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उत्तर प्रदेश

बनारस : खताएं कौन करता है, सजा किसको मिलती है

बनारस। भीड़ की कदमों की आहटों से हमेशा गुलजार रहने वाला शहर का गोदौलिया चौराहा सोमवार की शाम अचानक जल उठा। न जाने कैसी आग लगाई की आने-जाने वाले राहगीर, पुलिसकर्मी, मीडियाकर्मी सहित दर्जनों घायल होकर इलाज के लिए अस्पताल पहुंच गए। बीच चौराहे से उठती आग की लपटें तुलसी के मानस चरित और कबीर के पोगापंथ पर किए गए प्रहार से कही ज्यादा उंची होती दिखी। लगा कि गुस्से और नफरत के कारोबार ने कुछ ज्यादा ही पांव पसार लिया है। नहीं तो डरी, सहमी, रोती- बिलखती सुरक्षित ठिकाना तलाशने के लिए भागती महिलाओं के चेहरे पर इतना खौफ और डर नहीं होता। बनारस कोई जंगल तो नहीं कि बीच बाजार कोई खौफनाक जानवर निकल कर इंसानों पर हमला बोल दिया हो। इंसानों की बस्ती में ये कौन सा मंजर है, कि आदमी बस बदहवास भागता रहता है।

बनारस। भीड़ की कदमों की आहटों से हमेशा गुलजार रहने वाला शहर का गोदौलिया चौराहा सोमवार की शाम अचानक जल उठा। न जाने कैसी आग लगाई की आने-जाने वाले राहगीर, पुलिसकर्मी, मीडियाकर्मी सहित दर्जनों घायल होकर इलाज के लिए अस्पताल पहुंच गए। बीच चौराहे से उठती आग की लपटें तुलसी के मानस चरित और कबीर के पोगापंथ पर किए गए प्रहार से कही ज्यादा उंची होती दिखी। लगा कि गुस्से और नफरत के कारोबार ने कुछ ज्यादा ही पांव पसार लिया है। नहीं तो डरी, सहमी, रोती- बिलखती सुरक्षित ठिकाना तलाशने के लिए भागती महिलाओं के चेहरे पर इतना खौफ और डर नहीं होता। बनारस कोई जंगल तो नहीं कि बीच बाजार कोई खौफनाक जानवर निकल कर इंसानों पर हमला बोल दिया हो। इंसानों की बस्ती में ये कौन सा मंजर है, कि आदमी बस बदहवास भागता रहता है।

शायद धर्म गुरुओं का ये नया धार्मिक पाठ हो जिसमें आत्मसंतुष्टि नहीं अहम संतुष्टि जरूरी है, चाहे इसके लिए कीमत आम जन मानस को क्यों न चुकानी पड़े। संतों के नेतृत्व में टाउनहाल से चली अन्याय प्रतिकार यात्रा के अग्रिम पंक्ति में कोई संत तो नहीं नजर आया, हां उन्मादी लोगों का एक जत्था जरूर था, जो उन्मादी नारे लगाकर माहौल को भयावह बना रहा था। ठीक उसी जगह जहां बीते 22 सितम्बर को गंगा में गणपति के मूर्ति विर्सजन को लेकर पुलिस से विवाद हुआ था, अचानक से पत्थर चलने लगे, फिर आग की लपटें दिखीं और उसके बाद गोदौलिया से लेकर आस-पास की सड़कें मिनटों में रणक्षेत्र बन गये।

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जबरदस्त पथराव-आगजनी के बीच घंटों डर और दहशत का माहौल बना रहा। इन सबके बीच यात्रा में शामिल प्रमुख संतों ने घटना स्थल से दूर चौक स्थित एक मंदिर में शरण ली। जिन्होंने अपने आहत सम्मान के लिए ये प्रतिकार यात्रा निकाली थी वो मौके पर दूर-दूर नहीं दिखे, न तो शांति स्थापना के लिए उनकी वाणी गूंजी। मौके पर हालात न जाने क्यों बार-बार ये कहने को विवश कर रहे थे कि कहीं ये आत्मसंतुष्टि यात्रा तो नहीं थी? जिसमें कुछ लोगों को भले ही राहत दी लेकिन ढेरों की फजीहत हुई।

ये शहर कभी सोता नहीं। आज भी नहीं सोया है। घटना के बाद आज भी गोदौलिया पर वैसे ही लोगों का आना-जाना लगा है। इनमें तीर्थयात्रियों की संख्या ज्यादा है, जो काशी में धर्म के मर्म को समझने आते हैं। लेकिन काशी में धर्म का मर्म अब ज्ञान की आंधी में कम और सड़क पर ताकत आजमाईश में ज्यादा भरोसा करने लगा है। घटना के बाद की बदहवासी और लोगों को हुई बेवजह परेशानी यही कहती रही कि खताएं कौन करता है, सजा किसको मिलती है?

