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भास्कर प्रबंधन एक जालसाज-वसूलीबाज को बचाने के लिए ब्रांड इमेज भी दांव पर लगाने को तैयार! (पढ़िए डीएनई आदित्य पांडेय की चिट्ठियां)

मीडिया के साथियों….

मैं आदित्य पांडे इंदौर डीबी स्टार में 3 अगस्त 2008 से कार्यरत हूं और फिलहाल डीएनई की पोस्ट पर हूं. लगभग 3 साल पहले संपादक के तौर पर आए श्री मनोज बिनवाल को मैं कभी भी पसंद नहीं रहा क्योंकि वे कमोबेश हर खबर में पैसा बनाने की राह तलाशने को पत्रकारिता मानते हैं. दिसंबर 2015 में मनोज बिनवाल ने मुझे सूचना दी कि न्यू ईयर टीम के साथ मुझे काम करने के लिए नेशनल एडीटर कल्पेश याग्निक ने चुना है. मैंने इस टीम में काम किया और एक जनवरी 2016 से मैं फिर अपने मूल काम यानी डीबी स्टार में लौट आया.

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मीडिया के साथियों….

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मैं आदित्य पांडे इंदौर डीबी स्टार में 3 अगस्त 2008 से कार्यरत हूं और फिलहाल डीएनई की पोस्ट पर हूं. लगभग 3 साल पहले संपादक के तौर पर आए श्री मनोज बिनवाल को मैं कभी भी पसंद नहीं रहा क्योंकि वे कमोबेश हर खबर में पैसा बनाने की राह तलाशने को पत्रकारिता मानते हैं. दिसंबर 2015 में मनोज बिनवाल ने मुझे सूचना दी कि न्यू ईयर टीम के साथ मुझे काम करने के लिए नेशनल एडीटर कल्पेश याग्निक ने चुना है. मैंने इस टीम में काम किया और एक जनवरी 2016 से मैं फिर अपने मूल काम यानी डीबी स्टार में लौट आया.

जनवरी 2016 में अचानक एक दिन मुझे कल्पेश याग्निक ने बुलाकर कहा कि आप न हमारे साथ काम कर रहे हैं और न ही डीबी स्टार में काम कर रहे हैं. मैं इस बात पर चौंक गया क्योंकि मैं लगातार अपना काम कर रहा था और आफिस के रिकार्ड से लेकर वीडियो रिकार्डिंग तक सभी से मेरी बात सही साबित हो रही थी लेकिन बिनवाल ने न जाने मेरे खिलाफ कल्पेश को क्या क्या कहा था कि वे सच सुनने को तैयार ही नहीं थे.

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मैंने काफी कहा कि बिनवाल को सामने बुलाकर बात साफ कर ली जाए लेकिन इस पर भी कल्पेश राजी नहीं हुए. इस बीच मुझे पता चला कि बिनवाल ने एचआर के पास भी मेरी काफी शिकायतें की हैं लिहाजा मैंने एचआर की तत्कालीन स्टेट हेड जया आजाद से शिकायतों की जानकारी ली और बिनवाल के सारे झूठों की हकीकत एचआर हेड के सामने खुद बिनवाल की मौजूदगी में बता दी. इससे बिनवाल का बौखलाना स्वाभाविक था और इसी रौ में उन्होंने मुझे कह दिया कि अब मैं इंदौर तो क्या मध्यप्रदेश में भी काम नहीं कर सकता. लगभग एक महीने तक मुझे कोई काम नहीं दिया गया और डीबी स्टार में मेरी जगह एक रिटायर व्यक्ति को लाकर बैठा दिया गया.

मार्च अंत तक आते आते मेरा तबादला रायपुर कर दिया गया और इससे पहले यह देख लिया गया कि मेरे वहां जाने की कोई संभावना तो नहीं है. मैंने बजाए इस्तीफा देने के नेशनल एडीटर और एमडी सुधीर अग्रवाल से मिलकर अपनी बात रखने की राह चुनना बेहतर समझा और इसके लिए आवश्यक था कि मैं संस्थान में बना रहूं, इसलिए मैंने रायपुर में ज्वाइनिंग दे भी दी. पिछले छह महीने के समय में मैं एमडी को ई मेल और रजिस्टर्ड लेटर के जरिए सारी जानकारी भेज चुका हूं और हर बार मिलने के लिए समय की मांग भी कर चुका हूं. यही हालत कल्पेश याग्निक के मामले में है. चूंकि बिनवाल तो कल्पेश के खास आदमी हैं और तमाम हेरफेर व जालसाजी के मामलों की जानकारी होते हुए भी उन्हें बचाते रहे हैं इसलिए मुझे उनसे तो कोई उम्मीद भी नहीं थी लेकिन एमडी की तरफ से भी कोई जवाब मुझे नहीं मिला है.

