पार्टी ने नहीं, अखबारों ने सीएम धामी को बनाया स्टार प्रचारक

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दैनिक जागरण , दैनिक हिंदुस्तान व अमर उजाला ने छापी खबर

देहरादून। राजनीतिक दलों में मीडिया प्रकोष्ठ और सरकारों में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग खबरों को मैनेज करने के लिए होता है। अभी कुछ दिनों पहले देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से प्रकाशित होने वाले सभी प्रमुख अखबारों में एक ही तरह की खबरें पढ़ने को मिली कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में स्टार प्रचारक बनाया गया है। यह खबर आधी-अधूरी, भ्रामक ही नहीं सिरे से गलत है।

भाजपा ने जिन 40 लोगों को स्टार प्रचारक बनाया है उनमें से उत्तराखंड के सीएम धामी शामिल हैं ही नहीं। गूगल करें तो भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची से साफ जाहिर है कि या तो केंद्रीय चुनाव समिति ने धामी को स्टार प्रचारक के काबिल समझा ही नहीं या सीएम धामी सरकारी कार्यों में व्यस्त होने के कारण समय नहीं दे पाए जैसा कि पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुग द्वारा 26 अक्टूबर 23 को लिखे पत्र से लगता है।

गौरतलब है कि श्री चुग ने तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के प्रचार के लिए श्री धामी से पांच दिन का समय देने का अनुरोध किया था। इसके अनुसार सीएम धामी एक से नवंबर के अंतिम सप्ताह तक तीन राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश व राजस्थान में चुनाव प्रचार करेंगे। उनके पत्र में कहीं भी स्टार प्रचारक का जिक्र नहीं है। ठीक इस आशय की खबर देहरादून के चौथे अखबार राष्ट्रीय सहारा ने संक्षिप्त खबरों वाले कॉलम में छापी है।

गौरतलब है कि अगले दिन यानी 27 अक्टूबर 23 को स्टार प्रचारकों की सूची वाला पत्र जारी हुआ था। 40 स्टार प्रचारकों की सूची में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का नाम नहीं था। पत्र हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में जारी किया गया था फिर यह राजधानी देहरादून से प्रकाशित होने वाले प्रमुख समाचार के ” विद्वान ” पत्रकारों से छूट कैसे गया। यहां पर ध्यान देने वाली बात यह भी है कि तीनों अखबारों में छपी खबर नगर संवाददाता के माध्यम से नहीं ब्यूरो प्रमुखों/संवाददाता के जरिए है।

लोकसभा व विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों में स्टार प्रचारकों को चुनने का इतिहास तो नहीं पता और यह भी नहीं पता कि यह परंपरा कब से शुरू हुई। आम धारणा है कि पार्टियां अपने अपने लोकप्रिय नेताओं को स्टार प्रचारक के पद से नवाजती हैं। मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल 40 स्टार प्रचारकों की नियुक्ति कर सकतीं हैं गैर मान्यता प्राप्त दल इससे कम। स्टार प्रचारकों का खर्चा राजनीतिक दल उठाते हैं तो अन्य प्रचारकों का प्रत्याशी। शायद यही कारण है कि अपने आपको बड़ा नेता समझने वाले स्टार प्रचारक बनने के लिए लालायित रहते हैं।

सूत्रों के अनुसार सूची जारी होने पर राजनीतिक हलकों में चर्चा होने लगी। उत्तराखंड से केवल सतपाल महाराज का नाम दिखा तो चमचे भी सक्रिय हो गए उन्होंने सीएम के “कान” भरे कि ऐसे तो आपका रुतबा कम होगा। पूरी पार्टी में महराज का ही डंका बजेगा और अगले विस चुनाव में वे सीएम पद के प्रबल दावेदार के रूप उभरेंगे। कुल मिलाकर वो आपकी राह का रोड़ा होंगे। खबर है कि सीएम ने अपनी लॉबी को सक्रिय किया कि नाम न शामिल करा सकें तो अनुरोध पत्र ही भिजवा दें ताकि भद तो न पिटे। ऐड़ी-चोटी का जोर लगा कर सीएम लॉबी ने भी अनुरोध पत्र भिजवा दिया ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।

ये तो रहा राजनीतिक दांव-पेंच। देहरादून के अखबारों को क्या हो गया था? उन्होंने क्रास चेक क्यों नहीं किया। भाजपा के दिल्ली कार्यालय से जारी हुई स्टार प्रचारकों की सूची तो उनके मुख्यालय में भी आ गई होगी। यहां के चारों बड़े अखबारों का मुख्यालय दिल्ली है। हर अखबारों में सेंट्रल डेस्क भी है जो इस तरह की खबरों को अपने सभी संस्करणों में भेजता है। यहां के तीनों अखबारों दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान और अमर उजाला ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के तारीफों के पुल बांधते हुए उन्हें स्टार प्रचारक बनवा दिया। और तो और यहां के सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग ने इस गलत खबर का दूसरे दिन खंडन तक नहीं किया। इससे जाहिर होता है कि विभाग गलत खबर को बढ़ावा दे रहा है।

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