विष्णु नागर-
आओ- आओ अजय, आओ। घबराए हुए से लग रहे हो।
सर गलती हो गई। घबराहट में पत्रकारों से कुछ ज्यादा ही नाराज हो गया।सुन रहा हूँ ,मुझसे इस्तीफा माँगा जाएगा। माफी मांगने आया हूँ सर।मुझे उलटा लटका देना मगर इस्तीफा मत माँगना सर।आप मेरे माई-बाप से भी अधिक हो ।आप से ज्यादा मैंने पूरे जीवन में किसी की इज्ज़त नहीं की ।आपकी फोटो मेरे बंगले के मंदिर में लगी है।रोज उसकी पूजा करता हूँ।
हूँ।
वो सर…।
अरे सुनो, कोई है?अजय के लिए पानी लाओ या सुनो कोई बढ़िया सा जूस लाओ या ठंड के दिन हैं,चाय लोगे?अच्छा बढ़िया सी चाय लाओ।और ढोकला- फाफड़ा और कुछ मीठा भी लाओ।ठीक से स्वागत करो साहब का।बुलाया है हमने इन्हें स्पेशली।दौड़ते-भागते आए हैं बेचारे।कुछ खाया-पीया या भूखे चले आ रहे हो?
सर -सर।भगवान कसम यह सुनकर कि आपने बुलाया है ,मेरी तो साँस अटक गई थी। रास्ते में न पानी पीया,न कुछ खाया।एक -दो बिस्किट खाने का गुनाह जरूर किया है, सर।
अब तुम बताओ,क्या किया जाए।सब तरफ से तुम्हारे इस्तीफे की माँग उठ रही है।संसद ठप है।अपने लोग भी संदेश भेज रहे हैं, इसे हटाओ वरना चुनाव में हमारा बहुत नुकसान हो जाएगा।किसानों को खुश करने की सारी कवायद भी बेकार चली जाएगी।तुम अगर मेरी जगह होते तो क्या करते?
वैसे मेरी क्या हैसियत मगर सच बताऊँ सर।मैं आपको गृह राज्य मंत्री से गृहमंत्री बना देता।
तो तुम गृहमंत्री बनना चाहते हो?
अरे सर,मेरा आशय यह नहीं था।
हाँ अमित न होता तो सचमुच तुम्हें गृहमंत्री बना देता।तुमने साबित कर दिखाया है कि तुम भी इस योग्य हो।
मजाक कर रहे हैं सर।
तुमसे मेरे मजाक के संबंध नहीं हैं अजय।मन की बात कर रहा हूँ। इसे आकाशवाणी वाली मन की बात मत समझना।मुझे ऐसे ही मंत्री चाहिए।तुम्हें कुछ सोचकर गृहराज्यमंत्री बनाया है।
जी सर यह तो आपकी मेहरबानी है
तुम मेरी सरकार के हीरा हो,हीरा।तुमने किसानों को अच्छे से ठिकाने लगा दिया था।तुमने इसके लिए अपने बेटे के सुख- आराम, चैन, मौजमस्ती को भी बलिदान कर दिया।मैं तुम्हारी त्याग की इस भावना का सम्मान करता हूँ मगर तुम्हें नहीं लगता कि तुमने बेवकूफी की है।अरे ऐसे कामों के लिए कोई अपने बेटे-बेटी की बलि चढ़ाता है?दूसरों के बेटे-हमारे -तुम्हारे भक्त आखिर किस दिन के लिए हैं?पर चलो,जो हुआ,सो हुआ। पत्रकारों को भी तुमने ठीक कर दिया।इसी भाषा और इसी व्यवहार से वे ठीक होंगे मगर खुद ऐसी हरकतें मत करा करो।लोगों का इस्तेमाल करो।लोग आखिर किसलिए हैं?किसलिए हम उन्हें पालते-पोसते हैं?क्या सिर्फ़ मोदी -मोदी करने के लिए हैं? अमित किसी से लड़ने -भिड़ने खुद जाते हैं कभी? इशारा कर दो,काम हो जाता है।आज तुम्हारा बेटा सामने न आता तो ये बवाल न मचता पर छोड़ो यह सब।मैं खुश हूँ तुमसे पर मै फिर कहूँगा कि यह सब खुद नहीं करना चाहिए था।दूसरों का बलिदान लो।और इन पत्रकारों को पास भी मत फटकने मत दो ।आजकल मोबाइल का जमाना है।कोई भी तस्वीर ले लेता है।खैर मैंने गोली मारो सालों का कहनेवाले की पदोन्नति दी है,तुम्हें भी दूँगा।जितना विरोध होगा,उतना बड़ा पद दूँगा।थोड़ा.ठहर जाओ तुम्हारे बेटे को भी जमानत दिलाऊंगा।मोदी है तो मुमकिन है।
बहुत आभार सर।बहुत आभार।चरणस्पर्श करता हूँ।
मगर सर मुझे अर्जेंटली बुलाया क्यों था?
जनता को दिखाना था कि पीएम ने इसे सीरियसली लिया है।तुम तो बहुत इंटेलीजेंट आदमी हो,तुम्हें समझ जाना चाहिए था कि तुम्हें बुलाना भी नाटक था।मैं इन पत्रकारों के.लिए ब्राह्मण देवता का अपमान करूँगा क्या?तुम्हारे ऊपर अब यूपी के ब्राह्मण वोटों का सारा दारोमदार है।ब्राह्मण वोट भाजपा को मिले तो तुम्हारा प्रमोशन पक्का वरना बाहर का रास्ता तो है ही।चप्पल चटकाते घूमना।
वैसे अभी तुम्हें हटाने से यूपी के क्रिमिनल एलीमेंट को गलत संदेश जाता और विपक्ष का हौसला भी बढ़ता।हमें ऐसी हालत लाने हैं कि संसद हो या सड़क कोई सवाल पूछने की हिम्मत तक न कर सके।जो पूछे,उसे ठोंक दो।इसे लोकतंत्र समझ रखा है इन गधों ने। इन्हें इतनी भी अकल नहीं है कि लोकतंत्र, कानून, संविधान सब भाषण देने के लिए हैं। किसानों को भी गलतफहमी हो गई है।चुनाव के बाद इन्हें भी ठोंकना है।अब जाओ और वोट लाकर दिखाओ।लखीमपुर खीरी में जो करना पड़े करो।वहाँ से हमारी सीटें कम नहीं होना चाहिए।अपना ब्राह्मण होना सिद्ध करो और दो मिनट लगेंगे ठीक करने में यह साबित करके दिखाओ।जाओ फिलहाल तुम्हें मेरा आशीर्वाद है।
व्यंग्य लेखक विष्णु नागर वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार हैं.