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इस पूरे मामले में एक कमाल की बात यह भी है कि बिनवाल पर अदालती आदेश के बाद पुलिस ने जालसाजी के एक मामले में एफआइआर भी दर्ज कर रखी है और भूमाफियाओं से उनके संबंध को लेकर कई सबूत भी कई स्तरों पर पेश किए जा चुके हैं. खुद भास्कर में बिनवाल पर अंदरूनी जांच हुई थी जिसमें महाशय के खिलाफ कई टिप्पणियां थीं लेकिन इस पर सच के पक्ष में जमकर लिखने वाले कल्पेश याग्निक ने ही कभी कार्रवाई नहीं होने दी. बिनवाल ने मेरे खिलाफ लंबी साजिशें कीं लेकिन एक मामले में भी वे कोई ठोस बात नहीं कह सके इसलिए उन्होंने मैनेजमेंट के गले यह बात उतारी कि यह व्यक्ति मजीठिया को लेकर दूसरे कर्मचारियों को प्रभावित कर सकता है और खुद भी संस्थान पर कानूनी कार्रवाई की ताक में है.

यही वजह है कि बिना किसी वजह के मेरा रायपुर तबादला कर दिया गया जबकि जालसाज और हर खबर के एवज में पैसे बनाने वाला बिनवाल मजे कर रहा है और अब भी रिपोर्टर वगैरह को साफ कह रहा है कितनी भी एफआईआर हो जाए, मेरा कोई कुछ बुरा नहीं होगा. आश्चर्य तो भास्कर प्रबंधन पर होता है जो एक जालसाज और वसूलीबाज को बचाने के लिए इस हद तक उतर जाता है कि ब्रांड इमेज को भी दांव पर लगाने को तैयार है और अपने एक ऐसे कर्मचारी के खिलाफ है जिसका अब तक का पूरा मीडिया का करियर बेदाग रहा है.

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आदित्य पांडेय
[email protected]


कुछ पत्राचार….

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Dear Aditya Sir,

As discussed kindly deposit your laptop at Raipur IT department.

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@Akash,

Kindly take laptop asset master no 420022353  Lenovo B4080, SN MP09C4RE with cordless mouse and send back to us.

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Regards,
Ashok Patidar
[email protected]
IT – Indore
Extension – 2578 | Mobile – 9669393111

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Dear ashok ji

first of all i simply want to mention that i deposited said laptop with wireless mouse, charger and other attachments along with my company ID and access card. infact i prebiously offered to deposit company laptop more than 5 times. as soon as i got transfer letter i contacted my senior mr binwal and talked about laptop also. he asked me to check HR policy about this.

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HR persons were unaware of any set guideline of laptop policy in transfer case. they asked me to check it with IT. i talked to you in this reagrd and was assured that my asset ‘ll be transferred and there is no requirement for depositing it. it’s really disturbing and hurting that after assuring me i got mail for depositing laptop and that too with 5 persons in Cc and Bcc. i dont know who was the person behind maligning my image in such manner but for any existing employee such incident is hurting and kind of misbehave.

yours faithfully
aditya pandey
[email protected]
DNE, DB STAR, RAIPUR

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……

आदरणीय सुधीर जी,
एमडी, दैनिक भास्कर

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महोदय

गत 30 जनवरी को मैंने (आदित्य पाण्डे, डीएनई डीबी स्टार ) आपको एक पत्र लिखा था जिसमे मैंने अपने साथ हो रहे बर्ताव के बारे में बताया था और इ्सका भी जिक्र किया था कि डीबी स्टार संपादक श्री बिनवाल जो कुछ कर रहे हैं उसके बारे मे सच सुनने से समूह संपादक श्री कलपेश यागनिक साफ इंकार कर चुके हैं। दरअसल मैंने यह तक कहा कि वे श्री बिनवाल को सामने बुला लें ताकि मैं मामले की हक़ीक़त सार्वजनिक तौर पर बता सकूँ। आपको पत्र भेजने के बाद आपके दफ्तर की ओर से तो कोई कार्रवाई नहीं हुई लेकिन श्री बिनवाल ने यह कहते हुए मेरा रायपुर ट्रान्सफर कर दिया कि अब मैं इंदौर तो क्या एमपी मे भी काम नहीं कर सकता।

