaan Siddiqui
June 29, 2014 at 4:33 am
* ये नौकरी मुझे चाहिए..मैं 24 घंटे काम करने को तैयार हूं और करता ही हूं विदआउट टेकिन एनी वीकऑफ..”सहारा समय” से लेकर “समाचार प्लस” और “डी-6 टीवी” तक के लोग इस बात की पुष्टि कर सकते हैं..”आज-तक” ग्रुप के चार-चार वरिष्ठ लोग पिछले एक साल से मेरी नौकरी वहां लगवाने के लिए प्रयासरत हैं लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है और तू लगी-लगाई नौकरी में मीन-मेख निकाल रहा है…अबे “आज-तक” जैसे चैनल में काम करना एक सपने जैसा होता है और यहां के न्यूज़ रूम में सोना क़िस्मत वालों को ही नसीब होता है…तुझे नौकरी भी मिल गई और न्यूज़ रूम में सोना भी नसीब हो गया लेकिन अब भी तुझे चैन नहीं है कामचोर..उनसे पूछ जो नौकरी की आस में पूरा-पूरा दिन “आज-तक” के बाहर सड़क पर धूप में ही अपना पूरा दिन गुज़ार देते हैं और तू “आज-तक” के न्यूज़ रूम के एसी का मज़ा लेने के बावजूद भड़ास में शिकायत छपवाकर संस्थान की बदनामी करता है नमकहराम.
मेरा नाम उस्मान सिद्दीक़ी है,
तू मुझे इस नंबर पर संपर्क करना:-
+91 98-18-761-786.
amit sahu
May 2, 2015 at 6:57 pm
इतना ही लिखना है मुझे
ऊपर के दो सज्जनो के कमेंट पढ़कर हंसी नहीं रुक रही….हिंदी में लमाओ