Sanjaya Kumar Singh : नाम अराइज Arise India Limited. – लक्षण चिर निद्रा में सोने वाले। मैंने पिछले साल आपकी कंपनी का एक गीजर चैम्पियन 25 लीटर खरीदा था। कुछ ही महीने उपयोग करने का बाद टपकने लगा। इस साल गीजर की जरूरत शुरू हुई तब से शिकायत करने की कोशिश करते हुए जब शिकायत दर्ज करा पाया तो मेकैनिक ने बताया कि टैंक बदलना पड़ेगा। मेरे पास खरीदने की रसीद थी, गारंटी कार्ड उस समय नहीं था। मेकैनिक फिर आने की कहकर गया और लापता रहा। दीवाली की छुट्टी के चक्कर में मैने फोन नहीं किया। फोन मिला तो बताया गया कि मैकेनिक ने कहा है कि मेरे पास गारंटी कार्ड नहीं है – इसलिए मामला खत्म।
कंपनी ने मुझे ना तो यह जानकारी देने और ना मुझसे कुछ पूछने की जरूरत समझी जबकि शिकायत करने पर मुझे एक कोड दिया गया था और शिकायत दूर हो जाने पर मुझे मेकैनिक को वह कोड बताना था। सुनने में यह व्यवस्था बहुत अच्छी लगी पर है सिर्फ दिखावा। मैंने बताया कि मेरे पास गारंटी कार्ड है और मैंने कहा भी था कि ढूंढ़ने पर मिल जाएगा। पर मेकैनिक तो कंपनी के निर्देशों का पालन कर रहा था और चूंकि काम लंबा है इसलिए मुफ्त में करने से बचने की कोशिश चल रही है। मैंने 16 नवंबर 2015 को दुबारा शिकायत कराई है जिसका नंबर है UP00115611055779 – पूरे दो दिन बाकायदा गुजर गए पर ना कोई आया ना फोन। गीजर के उपयोग का समय निकला जा रहा है और अराइज नाम से उत्पाद बेचने वाली कंपनी अपनी सुस्ती के पूरे सबूत दे रही है। गारंटी एक साल की है और एक महीने रह गए हैं।
कंपनी शायद कोशिश कर रही है कि किसी तरह यह एक महीना निकल जाए। पिछली शिकायत का नंबर है – UP0011561101848 जो 04.11.2015 की है। कंपनी ने गारंटी के 365 में से 14 दिन निकाल दिए हैं। ईमेल से शिकायत कोई नहीं देखता ना फीडबैक भेजने पर जवाब आता है। फोन कभी मिलता है कभी नहीं – उठता तो बहुत ही कम है। औऱ यह समस्या सिर्फ उपभोक्ता सेवा के साथ नहीं कंपनी के मुख्यालय के फोन के साथ भी है। कौन कहता है – नाम का असर होता है। यहां तो पूरा मामला अराइज का उल्टा है। पिछले साल तक यह कंपनी अच्छा काम कर रही थी विज्ञापन भी आ रहे थे और सुना 800 करोड़ रुपए की कंपनी है और 800 की गारंटी पूरी करने में ये हाल।
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मैंने पिछली बार लिखा था कि जिस कंपनी का नाम Arise India Limited है, उसके लक्षण चिर निद्रा में सोने वाले हैं। पर अब लग रहा है कंपनी होश में आ गई है और अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पा रही है। जैसा कि मैं लिख चुका हूं, पिछले साल मैंने कंपनी का एक गीजर चैम्पियन 25 लीटर खरीदा था। कुछ ही महीने उपयोग करने का बाद टपकने लगा। इस साल गीजर की जरूरत शुरू हुई तब से शिकायत करने की कोशिश करते हुए जब शिकायत दर्ज करा पाया तो मेकैनिक ने बताया कि टैंक बदलना पड़ेगा। मेरे पास खरीदने की रसीद थी, गारंटी कार्ड उस समय नहीं था। मेकैनिक फिर आने की कहकर गया और लापता रहा। दीवाली की छुट्टी के चक्कर में मैने फोन नहीं किया। फोन मिला तो बताया गया कि मैकेनिक ने कहा है कि मेरे पास गारंटी कार्ड नहीं है – इसलिए मामला खत्म।
