यशवंत सिंह-
अदभुत कार्यशैली है Shishir Singh की!
मुझे इस शख़्स के बारे में ज़्यादा नहीं मालूम लेकिन हाल फ़िलहाल कुछ मामलों के कारण इनके टच में आया तो ग़ज़ब की कार्यशैली देख दंग हूँ। लखनऊ और मुंबई के दो उद्यमी मित्रों की कुछ समस्याएँ हैं। ‘योगी रत्न’ के रूप में मशहूर यूपी के सूचना निदेशक शिशिर जी के संज्ञान में दोनों मामलों को ले आया कि देखिए ब्यूरोक्रेसी के कुछ लोग जेन्युइन कामों में निहित स्वार्थ वश किस तरह रोड़े अटका रहे हैं!
शिशिर जी ने फ़ौरन (फ़ौरन मतलब बिलकुल तुरंत) इन मामलों को संबंधित विभागों के उच्चाधिकारियों को भेजा और फिर नेक्स्ट डे फॉलोअप किया, फिर फीडबैक हम लोगों तक पहुँचाया।
एक दफे मेरी ख़ुद की इनसे मुलाक़ात हुई लखनऊ में। आधे घंटे से ज़्यादा साथ रहा। बंदा हर काम तुरंत चुटकियों में करता। फ़ौरन निर्णय। ऑनस्पॉट न्याय!
मिलने वाला कोई एप्लीकेशन लेकर आता तो उससे ख़ुद ही माँग कर पढ़ने के बाद आर-पार का निर्णय कलम से दर्ज करते हुए कागज अधीनस्थ को सौंप समुचित निर्देश दे देते!
नौकरशाह मतलब फाइल अटकाने वाला, रोकने वाला, पब्लिक को परेशान करने वाला। परसेप्शन यही है। यही सुनता देखता आया हूँ। पर यहाँ तो मामला उल्टा है। इन्हें देख कर लगता है ऐसे ही कुछ लोग रीढ़ होते हैं किसी शासन व्यवस्था की। ये लोड लेते हैं, pain लेते हैं। 24×7 प्रो-ऐक्टिव मोड में रहते हैं।
अपने विभाग के साथ साथ दूसरे विभागों की शिकायतों को हैंडल करते।
शिशिर ख़ुद तो फटाफट काम करते ही हैं, अपने विभाग वालों को भी दौड़ाए रहते हैं। अटकाने भटकाने वाली लालफ़ीताशाही (रेड टेपिज्म) की परंपरागत नीति को इन्होंने उलट दिया है।
कुछ ऐसा ही स्पार्क नवनीत सहगल जी में हुआ करता था। सहगल साहब रिटायर हो गए लेकिन उनकी स्टाइल-तेवर शिशिर जी के रूप में अब भी ज़िंदा है। लोग बताते हैं कि कभी सहगल साहब की टीम के प्रमुख सदस्य शिशिर जी हुआ करते थे, उनकी ही ट्रेनिंग है, इसीलिए उसी स्टाइल के साथ अब ख़ुद टीम लीडर हैं!
काश दस परसेंट ब्यूरोक्रेट भी ऐसे हो पाते!
शिशिर के बैकग्राउंड के बारे में आप में से किसी को कुछ पता हो तो हमें भी बताइए। मुझे सहज उत्सुकता हुई दो तीन घटनाक्रमों के बाद इन्हें जानने की। इनके बारे में कहीं कुछ ख़ास पढ़ने जानने को भी नहीं मिलता।
और हाँ, एक चीज तो रह ही गया बताना। ऐसे दौर में जब मीडिया हाउसेज़ बिज़नेस के लिए सरकारों के आगे नतमस्तक होते हैं, महान संपादक लोग बिज़नेस प्लान लेकर सूचना निदेशकों से याचक की मुद्रा में मिलते हैं, ये सूचना निदेशक का पद बहुत पावरफुल हो चुका है। ये दरअसल सीएम के मूड को परिलक्षित करने वाला बैरोमीटर विभाग है। सूचना विभाग नाराज तो समझो मीडिया हाउस से सीएम नाराज़! इसलिए सूचना निदेशक आज के दौर में मिनी सीएम से कम नहीं होते! बहुत पावरफुल पद हो चुका है सूचना निदेशक का। बावजूद इसके शिशिर इतने सहज और त्वरित हैं तो एक तारीफ़ होनी बनती है।
देखें भड़ास संपादक की पोस्ट पर आए कुछ कमेंट..
