(पार्ट-2) कहां-कहां कर रहा है अमर उजाला सुप्रीम कोर्ट की अवमानना

Share the news

शशिकांत सिंह-

(पार्ट-2) नए वेतनमान का गठन: अमर उजाला ने चालबाजी में अपना ही वेतनमान बना कर पेश किया है। देखने में इनमें बेसिक पे ज्यादा नजर आ रही है, परंतु असल में ऐसा करके वेतन बढ़ नहीं रहा बल्कि कम हो रहा है, क्योंकि इसमें मजीठिया वेजबोर्ड के फार्मूले के तहत वेरिबल-पे और डीए शामिल नहीं है। वहीं 11 नवंबर, 2011 से पहले के कार्यरत कर्मचारियों के पुनरीक्षित वेतनमान में प्रारंभिक वेतन का निर्धारण कैसे किया गया है, इसका अता पता तक नहीं है।

कुल मिलाकर मजीठिया वेजबोर्ड से बचने के लिए यह सारा खेल खेला गया है। वर्तमान में जो वेतनमान अमर उजाला ने 01 अप्रैल 2021 से बनाकर दिखाया है, उससे अधिक तो 11 नवंबर, 2011 को ही बनता है और बीच के दस वर्षों में डीए व बेसिक में बढ़ोतरी के चलते 01 अप्रैल, 2021 को तो यह दोगुने के करीब होना चाहिए था। वहीं इस फर्जी समझौते के तहत जो वेतनमान बनाया है उसमें भी मेरठ में बैठे मैनेजरों के लिए स्‍पेशल मेहनत करके मोटी तनख्‍वाह का प्रबंधन किया गया है। इस फर्जीवाड़े के जरिए मजीठिया वेजबोर्ड के तहत गठित वेतनमान और वर्किंग जर्नलिस्‍ट एक्‍ट, 1955 के प्रावधानों के तहत मिलने वाले वैधानिक वेतन लाभों को एक तरह से समाप्‍त करने की चाल चली गई है।

संस्‍थान की श्रेणी का निर्धारण:

अमर उजाला ने संस्‍थान का श्रेणी का निर्धारण भी अपनी सहूलियत के अनुसार फर्जी तरीके से किया है। समझौते के अनुसार लेखावर्ष 2010-11, 2011-12 व 2012-13 को आधार बनाकर संस्‍थान की श्रेणी का पुनर्निधारण करते हुए औसत सकल राजस्‍व 492.31 करोड़ रुपये बताया गया है, जो सरासर गलत है। समझौते में वर्ष 2010-11 का सकल राजस्‍व 407.46 करोड़ रुपये दिखाया गया है जो असल में वर्ष 2009-10 का सकल राजस्‍व है। वहीं वर्ष 2011-12 का 525.45 और 2012-13 का सकल राजस्‍व 544.02 करोड़ बताया गया है, जो सही है।

यहां खेला वर्ष 2010-11 के सकल राजस्‍व में किया गया है, क्‍योंकि रजिस्‍ट्रार आफ कंपनीज को दी गई अमर उजाला की बैलेंसशीट के अनुसार अमर उजाला का वर्ष 2010-11 का सकल राजस्‍व 474.42 करोड़ है। इस तरह इन तीनों वर्षों का औसत सकल राजस्‍व 514.36 करोड़ रुपये बनता है, जो क्‍लास-2 में आता है। लिहाजा अमर उजाला प्रबंधन और उसकी पॉकेट यूनियन ने औसत राजस्‍व के आंकड़े में भी फर्जीवाड़ा करने का काम किया है। बहरहाल मजीठिया वेजबोर्ड का निर्धारण आरंभिक तौर पर वित्‍तीय वर्ष 2007-08, 2008-09 व 2009-10 के औसत सकल राजस्‍व के आधार पर होना है, जो 500 करोड़ रुपये से कम बनता है और अमर उजाला कंपनी क्‍लास-3 कैटेगरी में आती है। मजीठिया वेजबोर्ड का नोटिफिकेशन 11 नवंबर 2011 में हुआ था इसलिए नया वेतनमान 31 मार्च, 2013 तक पुराने औसत के आधार पर निर्धारित संस्‍थान की श्रेणी-3 के अनुसार तय होना था। इसके बाद श्रेणी पुनर्निधारण के तहत 01 अप्रैल, 2013 से लेकर अमर उजाला समाचार स्‍थापना की श्रेणी क्‍लास-2 कैटेगरी में निर्धारित होनी थी, मगर इस समझौते में श्रेणी निर्धारण में भी खेला किया गया है। वहीं जैसा कि इस समझौते में किया गया है, वैसा करने के लिए भी दूसरी बार श्रेणी का पुनर्निधारण इससे पहले के तीन वर्षों यानि 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के औसत सकल राजस्‍व के आधार पर होना चाहिए था, तभी 01 अप्रैल, 2021 का सही श्रेणी निर्धारण माना जाता, जो संभवत: श्रेणी-1 के लिए होता।

अमर उजाला प्रबंधन और जेबी मीडियाकर्मी यूनियन के बीच हुए समझौते के सभी कागजात देखें

….जारी….

इसके पहले और बाद के पार्ट पढ़ें-

(पार्ट-1) अमर उजाला ने मजीठिया वेजबोर्ड को खारिज कर पॉकेट यूनियन की मिलीभगत से तैयार किया अपना वेजबोर्ड!

(पार्ट-3) अमर उजाला की कोई यूनिट स्‍वतंत्र या अलग नहीं

(पार्ट-4) डीए का फार्मूला दरकिनार, बोनस और ग्रेच्‍युटी में भी खेल

(पार्ट-5) अमर उजाला ने समझौते में अपनी असली नीयत को जाहिर कर दिया है

भड़ास व्हाट्सअप ग्रुप ज्वाइन करें- BWG9

भड़ास का ऐसे करें भला- Donate

भड़ास वाट्सएप नंबर- 7678515849

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *