Alok Putul : छत्तीसगढ़ के अख़बारों में फ़रवरी के बाद से 90 से अधिक लोगों को बाहर कर दिया गया है. कई बड़े अख़बारों ने जिलों के ब्यूरो कार्यालय बंद कर दिये हैं, पत्रकारों को नौकरी से हटा दिया गया है. दिल्ली से लेकर बस्तर तक हालात ख़राब हैं. एक ही अनुरोध कर सकता हूँ. हौसला बनाये-बचाये रखिये.
वरिष्ठ पत्रकार आलोक पुतुल की एफबी वॉल से.
कुछ प्रतिक्रियाएं-
Tameshwar Sinha : जिलो के ऑफिस बंद है सिर्फ एक या दो स्टाफ घर से काम कर रहे है।
Pran Chadha : अखबार के पेज कम कर दिए हैं, रेट भी कम नहीं किया गया है , फिर भी कम्पनी की सालों से सेवा में लगे मीडिया कर्मियों के वेतन कमी और छंटनी की जा रही है। जबकि उनके दम खम से कम्पनी ने माल कमाया, यह नैतिक नहीं,अलबत्ता गैर कानूनी है।
Ved Chand Jain प्राण भाई, खूबसूरत जैकेट में दो जेब हैं, एक में नैतिकता एक में कानून।
Shailendra Thakur दूसरों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले तथाकथित बड़े मीडिया हाउस सबसे ज्यादा अमानवीय हो गए हैं।
Appu Navrang दूसरों के हक के लिए आवाज उठाने वाले आज अपने ही हक के लिए आवाज नहीं उठा पा रहे। निजी संस्था में तो पता चला है सभी कर्मचारियों का पेमेंट बहुत कम कर दिया गया है कि जो मासिक आय है वह तक काट कर दी जा रही है
Priyadarshan Sharma हर अखबार का एक सा हाल