छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक बड़े अखबार का सबसे बड़ा वाला संपादक अरनब गोस्वामी को यहां-वहां घूम घूमकर गाली बकता है, लेकिन खुद क्या है। छत्तीसगढ़ में सबसे घटिया पत्रकारिता देखना है तो रायपुर का इसका अखबार पढ़ लो। अर्णब तो कम से कम प्रधानमंत्री की चमचई कर रहा है, तुम तो शहर के महापौर की चमचई करने से फुर्सत नहीं पा रहे। क्यों अरनब को कोस रहे हो। राजनीति का बीट देखते देखते खुद राजनीतिक खिलाड़ी हो गया है। लोगों को निपटाने में माहिर है। एक को नौकरी छोड़ने के लिए उसने मजबूर कर दिया, क्योंकि उसने नेशनल एडिटर के सामने आवाज़ उठाई।
मुख्यमंत्री तो ठीक है, पर उसे महापौर की चमचई से फुर्सत नहीं है। उसी के आफिस में बैठा रहता है। रिपोर्टर को महापौर के खिलाफ समाचार लिखने की मनाही है। सरकार बदलने के बाद अब तो बीजेपी वाले भी कहने लगे हैं कि सरकार आने दो, फिर इस नमक हराम को बताते हैं। बीजेपी के समय गाड़ी से लेकर बंगला सब बनाया। अरनब को गाली बकता है तो पहले खुद तो देख कि खुद क्या है। खुद भी तो वही चाट रहा है। अरनब को गाली बकने से वो क्या महान हो जाएगा। पहले खुद देखे कि उसने जीवन में क्या सफलता पाई है। अर्णब ने अपना चैनल खड़ा कर लिया, इस संपादक ने चापलूसी के सिवाय और क्या किया है। सबको आपस में लड़ाकर अपना काम निकालने वाला धूर्त लंगोट का ढीला है। एक बार तो लड़कीबाजी के चकल्लस में महिला थाना में शिकायत हो चुकी है। इस मामले को भास्कर ने डीजीपी एसपी को बोलबाल के निपटवाया। उस लड़की को नौकरी छोड़ना पड़ा, इतना मजबूर कर दिया गया।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.