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ज्ञात हो कि अन्याय प्रतिकार यात्रा के दौरान सड़कें रणक्षेत्र में तब्दील हो गईं थी। एक बार फिर धार्मिक मुद्दे पर हुए विवाद को लेकर शहर का हृदय स्थल माने जाने वाले गोदौलिया सहित आस-पास के सड़क रणक्षेत्र बन गए थे। हालत की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने शहर के गोदौलिया, मैदागिन, चौक, मदनपुरा, नई सड़क इलाकों में कर्फ्यू लगाने की घोषणा की हालाकि बाद में सभी क्षेत्रों से कर्फ्यू उठा लिया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में संतों व धार्मिक संगठनों द्वारा निकाले गए अन्याय प्रतिकार यात्रा के दौरान शहर के सबसे भीड़-भाड़ वाला इलाका देखते ही देखते जल उठा।

यात्रा में शामिल भीड़ ने गोदौलिया चौराहे पर मौजूद पुलिस बूथ को फूंक डाला। पुलिस की गाड़ी को आग के हवाले कर दिया। बाद में घंटों तक गोदौलिया, गिरजाघर की सड़कें रणक्षेत्र बनी रहीं। पुलिस और यात्रा में शामिल भीड़ की ओर से पत्थरबाजी होती रही। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस को आंसू गैस, रबर की गोली तक चलानी पड़ी। देर शाम तक रुक-रुक कर पथराव का क्रम जारी रहा। पथराव में आम लोगों सहित पुलिस वाले व पत्रकार भी जख्मी हुए।

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कल दोपहर तीन बजे तक गोदौलिया चौराहे पर सब सामन्य था। पिछले दिनों गणेश प्रतिमा के गंगा में विर्सजन की मांग को लेकर गोदौलिया चौराहे पर तकरीबन 30 घंटे तक धरना दिया गया था। धरने को खत्म करने के लिए पुलिस ने अर्धरात्रि बाद लाठी चार्ज कर धरने को खत्म करवाया था। लाठी चार्ज में विद्यामठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को भी चोटें आयीं थीं। इसके बाद से लगातार माहौल गर्म होता रहा। दोनों प़क्ष घटना के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते रहे। लाठीचार्ज के बाद संत समाज ने 5 अक्टूबर को पुलिसिया कार्यवाही के विरोध में अन्याय प्रतिकार यात्रा निकाले जाने का ऐलान किया था।

कल दोपहर मैदागिन से चली यात्रा जैसे ही गोदौलिया पहुंची, यात्रा में शामिल लोग पुलिस-प्रशासन विरोधी नारेबाजी करने लगे। देखते ही देखते एक के बाद एक कई जत्थे गोदौलिया पहुंच गए। इसके बाद यात्रा में शामिल लोगों ने गोदौलिया चौराहे पर स्थापित पुलिस बूथ पर पथराव शुरू कर दिया। इस दौरान किसी ने आगजनी की घटना को अंजाम दे दिया। फिर देखते ही देखते गोदौलिया, गिरजाघर का इलाका रणक्षेत्र बन गया। कल देर शाम प्रषासने ने शहर के पांच इलाके गोदौलिया, चौक, मैदागिन, नई सड़क, मदनपुरा में कर्फ्यू लगाये जाने का ऐलान कर दिया। घटना का सबसे दुखद पहलू ये रहा कि कल ज्युतिका का पर्व होने के चलते भारी संख्या में महिलाए दर्शन-पूजन के लिए सड़कों पर थीं। इस घटना के चलते उन्हें सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा।

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बनारस से पत्रकार भाष्कर गुहा नियोगी की रिपोर्ट. संपर्क: [email protected]

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