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बिनवाल एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनके खिलाफ कई आरोप हैं कुछ मामलों में तो सबूत भी दिये गए हैं और अब तो हालात यहाँ तक पहुँच गए हैं कि खुद अदालत ने आदेश दिया कि पुलिस एफआइआर दर्ज करे, आपको पता ही होगा कि मामला जालसाज़ी और 420 के अलावा क्रिमिनल कोन्स्पिरेसी का है श्री बिनवाल सिर्फ ऐसे लोगों को पसंद करते हैं जो उनके ऐसे कामों मे साथ खड़े हों… इससे पहले खुद भास्कर ने भी इन महाशय पर भ्रस्टचार को लेकर जांच बैठाई थी कमाल कि बात यह है कि उनके भ्रस्टाचार के खिलाफ बोलने वाले हर व्यक्ति पर कार्रवाई हो चुकी है और यह सूची लंबी है जिसका मैं सबसे ताज़ा उदाहरण हूँ। आश्चर्य है कि व्हिसल ब्लौइंग पॉलिसी के खिलाफ खुद कंपनी ने व्हिसल ब्लौएर्स को प्रताड़ित करने की ताकत ऐसे (बिनवाल जैसे) लोगों को दे रखी है। बात मेरे ट्रान्सफर की नहीं है और मैं उसे लेकर तो कुछ कहना भी नहीं चाहता क्योंकि बिनवाल जी लंबे समय से चाहते रहे हैं कि मैं संस्थान छोड़ दूँ और उनके भ्रस्टाचार के लिए राह खाली कर दूँ।

पिछले दिनों मुझे यह लगने लगा कि शायद भास्कर समूह भी यही चाहता है। जाहिर है कि ऐसा महसूस होने के बाद संस्थान छोडना कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं रह जाता है लेकिन जिस संस्थान को मैंने अपने जीवन के 10 से ज्यादा साल दिए हों और जिस से मेरा 15 साल से ज्यादा का सतत संपर्क रहा हो, उसके शीर्ष प्रबंधन से मैं यह तो कह ही सकता हूँ कि मैंने कभी पत्रकारीय मूल्यों से समझौता नहीं किया। साथ ही यह भी कि जो भ्रस्टाचारी मेरे दुश्मन बन बैठे हैं वो भी मुझ पर किसी तरह का आक्षेप नहीं लगा सकते हैं। मैंने अपने पिछले पत्र मे भी आपके बहुमूल्य समय में से दो मिनट चाहे थे और आज फिर मैं यही चाहता हूँ कि मुझ जैसे व्यक्ति को संस्थान में रहना चाहिए या नहीं ये खुद आप तय करें। कृपया मुझे दो मिनट का समय दें ताकि मैं अपना पक्ष रख सकूँ और संभव हो तो अपना सक्रिय योगदान संस्थान को देते रहने के बारे मे निर्णय कर सकूँ।

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धन्यवाद
आपका स्नेहाकांक्षी
आदित्य पाण्डे (14143)
डीएनई, डीबी स्टार रायपुर

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आदरणीय श्री सुधीर अग्रवाल जी
एमडी, दैनिक भास्कर भोपाल

मैं आदित्य पांडे दैनिक भास्कर के डीबी स्टार इंदौर में 1 अगस्त 2008 से यानी इसके प्रकाशन से कुछ पहले से कार्यरत हूं और वर्तमान में डिप्टी न्यूज एडीटर के पद पर हूं। पिछले कुछ समय से मेरे साथ चल रही घटनाओं ने मुझे विचलित किया है और इससे सीधे मेरे कार्यनिष्पादन पर भी असर पड़ रहा है इसलिए मुझे आपको यह पत्र लिखने को मजबूर होना पड़ रहा है। दो महीने पहले मेरे इमीजिएट बॉस और डीबी स्टार(इंदौर मप्र) के मुखिया श्री मनोज बिनवाल किन्हीं संजय मिश्रा नाम के सज्जन को साथ लाए। मुझसे उनका परिचय कराते हुए श्री बिनवाल ने कहा कि मिश्राजी को कल्पेशजी की टीम में काम करने के लिए लाया गया है लेकिन सिटी डीबी स्टार का काम और मेट्रिक्स सॉफ्टवेयर समझाने के लिए उन्हें कुछ समय यहां रखा जाएगा आप इन्हें आवश्यक मदद करते रहें। खुद मिश्राजी का भी यही कथन था जिस पर भरोसा न करने का कोई कारण मेरे पास नहीं था।

