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सुख-दुख

कैंसर पीड़ित देवघर के वरिष्ठ पत्रकार आलोक संतोषी को मदद की जरूरत

झारखण्ड के देवघर जिला के एक वरिष्ठ पत्रकार आलोक संतोषी गंभीर रूप से बीमार हैं। कैंसर से पीड़ित हैं। साल भर पहले पैंक्रियाज कैंसर की सर्जरी हुई थी। उसके बाद रिकवर कर रहे थे। फिर यकायक बीमार ही गए। लखनऊ के पीजीआई में साल भर से ईलाज करा रहे आलोक संतोषी अब टूटने लगे हैं, हारने लगे है। अपनी उदासी और बेबसी को उन्होंने अपने फेसबुक के माध्यम से उकेरा है। साथ ही इस बुरे दौर में पत्रकारों के साथ नहीं देने का दुःख भी प्रकट किया है।

<p>झारखण्ड के देवघर जिला के एक वरिष्ठ पत्रकार आलोक संतोषी गंभीर रूप से बीमार हैं। कैंसर से पीड़ित हैं। साल भर पहले पैंक्रियाज कैंसर की सर्जरी हुई थी। उसके बाद रिकवर कर रहे थे। फिर यकायक बीमार ही गए। लखनऊ के पीजीआई में साल भर से ईलाज करा रहे आलोक संतोषी अब टूटने लगे हैं, हारने लगे है। अपनी उदासी और बेबसी को उन्होंने अपने फेसबुक के माध्यम से उकेरा है। साथ ही इस बुरे दौर में पत्रकारों के साथ नहीं देने का दुःख भी प्रकट किया है।</p>

झारखण्ड के देवघर जिला के एक वरिष्ठ पत्रकार आलोक संतोषी गंभीर रूप से बीमार हैं। कैंसर से पीड़ित हैं। साल भर पहले पैंक्रियाज कैंसर की सर्जरी हुई थी। उसके बाद रिकवर कर रहे थे। फिर यकायक बीमार ही गए। लखनऊ के पीजीआई में साल भर से ईलाज करा रहे आलोक संतोषी अब टूटने लगे हैं, हारने लगे है। अपनी उदासी और बेबसी को उन्होंने अपने फेसबुक के माध्यम से उकेरा है। साथ ही इस बुरे दौर में पत्रकारों के साथ नहीं देने का दुःख भी प्रकट किया है।

आलोक संतोषी की इस पीड़ा से किसी भी संवेदनशील आदमी की रूह कांप उठेगी। आलोक अपने परिवार के साथ अकेले संघर्ष कर रहे है। कैंसर के दर्द के कांटो के चुभन सिर्फ वो और उनके परिवार को पीड़ा दे रहा है। माहौल बिलकुल निराशाजनक है। देवघर के चंद लोगों ने उनका साथ दिया है, पर पत्रकारों ने उनका हाल पूछने की जहमत तक नहीं उठायी। आलोक की इस पीड़ा से उठे तकलीफ पर उन्हें अकेले छोड़ा नहीं जा सकता है।

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आलोक जी हम पत्रकार भड़वे हैं, दलाल हैं, सत्ताधारियों के पिछलग्गू है। हमें आपकी पीड़ा नहीं दिख रही है। हमने अपने इमोशन पर तेजाब डाल लिया है। हमें आपकी परेशानी से क्या? आप ना सांसद हैं, ना विधायक हैं और ना ही कोई धन्नासेठ सो हमें आपकी बीमारी से क्या? आलोक जी, आप तो अख़बार में पूरे पन्ने का विज्ञापन भी नहीं दे सकते और ना ही किसी चैनल का टाइम स्लॉट खरीद सकते हैं। आप तो पत्रकार ठहरे वो भी छोटी जगह के।

आप रांची और दिल्ली के भी तो पत्रकार नहीं हैं जो सत्ता के बैकडोर का फायदा किसी को दिला देंगे। आपकी बीमारी किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया जाने वाला गिफ्ट नहीं है और ना ही किसी अधिकारी द्वारा दिया जाने वाला गिफ्ट, जिसे लेने के लिए हम लोहालोट हुए जायेंगे। रही बात प्रेस क्लब और पत्रकारों के संगठन की तो प्रेस क्लब के नाम पर की जाने वाली वसूली शराबखोरी के लिए होती है। आपको मदद करने से पत्रकार को क्या फायदा? आलोक जी हमें माफ़ कर दीजिए। सत्ता के सुख भोगने के आदी हम पत्रकारों को आपकी पीड़ा नहीं दिख रही है। आलोक जी आप तो बहादुर हैं, अकेले इस पीड़ा से लड़ रहे हैं। भगवान से प्रार्थना है कि आप जल्द स्वस्थ होकर वापस लौटें ताकि हम अपनी सच्चाई को देख सकें।

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अगर आप में से कोई आलोक संतोषी से, जो अभी पीजीआई लखनऊ में जीवन से संघर्ष कर रहे है, बात करना चाहते हैं या किसी प्रकार की मदद पहुंचाना चाहते हैं तो उनसे उनके मोबाइल नंबर +919431157961 पर सीधे संपर्क कर सकते हैं.

आपका भाई
अनंत झा
पत्रकार
[email protected]

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