अभिषेक उपाध्याय-
बड़ी ख़बर। शायर आलोक श्रीवास्तव पर फिर लगा दूसरे की ग़ज़ल उड़ा लेने का संगीन आरोप। प्रख्यात ग़ज़ल लेखिका और DU की रिटायर्ड प्रोफेसर अमीता परसुराम ने अपनी ग़ज़ल लगभग हू ब हू उड़ा लेने का संगीन आरोप लगाया। गज़ल की धुन भी उड़ा ली गई। इससे पहले मुनव्वर राणा भी लगा चुके हैं यही आरोप।
शायर आलोक श्रीवास्तव पर यूं लगा चोरी का इल्जाम। प्रख्यात लेखिका अमीता परसुराम ‘पहले’ लिखती हैं –
“नही है अपना खुदा मोअतबर तो क्या कीजे
दुआएं हो गईं सब बेअसर तो क्या कीजे”
आलोक श्रीवास्तव ‘फिर’ लिखते हैं-
“वो मानता ही नहीं हमसफर तो क्या कीजे
हर एक दुआ है अगर बेअसर तो क्या कीजे”
अमीता परसुराम DU की रिटायर्ड प्रोफेसर हैं। उनकी लिखी गजलें खासी मशहूर हैं। आरोप है कि आलोक श्रीवास्तव ने न सिर्फ गजल लगभग हू ब हू उड़ा दी बल्कि इसकी धुन भी चुरा ली।
शायर आलोक श्रीवास्तव पर चोरी के इल्जाम का ये रहा सबसे बड़ा सबूत। अमीता परसुराम की लिखी जिस गजल को बेगम अख्तर की शिष्या पद्मश्री शांति हीरानंद ने अपने एल्बम “अम्मी और मैं” में गाया, आलोक श्रीवास्तव ने लगभग हू ब हू उसी को अपने नए एल्बम में लगभग उसी धुन के साथ रेल दिया।
-ये रहे दोनो के लिंक
पहला लिंक —
अमीता परसुराम की लिखी और बेगम अख्तर की शिष्या पद्मश्री शांति हीरानंद की गाई गजल
https://youtu.be/MR334ET9C6k
दूसरा लिंक —
शायर आलोक श्रीवास्तव के इसी दिसंबर में रिलीज हुए नए एल्बम की ‘चोरी’ के इल्जाम से घिरी ग़ज़ल
https://youtu.be/iJig0iVBbBU
शायर आलोक श्रीवास्तव पर चोरी के इल्जामों की पूरी फेहरिस्त है। ताज़ा इल्जाम प्रख्यात गज़लकार और DU की रिटायर्ड प्रोफेसर अमीता परसुराम ने लगाया है। पर इससे पहले भी एक से बढ़कर एक नामचीन शायरों के कलाम लगभग हू ब हू उड़ा लेने के आरोप उन पर लगते आए हैं। पूरा किस्सा चार हिस्सों मे।
1- शायर आलोक श्रीवास्तव पर अमीर खुसरो की ग़ज़ल उड़ाने का आरोप।
अमीर खुसरो लिखते हैं –
ज़े-हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल दुराय नैनाँ बनाए बतियाँ
सखी पिया को जो मैं न देखूँ तो कैसे काटूँ अँधेरी रतियाँ
….
आलोक श्रीवास्तव लिखते हैं (बगैर किसी क्रेडिट के)
“सखी पिया को जो मैं न देखूँ तो कैसे काटूँ अंधेरी रतियाँ,
के’ जिनमें उनकी ही रोशनी हो, कहीं से ला दो मुझे वो अँखियाँ।”
……
2- शायर आलोक श्रीवास्तव पर मशहूर साहित्यकार कुंवर बेचैन की गज़ल उड़ाने का आरोप –
कुंवर बेचैन लिखते हैं –
“अब की बार तो राखी पर भी भी दे न सकी कुछ भय्या को
अब उस के सूने माथे पर सिर्फ़ है रोली बाबू जी “
आलोक श्रीवास्तव लिखते हैं –
“अब तो उस सूने माथे पर कोरेपन की चादर है
अम्मा जी की सारी सजधज सब ज़ेवर थे बाबू जी”
3- शायर आलोक श्रीवास्तव पर अमीता परसुराम की गज़ल उड़ाने का आरोप
अमीता परसुराम लिखती हैं –
नही है अपना खुदा मोअतबर तो क्या कीजे
दुआएं हो गईं सब बेअसर तो क्या कीजे
आलोक श्रीवास्तव लिखते हैं
वो मानता ही नहीं हमसफर तो क्या कीजे
हर एक दुआ है अगर बेअसर तो क्या कीजे
…
4- शायर आलोक श्रीवास्तव पर मुनव्वर राणा की गज़ल उड़ाने का आरोप –
मुनव्वर राणा लिखते हैं –
“किसी घर में मिले हिस्से में या कोई दुकाँ आई।
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई।”
आलोक श्रीवास्तव लिखते हैं –
“बाबू जी गुजरे आपस में, सब चीजें तकसीम हुईं
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा। “
उपरोक्त आरोपों पर आलोक श्रीवास्तव का पक्ष और अभिषेक उपाध्याय का जवाब-
आलोक भाई, ये भाषा ठीक नही। एक तो आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि अमीता परसुराम एक प्रख्यात शायरा हैं, फिर आपकी मां की उम्र की हैं। वे कोई “आज-कल” की कलमकार नही जैसा कि आपने लिखा है। फिर आप पर आरोप रदीफ या काफिया उड़ाने भर का नही है, आरोप शेर का पूरा मजमून ही उड़ा लेने का है। -अभिषेक उपाध्याय