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दिसंबर के पहले हफ्ते के बाद मुझे श्री बिनवाल की ओर से मेरे वॉट्सएप, मैसेंजर, भास्कर मेल और निजी आईडी और आखिरकार फोन पर बताया गया कि मुझे नए साल के बनाई गई टीम में काम करना है। इस विषय पर मैंने निर्देशों के अनुसार श्री कल्पेश से मुलाकात की और उनसे दो दिन की मोहलत चाही क्योंकि तब मेरी पत्नी को टाइफाइड व कुछ अन्य स्वास्थ्यगत परेशानियां थीं। श्री कल्पेश याग्निक के शब्दों में ‘’मेरे पास काम करने के लिए काफी लोग हैं लेकिन मनोज (बिनवाल ) ने कहा कि डेस्क हेड के तौर पर संजय मिश्रा को रखा जा सकता है इसलिए आदित्य जी का क्या करें। मैंने उन्हें यही कहा है कि मैं आदित्य को कहीं ‘एब्जॉर्ब’ कर सकता हूं।‘’

इस संवाद के बाद मैं नए साल की टीम के सदस्यों के साथ काम में जुट गया जिसमें अमूमन काम के घंटे सामान्य से दोगुना या उससे भी ज्यादा हो जाते थे। यह सिलसिला 31 दिसंबर तक चला। 31 दिसंबर और 1 जनवरी की दरमियानी रात लगभग एक बजे श्री कल्पेश ने पूरी टीम को नए साल की बधाइयां देते हुए अपने अपने कार्यक्षेत्र लौट जाने की इजाजत दे दी। इससे अगले ही कार्यदिवस पर मैं श्री बिनवाल की मौखिक अनुमति के साथ डीबी स्टार में काम पर लौट आया और बाकायदा वे सभी कार्य संपादित करने लगा जो डीएनई के नाते मुझे करने चाहिए। श्री बिनवाल जो कि खबरों के संबंध में लेन देन के विशेषज्ञ माने जाते हैं मुझसे लंबे समय से इस बात को लेकर परेशान हैं कि प्रायोजित खबरें या किसी एक पक्षीय खबर को लेकर मैं कड़ी आपत्ति करता रहा हूं।

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नेशनल आइडिएशन रुम में काम करने के बाद श्री बिनवाल का व्यवहार ज्यादा आ्क्रामक हो गया इसी के चलते वो मेरे अधीनस्थों से सीधे संवाद करते हुए मुझे दरकिनार बताने की कोशिश कर रहे थे। यहां तक कि बिटवीन द लाइंस का वह कॉलम जो शुरुआत से अब तक मैंने बिना किसी कांट छांट के स्वयं ही लिखा और इसमें कोई संपादन नहीं किया जाता था वह अब दखलंदाजी का शिकार होने लगा, दुख इ बात का था कि इस प्रक्रिया में काम के स्तर का भी ध्यान नहीं रखा गया। मैं डीबी स्टार में पूरा समय देने व कार्य करने के दौरान कई कई बार श्री बिनवाल से मिलता और संवाद करता रहा और श्री बिनवाल से अनुरोध करता रहा कि वे एचआर को आवश्यक मेल तो डाल दें ताकि यह पता रहे कि मैंने टाइमिंग में कोई कोताही नहीं बरती बल्कि मैं स्पेशल प्रोजेक्ट पर कार्यरत था।

कमाल यह कि नए साल की टीम में चुने जाने की सूचना पांच माध्यमों से देने वाले श्री बिनवाल ने एक भी ऐसा मेल मुझे लेकर एचआर को नहीं किया ताकि मैं प्रताड़ित होता रहूं और एचआर मुझसे सफाई मांगे। मेरे लगातार आने का सिलसिला 16 जनवरी तक चला जबकि मैंने आवश्यक कार्य से मुंबई जाने के लिए तीन दिन अवकाश का आवेदन दिया। श्री बिनवाल से स्वीकार करते हुए यह भी कहा कि इतनी दूर जाने पर यदि एक दो दिन और रुकने की आवश्यकता हो तो मैं अवकाश बढ़ा दूंगा। मैं इसमें उनकी सदाशयता देख रहा था लेकिन बाद में पता चला कि वे इस समय का इस्तेमाल सुनियोजित तरीके से मुझे हटाकर संजय मिश्रा को मेरी जगह लाने पर करना चाहते थे। मुंबई में मुझे वाकई एक दिन अतिरिक्त छुट्‌टी की जरुरत पड़ी जिसे मैंने बिनवाल के आश्वासन के आधार पर ले लिया और उन्हें इस बाबत जानकारी दे दी।

