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साहित्य

नीलाभ से विवाद के बाद भूमिका ने लिखी एक कविता- ”रहम कर मुझ पर मालिक, किसी कमसिन, किसी भोली से मिला दे”

पचहत्तर बरस के साहित्यकार नीलाभ अश्क और 25 वर्ष की उनकी पत्नी भूमिका द्विवेदी के बीच विवाद होने के बाद भूमिका ने अपने फेसबुक वॉल पर एक कविता पोस्ट की है. इस कविता में कहीं भी नीलाभ अश्क का नाम नहीं है लेकिन पढ़ने वाला हर कोई समझ रहा है कि यह कविता किसको लक्षित कर लिखी गई है. इस कविता को फेसबुक पर खूब लाइक और कमेंट्स मिल रहे हैं. आप भी पढ़िए…

<p>पचहत्तर बरस के साहित्यकार नीलाभ अश्क और 25 वर्ष की उनकी पत्नी भूमिका द्विवेदी के बीच विवाद होने के बाद भूमिका ने अपने फेसबुक वॉल पर एक कविता पोस्ट की है. इस कविता में कहीं भी नीलाभ अश्क का नाम नहीं है लेकिन पढ़ने वाला हर कोई समझ रहा है कि यह कविता किसको लक्षित कर लिखी गई है. इस कविता को फेसबुक पर खूब लाइक और कमेंट्स मिल रहे हैं. आप भी पढ़िए...</p>

पचहत्तर बरस के साहित्यकार नीलाभ अश्क और 25 वर्ष की उनकी पत्नी भूमिका द्विवेदी के बीच विवाद होने के बाद भूमिका ने अपने फेसबुक वॉल पर एक कविता पोस्ट की है. इस कविता में कहीं भी नीलाभ अश्क का नाम नहीं है लेकिन पढ़ने वाला हर कोई समझ रहा है कि यह कविता किसको लक्षित कर लिखी गई है. इस कविता को फेसबुक पर खूब लाइक और कमेंट्स मिल रहे हैं. आप भी पढ़िए…

देह में जान नहीं
मुंह में दांत नहीं
पेट में आंत नहीं

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फ़िर भी ऐ खुदा कामिनी से मिला दे
एक छोड़, दूसरी को मारकर, लचकदार दामिनी से मिला दे.

क्या हुआ वैभव नष्ट हुआ
सम्मान गलित हुआ
हर पथ भ्रमित हुआ
पैत्रिक यश कलंकित हुआ
सारा समाज अचंभित हुआ
कमर पर बल पड़े,
ना सीधा चल सके,
फ़िर भी ऐ ख़ुदा गजगामिनी से मिला दे

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भावना क्या है
दायित्व किस चिड़िया का नाम है
वफ़ा, तह्ज़ीब, सलीका का क्या काम है
आंखों से ना दिखे भले ही
कांपते लिजलिजे वृद्ध हाथों को थाम ले कोई
फ़िर भी ऐ ख़ुदा मृगनयनी से मिला दे.

मैं सत्य छुपा लूँगा
कुछ भी बता दूँगा
वियाग्रा चबा लूँगा
यूनानी दवा लूँगा
किसी भी तरह से
मैं उसको फ़ँसा लूँगा
रहम कर मुझपर मालिक,
किसी कमसिन, किसी भोली से मिला दे

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पोपले मुँह से कसीदे गढ़ूँगा
गिनती के श्वेत केशों से
मैं उसको हवा दूँगा
अपने झूठों से तनिक
नहीं बिफरूँगा
अब तो कृपा बरसा मौला
बाँकी अदाओं वाली महजबीं से मिला दे
एक बार मिला दे…

मिला दे ऐ ख़ुदा
मिला दे ऐ ख़ुदा

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कब्र में जाने से पहले
किसी एक से,
तो फ़िर मिला दे ऐ ख़ुदा

मिला दे ऐ ख़ुदा
मिला दे ऐ ख़ुदा
मिला दे ऐ ख़ुदा……..

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((साहित्य के उजले पैरहन पर पड़े हुये एक धब्बे जैसे किसी दीन-हीन, लिजलिजे बूढ़े की हसरतों का ब्यौरा, जिसे अस्सी बरस में फ़िर पांचवा विवाह करने की असीम इच्छा है.))

Bhumika Dwivedi के फेसबुक वॉल से.

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