आम्रपाली लेजर पार्क नोएडा के रेजीडेंट्स एक दूसरे से कर रहे सवाल- क्या कोर्ट रिसीवर श्री आर. वेंकटरमणी का डिजिटल सिग्नेचर किसी ने कर लिया है हैक?
श्री आर. वेंकटरमणी इस देश के अटार्नी जनरल हैं. वे भगोड़े आम्रपाली बिल्डर के छूटे-अधूरे रियल इस्टेट प्रोजेक्ट्स के कोर्ट रिसीवर भी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने लंबी चली सुनवाई के बाद कोर्ट रिसीवर नियुक्त करते हुए आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का निर्देश दिया था. सीनियर एडवोकेट श्री आर. वेंकटरमणी को कोर्ट रिसीवर बनाया गया. सब कुछ ठीकठाक चला. वेंकटरमणी का अच्छा खासा नाम हुआ. आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स के बायर्स की नजर में वेंकटरमणी किसी भगवान से कम नहीं थे.
इसी बीच वेंकटरमणी को अटार्नी जनरल आफ इंडिया बना दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने तब पूछा था- क्या आपके पास कोर्ट रिसीवर का दायित्व निभाने के लिए समय बचेगा? तब आर वेंकटरमणी ने कहा था- हां, वे कोर्ट रिसीवर का दायित्व निभा लेंगे.
लेकिन वे निभा नहीं पा रहे हैं. इसीलिए वेंकटरमणी ने कोर्ट रिसीवर का दायित्व अघोषित रूप से दूसरे लोगों को सौंप दिया है. कोई प्रवीण नाम के सज्जन हैं कोर्ट रिसीवर नोएडा आफिस में जो कोर्ट रिसीवर के डिजिटल सिग्नेचर से अनाप शनाप आदेश निकालते रहते हैं. उन्हें इतना भी होश नहीं रहता कि इस कृत्य से वेंकटरमणी साहब की छवि का कितना नुकसान होगा.
दरअसल वेंकटरमणी के पास वक्त न होने से कोर्ट रिसीवर आफिस में तैनात लोग पूरी तरह मनमानी पर उतारू हैं. उदाहरण के तौर पर आम्रपाली के लेजर पार्क प्रोजेक्ट को ले लीजिए. यहां सैकड़ों लोगों को चाभियां मिल गई हैं और वे यहां रहने लगे हैं. बजाय चुनाव कराके एढाक अपार्टमेंट आनर्स एसोसिएशन का गठन करने के, सीआर आफिस अपने चापलूसों, प्रापर्टी डीलर्स और सोसाइटी से बाहर निवास करने वालों को एक जगह इकट्ठा कर उनके नाम से एढाक एओए घोषित कर दिया. चूंकि इन लोगों को रेजीडेंट्स का विश्वास हासिल नहीं है इसलिए जमीन पर ये लोग कुछ खास कर नहीं पाते. ये जो भी करते हैं, उसमें सीआर आफिस और खुद का इंट्रेस्ट देखते हैं. रेजीडेंट्स की असली समस्याओं पर चुप्पी साधे रहते हैं.
लेजर पार्क में सीआर आफिस द्वारा लोकतांत्रिक तौर-तरीकों को दरकिनार कर जो एढाक एओए बनाया गया, उसने बिना रेजीडेंट्स की लिखित सहमति लिए, सवा दो रुपये प्रति स्क्वायर फुट मेंटेनेंस चार्ज घोषित कर दिया. इसका यहां रहने वालों ने भरपूर विरोध किया और अस्सी प्रतिशत रेजीडेंट्स ने महीना बीतने के बावजूद अब तक मेंटेनेंस जमा नहीं किया है. इनकी मांग है कि रेजीडेंट्स के बीच से चुने हुए लोगों को एढाक एओए का दायित्व दिया जाए. साथ ही आर्थिक मामलों में पारदर्शिता बरती जाए.
अब रेजीडेंट्स को धमका कर जबरन मेंटेनेंस चार्ज वसूलने के लिए सीआर आफिस के लोगों ने अटार्नी जनरल आफ इंडिया आर वेंकटरमानी के डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया और एक धमकी भरा पत्र जारी कर दिया. इसमें साफ साफ कहा गया है कि जो लोग दस दिन में मेंटेनेंस चार्ज नहीं देंगे, उनकी यूनिट की सभी आवश्यक सेवाएं बंद कर दी जाएंगी.
सोचिए, बिजली पानी लिफ्ट टाइप जरूरी और बुनियादी सुविधाएं न काटने को लेकर बहुत सारे नियम और निर्देश हैं. लेकिन इनकी अनदेखी कर ऐसी गैर-कानूनी धमकी खुलेआम और लिखित रूप से दी जा रही है. वह भी कोर्ट रिसीवर और अटार्नी जनरल के नाम से.
लेजर पार्क के एक रेज़ीडेंट अभिषेक कहते हैं- “This is a letter written in a language which is completely unsuited to a senior lawyer holding the position of Attorney General of India. He cannot bring his office to this standard. It should be brought to his notice.”