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मुझे 20 तारीख को श्री बिनवाल ने कहा कि मुझे नेशनल एडीटर कल्पेश याग्निक से कल ही मिलना है। निर्देशानुसार मैंने श्री कल्पेश से मुलाकात की जो मुझसे पहले किसी व्यक्ति को डांटने के लिए लगभग पूरे न्यूजरूम के लोगों को एकत्र कर चुके थे जिनमें मैं भी एक था। इसके तुरंत बाद जैसे ही कल्पेशजी ने मुझे देखा तो मुझे कहा आप इस्तीफा लिख दें। मैं अवाक रह गया। मैंने उनका गुस्सा शांत करते हुए वजह समझने की कोशिश की लेकिन इस दौरान मुझे सभी के सामने काफी भला बुरा कहते हुए झूठा, कामचोर और स्वेच्छचारिता करने वाला बताया गया। मैंने कहा कि यदि कहीं कोई गलतफहमी हुई है तो श्री बिनवाल को बुलाकर इसे दूर किया जा सकता है लेकिन इस संभावना से साफ इंकार कर दिया गया। लगभग 15 मिनट तक मुझे अपमानजनक तरीके से काफी कुछ कहा गया और इसी दौरान मुझे यह भी कहा गया कि अब डीबी स्टार में आपकी जगह संजय मिश्रा को रख लिया गया है इसलिए आपको अपनी सीट पर बैठने की इजाजत नहीं है। मुझे तनख्वाह न बनने देने की बात भी कही गई।

बाद में मुझे कहा गया कि आप अपनी ओर से पूरी बात एक पत्र में बताएं कि आपने आदेश क्यों नही माना (जबकि कोई आदेश दिया ही नहीं गया था), इसके बाद ही आपके लिए नई जिम्मेदारी के बारे में सोचा जा सकेगा। हकीकत यह है कि मुझे मेरी जिम्मेदारियों में परिवर्तन संबंधी किसी तरह का कोई निर्देश या आदेश नहीं दिया गया था, न लिखित और न ही मौखिक। नए साल की टीम में शामिल किए जाने संबंधी सूचना के बाद से श्री बिनवाल की ओर से मुझे किसी तरह से इस बारे में बताया नहीं गया। इस बाबत जो मेल मैंने श्री कल्पेश और उनके सहयोगी श्री शक्ति को भेजा उसका जवाब मुझे आज तक नहीं मिल सका है जबकि मैं प्रतिदिन ऑफिस पहुंच रहा हूं और उपयुक्त समय भी दे रहा हूं। मुझे डीबी स्टार में बैठने से इंकार किया गया है और नई जगह नहीं दी गई है इसलिए मुझे ऑफिस कैंपस में यायावर की तरह उपस्थित दर्ज करानी पड़ रही है और इससे भी बढ़कर कि मुझ जैसे कर्मठ व्यक्ति को कोई काम नहीं दिया जा रहा है। कृपया इन स्थितियों में मेरा मार्गदर्शन करें। इससे इतर भी कुछ बातें मैं आपसे साझा करना चाहता हूं, यदि आप मुझ अकिंचन के लिए कुछ समय निकाल पाएं तो मैं महज दो तीन मिनट का समय लेना चाहूंगा। धन्यवाद।

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दिनांक 28 जनवरी 2016
आपका
आदित्य पांडे
डीएनई, डीबी स्टार इंदौर

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0 Comments

  1. dinesh

    July 17, 2016 at 3:27 am

    दैनिक भास्कर में वह पत्रकार सफलता पूर्वक काम कर सकते हैं जो खुद भी खाते हैं और बॉस को खिलाते हैं। ऐसा ही मामला भास्कर के कोटा संस्करण का है, जहाँ मैं आया तो सीनियर सब एडिटर बनकर था। किन्तु भ्रष्ट लोगों को मेरे इस पद पर काम करना पसंद नहीं था। कुछ लोगों ने मेरे खिलाफ लॉबी बनाई और बॉस को मेरे खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया। बॉस ने उन लोगों की बातों में आकर सीनियर सब एडिटर के पद से हटाकर रिपोर्टिंग में कर दिया। जान बूझकर बिजनेस के बीट दी ,ताकि मैं उनकीं कार्य प्रणाली पर अंगुली नहीं उठा सकूँ। पिछले १५ साल से मैं मेरे साथ हुए अन्याय के लिए १० सम्पादकों और आलाकमान तक बता चुका। परन्तु भ्रष्ट लोग लगातार पदोन्नत होकर रिपोर्टर से एनई बन चुके हैं। मैं आज भी एक रिपोर्टर हूँ।

  2. ABC

    July 17, 2016 at 8:02 pm

    I just want to tell one thing that Mr Aditya should understand that in same Tulsi Nagar area of Indore, Bhaskar has its biggest real estate project Appolo-DB City, I think after this he might understand that why Mr Beniwal is being saved. Just try to connect the dots.

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