अतीक का मूतवास और टीवी चैनल की पत्रकारिता

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अनिल सिंह-

अतीक अहमद को अहमदाबाद जेल से निकालकर वैन में बैठाया जा रहा है। वैन के चारो तरफ पुलिस है। वैन में बैठने में डरा हुआ है। कांप रहा है अतीक। पुलिस ने कंबल के लिये पूछा है। डर से कांप रहा है अतीक, ठंड से नहीं। कंबल वैन में किनारे रख दिया गया है। कंबल भेड़ के ऊन से बना है, याक के ऊन से नहीं। अतीक वैन में बैठ गया है। जिस सीट पर बैठा है, वह वैन में पहले से लगी थी। सीट में कोई कील नहीं है। पुलिस वाले भी बैठ गये हैं। पुलिस वाले उसके बगल में बैठे हैं। वैन के आगे पीछे पुलिस की गाडि़यां हैं। गाडि़यों के पहिया भी है। अंदेशा जताया जा रहा है कि पुलिस ने स्‍टेपनी भी रखी है।

अतीक अहमद को अहमदाबाद जेल में रखा गया था। अहमद है इसलिये अहमदाबाद जेल में रखा गया है। संभव है यह इसका पुश्‍तैनी जेल हो। अहमद से मिलता हुआ अहमदाबाद है, तो निश्चित ही इनके पूर्वजों ने बनवाया होगा। आशंका है कि इसके पूर्वज इसकी सुविधा के लिये अहमदाबाद जेल बनवाया हो। यह जांच का विषय है कि क्‍या अहमद से अहमदाबाद का कोई रिश्‍ता है। बहरहाल, इस मामले की जांच ईडी से कराई जा सकती है, लेकिन यह बताना जरूरी है कि अतीक का वैन चल चुका है। आगे पीछे पुलिस की गाडि़यां हैं। सुरक्षा के पुख्‍ता इंतजाम किये गये हैं। कुछ ही देर में वैन अहमदाबाद जेल से दस किलोमीटर आगे पहुंच जायेगी।

ये वैन लगातार आगे की तरफ चल रही है। क्‍या पुलिस की कोई साजिश है, जो वैन लगातार आगे की तरफ भाग रही है। लगातार आगे भागते भागते वैन राजस्‍थान पहुंच गई है। वैन को पेट्रोल पंप पर रोका गया है। शायद वैन तेल लेने वाली है। इसी बीच अतीक वैन से उतर रहा है, तो क्‍या पुलिस उसका एनकाउंटर करेगी या अंधेरे का लाभ उठाकर भाग जायेगा अतीक? इसी बीच बड़ी खबर, सिर्फ हमारे चैनल पर अतीक अंधेरे का लाभ उठाने नहीं उतरा है। वह उजाले में मूतने जा रहा है। नाली की तरफ बढ़ रहा है। पुलिस ने उसे घेर लिया है और नाली की सुरक्षा बढ़ा दी है ताकि वह मूतते समय पेशाब से कट्टम कुट्टा ना खेलने लगे जैसे हम और हमारा भाई कटउअल खेलते थे।

अतीक पैंट का चैन खोल रहा है। सबसे पहले हमारे चैनल पर यह ब्रेकिंग न्‍यूज है। अतीक ने मूतना शुरू कर दिया है। उसकी धार कमजोर दिख रही है। क्‍या अतीक डरा हुआ है? आखिर उसकी मूत में धार क्‍यों नहीं है? सबसे पहले हमारे चैनल पर। वह ज्‍यादा नहीं मूत पा रहा है। ऐसा लग रहा है कि उसको मूतने में डर लग रहा है। उसकी मूत का कलर अभी स्‍पष्‍ट नहीं है, लेकिन जैसे ही पता लगता है हम सबसे पहले बतायेंगे अपने चैनल पर। ऐसा लग रहा है कि उसने मात्र सौ ग्राम ही मूता है। क्‍या वह डेढ़ सौ ग्राम मूत सकता था? या वह डर से इतना कम मूत रहा है? जैसे ही इसका पता चलेगा हम अपने दर्शकों को अवगत करायेंगे।

बड़ी खबर पुलिस वाले उसका मूत छुपाना चाहते हैं। वह हम पत्रकारों को उसके मूत के नजदीक नहीं जाने देना चाहते हैं। क्‍या पुलिस की कोई साजिश है या फिर वह मीडिया से कुछ छिपाना चाहते हैं? आखिर पुलिस यह जानकारी क्‍यों छुपा रही है कि अतीक ने कितना ग्राम मूता है? यह मामूली बात नहीं है, जरूर इसके पीछे सरकार की कोई मंशा है। अदालत इस पर पुलिस से सवाल पूछ सकती है। वकील कह सकता है कि किसी से उसका मूतने का अधिकार नहीं छीना जा सकता है। एक बड़ा सवाल यह है कि क्‍या अतीक को मूत सुखाने के लिये कोई पत्‍थर या फिर धोने के लिये पानी दिया गया है? क्‍यों नहीं इसकी जानकारी मीडिया को दी जा रही है?