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. गुपचुप तरीके से बनाए गए एडहाक एओए पार्ट वन के दौरान भी इसी किस्म का लेटर जारी किया गया था. इस पूरे मुद्दे पर लेजर पार्क के लार्जर बायर वाट्सअप ग्रुप में एक रेजीडेंट ने अपनी प्रतिक्रियां कुछ यूं दी-
Dear Residents
Important update:
Since AD hoc part-2 circulating one letter issued by CR office and trying to falsely convey that CR office has made this policy for maintenance and other aspect. However would like to bring to your notice that this un ethical Ad hoc have made a request through their letter LPADHOC AOA/ 02 and falsely manipulate the fact that buyers have given the consent for this and request for your (CR office) go ahead.
Since, As per SC order, CR is not responsible for any maintenance and other related decision making in Leisure park, so here also this letter is not issued on CR office Capacity as they are well aware about their Limitations. You can also see the first line of letter Reference is made to LPADHOC AOA/02 dated 5th Nov.
So open your eyes and read this letter carefully. This letter issued only post AD HOC request, do not mis understood it as CR notice what this AD HOC trying to falsely portray. So now come to the same point what had been stated earlier.
Before paying any Maintenance, put below condition before Ad Hoc.
- Ask to Share the Maintenance agreement copy with vendor as it’s almost 1.6 month gone and copy not yet shared.
- Justification of Rs. 2.25 rate for maintenance and on what basis they have reached to this figure.
- MOM through which this ad hoc been formed in OCT 23.
- Written commitment from Ad hoc team that they won’t take any equipment (Including lift) handover until full fledged elected AD HOC AOA/AOA comes into force.
- Share letter given by This Ad hoc to CR office Ref LPADHOC AOA/02 dated 5th Nov. No Maintenance until fulfillment of above condition and transparency in AD Hoc Decision making.
कोर्ट रिसीव आर वेंकटरमानी के डिजिटल सिगनेचर के दुरुपयोग को लेकर लेजर पार्क के निवासियों के बीच चर्चा है कि क्या किसी ने उनका डिजिटल सिगनेचर हैक कर लिया है… लोग यह भी कहने लगे हैं कि आर वेंकटरमानी को कोर्ट रिसीवर के पद से सुप्रीम कोर्ट को मुक्त कर नए सीआर की तैनाती कर देनी चाहिए क्योंकि अटार्नी जनरल बनने के बाद आर वेंकटरमानी के पास आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स के लिए वक्त नहीं बचा है. उनकी जगह दूसरे लोग आदेश निर्देश जारी कर रहे हैं. अगर आर वेंकटरमानी खुद अपने आदेश लिखते तो किसी रेजीडेंट के फ्लैट की जरूरी सुविधाएं काटने जैसी धमकी नहीं देते. सीआर आफिस द्वारा जारी इस धमकी भरे पत्र के बाद लेजर पार्क के कई रेजीडेंट कोर्ट रिसीवर को ही लीगल नोटिस भेजने की तैयारी कर रहे हैं कि आखिर वे ऐसी तानाशाहों वाली भाषा कैसे बोल सकते हैं, वो भी तब जब वह सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि लेजर पार्क का लार्जर बायर ग्रुप अपने रेजीडेंट्स के बीच से कई बार हस्ताक्षर अभियान चलाकर, जनरल बाडी मीटिंग का आयोजन कर इससे निकले फैसले कोर्ट रिसीवर आफिस को सौंप चुका है, लेकिन कोर्ट रिसीवर आफिस न जाने किस मेनुपुलेशन के कारण लार्जर बायर ग्रुप से कनेक्ट होकर लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित टीम को एढाक एओए में शामिल करने के, गुपचुप ढंग से आए किसिम किसिम के प्राणियों (प्रापर्टी डीलरों, सोसाइटी से बाहर रहने वालों आदि) का एढाक एओए बना देता है. ये गुपचुप बना एढाक पारदर्शी तरीके से काम नहीं करता और बिना जनरल बाडी मीटिंग के ही बड़े बड़े आर्थिक फैसले लेकर रेजीडेंट्स पर थोप देता है जिससे लेजर पार्क के निवासी गुस्से में आकर असहयोग आंदोलन शुरू कर देते हैं. इसी असहयोग आंदोलन को धमका कर तोड़ने के लिए कोर्ट रिसीवर आफिस अब अटार्नी जनरल आफ इंडिया आर वेंकटरमानी के नाम का दुरुपयोग कर रहा है.
शायद आर वेंकटरमानी इस मामले का संज्ञान लें और अपने आफिस के दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करें.
शायद सुप्रीम कोर्ट इस प्रकरण का संज्ञान ले और आर वेंकटरमानी से कोर्ट रिसीवर का दायित्व निभा पाने को लेकर पर्याप्त समय होने के बारे में फिर से पूछे.
शायद कोर्ट रिसीवर आफिस अपनी गलती को स्वीकारे और धमकी वाला पत्र वापस ले!
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CS Ashish Ranade
December 25, 2023 at 12:29 pm
The signature used is not a digital signature.It’s a actual signature.
Residents should approach the receiver,as legally appointed one,for their grievances settlement.if they still don’t get justice they can go to the appellate authority.
Jayant Tidke
December 25, 2023 at 1:47 pm
Not surprised. The tone, arrogance and poor English! Typical of the SC standard.