विष्णु नागर-
एक अच्छी खबर है केरल से। वहां हिंदी लेखकों के सुपरिचित कवि और अनुवादक संतोष अलेक्स की अध्यक्षता में व्यक्तिगत प्रयासों से भारतीय अनुवाद अकादेमी बनी है,जिसका काम सभी भारतीय और विदेशी भाषाओं के साहित्य के अनुवाद को पूरे भारत में प्रोत्साहित करना है।इसका उद्घाटन कल कोच्चि में मलयालम के उपन्यासकार टी डी रामकृष्णन ने किया।यह सेमिनार और कार्यशालाएं भी आयोजित करेगी।
आज के राजनीतिक मौसम में भारतीय भाषाओं की रचनाओं के बीच अनुवाद का यह पुल बन रहा है,यह बड़ा कदम है।यह काम चूंकि केरल में हो रहा है, इसलिए इसके सफल होने की पूरी संभावनाएं हैं।
साहित्य अकादेमी, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास अनुवाद का काम करती रही हैं मगर इस बीच उसकी गति मंद हुई है।न इन अकादेमियों को काम करने स्वतंत्रता है,न इच्छा बची है,न इनका नेतृत्व ऐसा है,जो रूटीन से आगे बढ़ने को उत्सुक हो।इनका राजनीतिकरण और नौकरशाहीकरण पूरी तरह हो चुका है।
एक अच्छी बात यह है कि केरल में क्षेत्रीय के साथ अखिल भारतीय और वैश्विक दृष्टि के साथ बहुत से काम कला के क्षेत्र में होते हैं।अभी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह हो रहा है।हर दो वर्ष बाद अंतरराष्ट्रीय कला द्विवार्षिकी होती है। अंतरराष्ट्रीय नाटक महोत्सव होता है और भी अनेक ऐसी पहल होती है।कोई राज्य अखिल भारतीयता तथा अंतर्राष्ट्रीयता को स्तरीयता के साथ समेट रहा है,यह उसकी दूरगामी समझ का परिणाम है।
संतोष अलेक्स को मैं उनके अनुवाद कर्म के कारण केवल नाम से जानता हूं।उनकी सफलता की शुभकामनाएं।
डॉ संतोष एलेक्स का परिचय- पेन इंडियन लेखक, कवि, अनुवाद विद्वान, आलोचक, डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर, लिटरेरी क्यूरेटर एवं संपादक । हिंदी अंग्रेजी,मलयालम एवं विदेशी भाषाओं में 63 किताबें प्रकाशित। मात्र हिंदी में 40 किताबें प्रकाशित जिसमें कविता,अनुवाद,गांधी साहित्य, बाल कविता, यात्रा वृतांत, संपादित किताब एवं आलोचना शामिल है। संतोष की हिंदी कविताओं का भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में कुल मिलाकर 32 भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हो चुका है। मलयालम एवं हिन्दी में 3 मौलिक कविता संग्रह एवं अंग्रेजी में एक अनूदित कविता संग्रह प्रकाशित है। उनकी आलोचना की किताब अनुवाद: प्रक्रिया एवं व्यावहारिकता , भारत के तीन विश्वविद्यालयों के अनुवाद अध्ययन के सिलेबस में शामिल है। आप देश विदेश के लिटरेरी फेस्टिवल एवं साहित्य अकादमी के राइटर्स मीट में कई बार आमंत्रित किए गए हैं। इटली के अंतरराष्ट्रीय तुलियो पुरस्कार के ज्यूरी सदस्य रहे हैं।आप पांच भाषाएं बात करते हैं और 31 सालों से इन भाषाओं में अनुवाद कर रहें हैं। पिछले तीन दशकों से मौलिक लेखन एवं अनुवाद के माध्यम से हिंदी भाषा एवं साहित्य को समृद्ध कर रहें हैं और उत्तर और दक्षिण के बीच सेतु का कार्य कर रहे हैं।भारत की पहली अनुवाद अकादेमी के संस्थापक एवं मानद निदेशक हैं।भारतीय अनुवाद परिषद का दि्वागीश पुरस्कार,प्रथम सृजनलोक कविता पुरस्कार,साहित्य रत्न पुरस्कार,इटली से वित्रुसो अंतरराष्ट्रीय कविता पुरस्कार, पीसी जोशी शब्द साधक अनुवाद सम्मान समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित।सम्प्रति,कोचीन में केंद्र सरकार के कार्यालय में हिन्दी अधिकारी के रूप में कार्यरत। ईमेल – [email protected].