झमाझम जी आप मूत पर नजर बनाये रखें, हम जल्‍द लौटेंगे आपके पास। हमारे रिपोर्टर झमाझमजी अतीक के मूत पर अपनी पैनी निगाह रखे हुए हैं। अब इसी विषय पर हमसे बात करने के मौजूद हैं वरिष्‍ठ पत्रकार विनोद पड़ीलकड़ी जी एवं मूत विशेषज्ञ डाक्‍टर पीटर मूतालिया जी।

एकंर छमिया : जी पड़ीलकड़ी जी बतायें क्‍या पुलिस का यह कदम उचित है?

पड़ीलकड़ी : जी छमिया जी, पहले तो हमें डिबेट में शामिल करने के लिये आपका धन्‍यवाद। मैं बता दूं कि आज तक के अपने पत्रकारिता के करियर में मैंने पार्किंग से भी ऐसी निकम्‍मी पुलिस नहीं देखी जो एक इज्‍जतदार अपराधी के मूत पर पहरा बैठाया हो और मीडिया को उसकी जानकारी नहीं दे रही हो। मैं स्‍वर्ग की सीढ़ी की कसम खाकर बता रहा हूं कि किसी के भी मूतने पर पुलिस का पहरा बैठना, मूत का अपमान है, कानून का उल्‍लंघन है, लेकिन यह सरकार कायदे कानून को नहीं मानती है। एलियन के गाय की कसम अगर अतीक ने सौ ग्राम मूता है तो पुलिस से पूछा जाना चाहिए कि आखिर वह पचास ग्राम और क्‍यों नहीं मूता? इस सरकार को लोगों के मूत का अधिकार पर पहरा बैठाना और मूत कानून का उल्‍लंघन करना सुखद लगता है।

एंकर छमिया : जी बिल्‍कुल सही। पड़ीलकड़ी जी ने बहुत सही सवाल उठाया है कि क्‍या किसी के मूतने के अधिकार पर पहरा बैठाया जा सकता है? क्‍या कानून में कम मूतने पर कोई संरक्षण या किसी सजा का प्रावधान है? पीटर मू‍तालिया जी आप कैसे देखते हैं इस पूरे मामले को?

पीटर मूतालिया : जी आप दोनों को डाक्‍टर मूतालिया का धार फेंककर नमस्‍कार। जी जहां तक मूत विज्ञान में मूतने का सवाल है, उस पर यह जानना जरूरी है कि मूत को लेकर लोग कितने जागरूक हैं। मैं कुछ भी स्‍पष्‍ट तभी बता पाऊंगा, जब आप पुख्‍ता जानकारी देंगी कि अतीक ने कितने ग्राम मूता है, और मूत के समय उसकी स्‍पीड कितने किलामीटर प्रतिघंटा थी। साथ ही मूतते समय उस मूत का कलर क्‍या था। इसके बिना कुछ भी पुख्‍ता बता पाना थोड़ी मुश्किल होगा। पर मैं मानता हूं कि अगर व्‍यक्ति डरा हुआ हो तो वह किसी भी स्थिति में सौ ग्राम से ज्‍यादा नहीं मूत सकता है, फिर भी अगर आप मूत की बिल्‍कुल मात्रा बतायें तो मैं आपको कुछ और जानकारी दे सकता हूं।

एंकर छमिया : झमाझम जी क्‍या आप पता कर पाये हैं कि अतीक ने कितने ग्राम मूता है और उसका कलर क्‍या था? और धार की स्‍पीड कितनी थी?

झमाझम जी : जी छमिया, मेरे समेत कई टीवी पत्रकार नाली में अतीक का पेशाब तलाशने में लगे हुए हैं। एक टीवी रिपोर्टर नाली में माइक लगाकर मूत से बात करने की कोशिश कर रहा है। जैसे ही मूत की तरफ से कोई जवाब आता है, हम आपको सबसे पहले अवगत करायेंगे।

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Comments on “अतीक का मूतवास और टीवी चैनल की पत्रकारिता

  • वाह भईया वाह बढ़िया विश्लेषण…पत्रकारिता को डुबो रहे है

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  • Jasbir Chawla says:

    ————
    अतीक अहमद
    मत डर मत डर
    बहा मूत्रधार
    झर झर झर झर
    शिवाम्बु तेरा
    निर्झर निर्झर
    तलहटी में माइक लिये खड़े हम
    पुष्प है तू
    हम हैं भ्रमर भ्रमर
    शौच आये तो हमें ही बताना
    अँजुरी में थाम लेंगे
    सबसे तेज सबसे पहले
    हमारे मालिक और हम हम

    ज स बी र चा व ला

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