कंपनी ने मुझे ना तो यह जानकारी देने और ना मुझसे कुछ पूछने की जरूरत समझी जबकि शिकायत करने पर मुझे एक कोड दिया गया था और शिकायत दूर हो जाने पर मुझे मेकैनिक को वह कोड बताना था। सुनने में यह व्यवस्था बहुत अच्छी लगी। पर है सिर्फ दिखावा। मैंने बताया कि मेरे पास गारंटी कार्ड है और मैंने कहा भी था कि ढूंढ़ने पर मिल जाएगा। पर मेकैनिक तो कंपनी के निर्देशों का पालन कर रहा था और चूंकि काम लंबा है इसलिए मुफ्त में करने से बचने की कोशिश चल रही है। मैंने 16 नवंबर 2015 को दुबारा शिकायत कराई जिसका नंबर UP00115611055779 था। कुछ नहीं हुआ। शिकायत अपने आप गायब। गीजर के उपयोग का समय निकला गया और अराइज नाम से उत्पाद बेचने वाली कंपनी अपनी सुस्ती के पूरे सबूत देती रही। गारंटी एक साल की है और शिकायत कराने के बाद काम होने में दो महीने लग गए। अभी हुआ इतना ही है कि ग्राहक शिकायत के इनके नंबर पर रोज बात हो जा रही है और रोज कल कह दिया जा रहा है।
पहली बार, 4 नवंबर 2015 को दर्ज कराई गई शिकायत का नंबर है – UP0011561101848 और भले ही कंपनी ने गारंटी कार्ड ना होने के बहाने इसे खत्म कर दिया लेकिन 23 नवंबर से दर्ज शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, यह कंपनी के रिकार्ड में है। मैं पहले लिख चुका हूं कि ई-मेल से शिकायत कोई नहीं देखता ना फीडबैक भेजने पर जवाब आता है। फोन कभी मिलता है कभी नहीं – उठता तो बहुत ही कम है। औऱ यह समस्या सिर्फ उपभोक्ता सेवा के साथ नहीं कंपनी के मुख्यालय के फोन के साथ भी है। कौन कहता है – नाम का असर होता है। यहां तो पूरा मामला अराइज का उल्टा है। पिछले साल तक यह कंपनी अच्छा काम कर रही थी विज्ञापन भी आ रहे थे। और अब यह हाल।
असल में, गीजर का टैंक सबसे महत्त्वपूर्ण और महंगा, खराब होने वाला हिस्सा है। मेरे गीजर का टैंक ही खराब है। और इन्हें अच्छा या कुछ दिन चलने वाला टैंक नहीं मिल रहा है। लगता है, कंपनी मेरे लिए कोई अच्छा या खास टैंक ढूंढ़ रही है ताकि वो फिर खराब ना हो और मैं फिर फेसबुक अभियान ना छेड़ दूं। आपको बताऊं कि फेसबुक पर भी कंपनी का पेज है उसपर मेरा लिखा प्रकाशित नहीं हुआ (The page owner will review your post) यानी देखकर प्रकाशित किया जाएगा। उसके बाद मैंने सोचा था हर सप्ताह एक अखबार में शिकायत छपवा दूं। पहले में छपने के बाद दूसरे में नहीं छपा। जो बेचारा यह कॉलम देखता है उसने अपनी लाचारी बता दी। विज्ञापनों के दम पर चलने वाली कंपनियां आजकल ऐसे ही काम करती हैं। और हम मेक इन इंडिया और मेक फॉर इंडिया में लगे हैं। कंज्यूमर की चिन्ता न कंपनियों को है और न बगैर किसी सेवा के सर्विस टैक्स वसूलने वाली सरकार को।
वरिष्ठ पत्रकार और जाने-माने अनुवादक संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से.