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सीएम के जिले में थानेदार की गुंडई, कोर्ट का आदेश ठेंगे पर रखकर पत्रकार की जमीन पर कब्जा करा दिया

नालंदा (बिहार) जिले का नगरनौसा-चंडी अंचल क्षेत्र सुशासन बाबू के नाम से मशहूर बिहार के सीएम नीतिश कुमार के गृह जिले की राजनीति का एक प्रभावशाली अंग माना जाता है लेकिन यहां सुशासन का जो ताजा दृश्य सामने है, वह आम जनता की अंतरात्मा को अंदर तक झकझोर जाता है। एक गुंडा थाना प्रभारी ने कोर्ट के आदेश को परे रखकर पत्रकार की जमीन पर कब्जा करा दिया। 

नालंदा (बिहार) जिले का नगरनौसा-चंडी अंचल क्षेत्र सुशासन बाबू के नाम से मशहूर बिहार के सीएम नीतिश कुमार के गृह जिले की राजनीति का एक प्रभावशाली अंग माना जाता है लेकिन यहां सुशासन का जो ताजा दृश्य सामने है, वह आम जनता की अंतरात्मा को अंदर तक झकझोर जाता है। एक गुंडा थाना प्रभारी ने कोर्ट के आदेश को परे रखकर पत्रकार की जमीन पर कब्जा करा दिया। 

ऐसे तो सुशासन के ढोल की पोल खोलने वाले सैकड़ों उदाहरण हैं लेकिन वरिष्ठ वेब पत्रकार मुकेश भारतीय से जुड़े ताजा मामले ने सीधे सुशासन बाबू पर ही सवाल खड़ा कर जाता है क्योंकि भारतीय द्वारा सीएम नीतिश कुमार से कई बार हर संभव माध्यमों द्वारा शिकायत भेजी गई लेकिन फोनिक आश्वासनों के सिवा कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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इन दिनों झारखंड की राजधानी रांची में रह रहे भारतीय ने नगरनौसा अंचल के तात्कालीन सीओ दिव्या आलोक को लिखित आवेदन दिया। आवेदन में उन्होंने गांव के असामजिक तत्वों द्वारा उनकी पैत्रिक जमीन पर अतिक्रमण किये जाने की शिकायत करते हुए जमीन मापी करा कर सीमाकंन की मांग की लेकिन इधर जैसे ही सीओ की मापी प्रक्रिया शुरु हुई, उधर विरोधियों ने भूमि के एक हिस्से पर पक्का निर्माण कार्य शुरु कर दिया। इस दौरान भारतीय ने सीओ को बिना नापी के निर्माण कार्य होने की सूचना दी। हर बार सीओ संबंधित चंडी थाना प्रभारी धर्मेन्द्र कुमार को मापी होने तक वस्तुस्थिति कायम रखने के निर्देश देते रहे और थाना प्रभारी उस हर निर्देश को रद्दी की टोकरी में फेंकते रहे।

करीब ती माह तक यह सिलसिला चलता रहा। इस दौरान उक्त भूमि पर  मकान की पक्की दीवार उठा ली गई। प्रथम एवं अन्य पक्षों के नीजी अमीनों की मौजूदगी में सरकारी अमीन की नापी के सीओ ने सीमांकन की कार्यवाही की गई। उसके बाद एसडीओ, हिलसा कोर्ट में शिकायत की गई। एसडीओ ने मामले की सुनवाई करते हुए उक्त भूमि पर धारा 144 लगा दी और चंडी थाना प्रभारी को फैसला होने तक वस्तुस्थिति बनाये रखने के निर्देश दिए। एसडीओ के इस आदेश का पालन भी थाना प्रभारी ने नहीं किया और उसके हस्ताक्षर से कोर्ट को यह सूचना भेजी गई कि वहां 144 जैसी कोई स्थिति नहीं है और विवादित स्थल पर कोई निर्माण कार्य नहीं किया गया है। जबकि सच्चाई यह है कि धारा 144 लागू होने के दौरान विरोधी पक्ष ने चंडी थाना पुलिस के खुली संरक्षण और गांव के असमाजिक तत्वों की मदद से उक्त भूमि पर पक्का मकान की ढलाई कर ली गई।

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उसके बाद भारतीय ने हिलसा एसडीओ कोर्ट में पुलिस की रिपोर्ट को मनगढ़ंत और झूठी होने की चुनौती दी। उसके बाद हिलसा एसडीओ ने चंडी के सीओ राजीव रंजन को घटनास्थल पर जाकर त्वरित जांच रिपोर्ट देने को कहा। चंडी सीओ ने न सिर्फ उक्त मकान पर धारा 144 के दौरान पक्का मकान बना डालने की पुष्टि की बल्कि मौके पर निर्माण कार्य कर रहे कई राजमिस्त्रियों और मजदूरों को भी पकड़ा और उन्हें बतौर गवाह रिपोर्ट दर्ज की।

चंडी, सीओ के इस रिपोर्ट के बाद विवादित स्थल पर दो चौकीदार तैनात कर दिए गए। फिर भी उक्त स्थल से छेड़छाड़ होती रही। कई काम किए गए। चंडी सीओ के जांच के नव ढली मकान में सेंटिंग के पटरे लगे थे, जिसे थाना प्रभारी ने वगैर किसी लिखित आदेश के अचानक चौकीदार को हटा कर दिनदहाड़े खुलवा दिया। थाना प्रभारी के खुला संरक्षण का आलम यह है कि तमाम आदेश-निर्देश के बावजूद समाचार प्रेषण तक उक्त जमीन की बोरिंग पर दबंगों द्वारा अवैध बिजली के सहारे चोरी के मोटर पम्प चलाए जा रहे हैं।

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अब देखना हैं कि नालंदा के डीएम, एसपी से लेकर सीएम तक की इस मामले पर बरती गई उदासीनता की चपेट में सुशासन और मुकेश भारतीय के मामले का आलम क्या होता है। फिलहाल, एक तरफ इस प्रक्ररण में एसडीओ कोर्ट से तारीख पर तारीख मिल रही है, वहीं दूसरी तरफ जातीयता के चरम पर एक चंडी थाना प्रभारी की गुंडागर्दी सर चढ़कर बोल रहा है।  

पत्रकार मुकेश भारतीय से संपर्क : [email protected]

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