गणेश शंकर विद्यार्थी जो अतीत से आज तक और आगे भी मिशन पत्रकारिता के पितामह जाने जाते रहेंगे, गांधी जी भी पत्रकार थे, अटल बिहारी वाजपेयी ने भी पत्रकारिता के गौरव पूर्ण काल के इतिहास को जिया है। लाल कृष्णा आडवाणी भी पत्रकार थे, बाला साहेब ठाकरे भी कार्टूनिस्ट पत्रकार थे लेकिन इन सभी ने कभी भी मिशन पत्रकारिता और उसकी गरिमा पर आंच नहीं आने दी.
वर्तमान पत्रकारिता किस दौर से गुजर रही है ये स्थिति पूरे देश का एक एक नागरिक जानता है। पहले के अखबारों के मालिक कभी भी अपने संपादकों के काम में हस्तछेप नहीं किया करते थे और कभी कभार किया भी तो संपादक का चरित्र इतना मजबूत हुआ करता था कि संपादक मालिक को अपने काम में हस्तक्षेप करने के लिए मना कर दिया करता था लेकिन आज स्थिति इसके बिलकुल उलट है। आज अखबारों के मालिकों को संपादक नहीं विज्ञापन मैनेजर चाहिये। होते हैं और मिल भी रहे हैं।जब अखबारों के सम्पादक मालिकों के चाटुकार होंगे तो रिपोर्टर कैसा होगा, ये आप अनुमान लगा सकते हैं।
आज आपको आसानी से भांड मिल जाएगा, दलाल मिल जाएगा, पत्रकार आसानी से नहीं, ब्लैक मेलर मिल जाएगा। स्थिति इससे और अधिक भयानक है, जब पत्रकार नौकरशाहों और मंत्रियों को लड़कियां पहुंचाने लगें तो मिशन पत्रकारिता की गरिमा तार तार होने ही लगेगी।
मैं पूछना चाहता हूँ उन पत्रकारों से, एक सीमित वेतन पाने वाला पत्रकार अकूत सम्पति का मालिक कैसे बन बैठा, बड़ी-बड़ी गाड़ियों का मालिक कैसे बन बैठा। ये सम्पन्नता किसी भी तरह से ईमानदारी से नहीं आ सकती है। इस सम्पन्नता को पाने के लिए पत्रकार को सबसे पहले भांड बनना होगा, दलाल बनना होगा, ब्लैक मेलर बनना होगा अथवा चकला घर का दलाल बनना होगा। कितनी शर्मनाक बात है। आज का पत्रकार कोठे का दलाल हो गया।
मेरी सभी ईमानदार पत्रकार भाइयों से अपील है कि मिशन पत्रकारिता को इस कठिन दौर से निकालने में अपनी भूमिका अदा कीजिये, नहीं तो कहीं देर हो गई तो आगे की पीढ़ियां हम सब को माफ़ नहीं करेंगी। हम सब मिलकर शपथ लें कि मिशन पत्रकारिता को भांड, दलाल, ब्लैकमेलर और कोठे के दलालों के हाथों से निकाल कर ईमानदार पत्रकारों के हाथों में कमान सौंपे। अब समय आ गया है कि भ्रष्ट पत्रकारों के खिलाफ आंदोलन चलाया जाए और इनको पूरी तरह से उखाड़ फेंका जाए।
आप सभी ईमानदार पत्रकार इस आन्दोलन से जुड़ना चाहें तो आपका बहुत स्वागत है और एक बड़ी पहल की शुरुआत की जाए। आप सभी लोग इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अपना मोबाइल नंबर जरूर देने का कष्ट करें।
लेखक एवं ‘दृष्टान्त’ मैगज़ीन के संपादक अनूप गुप्ता से संपर्क : 9795840775
anup
August 9, 2015 at 2:46 pm
जिले स्तर पर भी अधिकतर पत्रकार यही काम कर रहे है ..दलाली की सारी हदे पार कर दी ..पैसे के लिए वह किसी स्तर पर गिरने को तैयार है ..इसके लिए चाहे अपनी बहन माँ को ही क्यों न परोसना पड़े ….
Gopalji Journalist
August 9, 2015 at 5:51 pm
अपने शब्दों पर ग़ौर करते हुए कृपया सशोधन ज़रूर करें कि जिसमे आपने अधिकतर पत्रकारों को अश्लीलता परोसने जैसे पाप का भागीदार बताया है, सरासर आपकी व्यक्तिगत कुंठा को प्रदर्शित करता है। यदि आप कुछ ही पत्रकारों को इसमें लिप्त बताते तो शायद आपके कथन में थोड़ा वज़न पैदा हो सकता था लेकिन यहां आपने ऐसे शब्द का उपयोग कर अधिकतर पत्रकारों को शर्मसार किया है कुछ को नहीं।
Prasadam
October 8, 2016 at 2:54 pm
बहुत बढ़िया लेख…