शशिकांत सिंह-
(पार्ट-4) मजीठिया वेजबोर्ड के पैरा 20 के अनुसार डीए की परिभाषा और तय फार्मूले को अमर उजाला ने नए सिरे से अपनी सुविधा अनुसार परिभाषित कर डाला है। ज्ञात रहे कि मजीठिया वेजबोर्ड के फार्मूले के अनुसार 11 नवंबर 2011 से डीए की गणना हर छह माह बाद की जानी है। इसके तहत हर छह माह बाद वेतनमान में खासी बढ़ौतरी होनी थी, जो ना तो अमर उजाला ने आज तक की और ना ही आगे करने वाला है।
अब संस्थान ने इस तथाकथित एवं अवैध समझौते के तहत अपना ही फार्मूला बना डाला है और मजीठिया वेजबोर्ड के तहत देय डीए को समाप्त करके देश के संविधान और न्यायपालिका को खुली चुनौती दी है। ज्ञात हो कि मजीठिया वेजबोर्ड के तहत डीए और अन्य भत्तों का निर्धारण नई बेसिक-पे और वेरिएवल-पे को जोड़ कर होना है।
बोनस और ग्रेच्युटी में भी खेल:
इस तथाकथित एवं अवैध समझौते के जरिये अमर उजाला प्रबंधन ने ना केवल मजीठिया वेजबोर्ड को दरकिनार किया है, वहीं बोनस और ग्रेच्युटी के प्रावधानों को भी अपने फायदे के लिए तोड़मरोड़ कर अपना ही फार्मूला बना डाला है, ताकि कर्मचारियों को उनका वैध हक ना मिलने पाए। संस्थान ने बड़ी ही चतुराई से कंपनी टर्नओवर के तहत बोनस स्लैब फिक्स कर दिए हैं, ताकी लाला जी की तिजोरी से ज्यादा रकम ना निकलने पाए।
वहीं श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम की धारा पांच के तहत दी गई ग्रेच्युटी की परिभाषा ही बदल दी गई है। इसके अनुसार श्रमजीवी पत्रकार तीन साल बाद ग्रेच्युटी के हकदार होते हैं और प्रत्येक साल के लिए 15 दिन के वेतन के बराबर ग्रेच्युटी निर्धारित होती है, मगर यहां अमर उजाला के प्रबंधकों ने इस धारा के लागू होने से पूर्व में छह या इससे कम श्रमजीवी पत्रकारों वाली स्थापनाओं के लिए किए गए प्रावधान को अपने संस्थान पर लागू मान कर ग्रेच्युटी भुगतान के गलत नियम दर्शाए हैं और प्रत्येक वर्ष की सेवा के लिए 15 के बजाय 7 दिन के वेतन के भुगतान की झूठी बात की जा रही है। वहीं गैर पत्रकार कर्मचारियों को भी इन नियमों के दायरे में बताया गया है, जबकि उन पर श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम के विशेष प्रावधान लागू ही नहीं होते हैं। इतना ही नहीं संस्थान के खाते से ग्रेच्युटी की रकम के भुगतान से बचने के लिए कर्मचारियों के वेतन से ही ग्रेच्युटी पॉलिसी लेने की चाल चली गई है।
सालना वेतन वृद्धि:
अमर उजाला ने सालना वेतन वृद्धि को भी अपने हिसाब से तय कर दिया है जो कि मजीठिया वेजबोर्ड के पे-स्केल के अनुसार दिए गए सालाना वेतनवृद्धि के स्लैब (2.5%, 3% व 4%) के अनुसार नहीं है।
पदोन्नति:
अमर उजाला प्रबंधन ने पदोन्नति को वेजबोर्ड के अनुसार 10 साल से घटाते हुए 7 साल में करने का ढोंग करते हुए यहां भी अपनी कुटिल चाल चली है और यह शर्त जोड़ दी है कि अगर प्रबंधन चाहे तो किसी भी कर्मचारी की पदोन्नति रोक सकता है, जो कि मजीठिया वेजबोर्ड की पैरा 20 में दी गई पदोन्नति की गारंटी के अधिकार के खिलाफ है।
अमर उजाला प्रबंधन और जेबी मीडियाकर्मी यूनियन के बीच हुए समझौते के सभी कागजात देखें
…जारी…
इसके पहले और बाद के पार्ट पढ़ें-
One comment on “(पार्ट-4) डीए का फार्मूला दरकिनार, बोनस और ग्रेच्युटी में भी खेल”
ग्रुप लेवल पर अच्छा एडिटर ना होने पर आज अमर उजाला का ये हाल है। बहुत बहुत खराब, प्रिंटलाइन मुख्य नाम डॉ इंदुशेखर पंचोली का है लेकिन वो संपादक नहीं। उनका नमोनिशन नहीं है। आज अमर उजाला को कहा लाकर खड़ा कर दिया गलत सलाहों ने।