Bhanu Prakash Singh Bablu-
ये इलाहाबाद विश्वविद्यालय से निकले अत्यंत ही मिलनसार, जमीन से जुडे,लाइमलाइट से दुर रहने वाले अत्यंत ही उर्जावान व तेजतर्रार अधिकारी है। Shishir Singh सर से मिलने पर हर व्यक्ति इनका, इनके कार्यो का मुरीद हो जाता है।
Yashwant Singh-
Bhanu Prakash Singh Bablu हाँ ये ईविवि वाला कनेक्ट तो ज़िक्र करना भूल ही गया। हर इलाहाबादी किसी न किसी बहाने से ख़ुद को शिशिर जी से कनेक्ट कर लेता है! वो कहते भी हैं न- सफलता के सौ रिश्तेदार होते हैं। वैसे सुना है शिशिर जी इलाहाबादियों को अतिरिक्त तवज्जो भी खूब देते हैं। मतलब उनके भीतर एक इलाहाबाद अभी ज़िंदा है।
Jagmohan Shakaal-
बाबा शिशिर सिंह जी मेरठ में रहे हैं बहुत शानदार बहुत जानदार व्यवहारिक व्यक्ति हैं और हमेशा सादगी और प्रेम भरी मुस्कान के साथ मुलाकात करते हैं मेरठ में बहुत सारी समस्याएं जनता की मिलकर निमटवाई मेरठ घंटाघर पर टाउन हॉल में उनकी ड्यूटी थी मैंने कहा सर मिलना है मुलाकात करनी है कहां शाकाल भाई यहीं पर आ जाओ और जिस काम के लिए लोग वर्षों से परेशान हो रहे थे उन्होंने तत्काल घंटा घर पर टाउन हॉल पर बुलाकर वह काम 10 सेकंड में कर दिया जिलाधिकारी मुकेश मेश्राम जी थे और एसएसपी नवनीत सिकेराजी थे।
Yashwant Singh-
Jagmohan Shakaal हाँ भाई, मेरठ के कई मित्र शिशिर जी का ज़िक्र करते रहते हैं। एक बार DrVishal Jain जी तारीफ़ करते हुए शिशिर की चर्चा कर रहे थे।
Vishal Singh Foodman-
हर जाए समस्या का समाधान है मेरे लिए भोले शंकर स्वरूप श्री शिशिर सिंह जी के पास,,
समाज में जरूरतमंद लोगों हेतु आपका पूरा परिवार सदैव उनकी सहायता करता रहता है आज आपके परिवार से सदैव प्रसादम सेवा में सहयोग प्रदान कर कैंसर पीड़ितों की मदद कर उनकी मुश्किल घड़ी में मरहम लगाने का प्रयास किया जाता है. आप जैसे सार्थक ऊर्जावान लोगों से प्रेरणा मिलती है जब आप जैसे लोग हम जैसे लोगों से बोलते हैं कि जब भी कभी सेवा मिशन में किसी भी तरह की जरूरत हो मेरा परिवार सदैव आपके साथ है और यह मेरा सौभाग्य होगा कि मैं इन पीड़ितों की मदद करता हूं तभी हम जैसे लोगों का मनोबल बढ़ता है.
Arvind Kumar Singh-
Shishir Singh जैसे अधिकारी नौकरशाही में कम हैं। उन्होंने सबकी मदद की है। जो भी गया कभी खाली हाथ नहीं आया। पावर और पहुंच सत्ता शिखर तक लेकिन सबसे साधारण सा व्यक्ति मिल सकता है। कोई पत्रकार मिलकर अपनी बात कह सकता है। मैसेज पर भी समस्या का समाधान करने वाले शिशिर सर की अद्भुत कार्य संस्कृति है।
Mahipal Singh-
वैसे तो बड़े लोगों की बड़ी बड़ी बाते होती ही हैं,लेकिन इवेंट जर्नलिज्म के मौजूदा दौर में हिन्दी पट्टी के अख़बारों द्वारा ‘विमर्श, कांक्लेव, जिसका प्रवेश शुल्क आम आदमी की पहुंच से दूर है। उसमें सीएम लेवल के राजनेता और इलीट लोग शामिल होते हैं, कोई विमर्श नहीं होता। पिछले सात-आठ साल से जिला स्तर पर ख़बरनवीस को इतना नज़रंदाज़ कर दिया गया है कि जिससे लगने लगा है कि किसी दिन इस निष्प्रयोज्य क्षेत्र के समाप्ति की विधिवत घोषणा बाकी है। समाचारों की कटिंग और उस पर कार्रवाई निल बटा निल,सूचना विभाग लगभग निष्क्रिय हो चुका है। जिले के पत्रकारों की बात रखने का आखिरी माध्यम, मान्यता प्राप्त पत्रकार स्थाई समिति मीटिंग बीते समय की बात हो गई है। और भी बहुत कुछ? वैसे ऊपर सब चंगा सी।इसे सूचना निदेशालय की उपलब्धि माना जाए या फिर विफलता?
Shambhu Dayal Vajpayee-
बरेली में एडीएम एफआर रहे हैं । तब मैं दैनिक जागरण, गोरखपुर में था,इस लिए भेंट नहीं थी। जबर्दस्त लोकप्रियता। कुलीन क्षत्रियोचित तेजी और व्यवहार कुशलता । बरेली के बहुत लोग अब इनसे जुडे और प्रशंसक हैं । कुछ विपरीत कहता कोई नहीं मिला।
Atanu Bhattacharya-
यशवंत जी, शिशिर जी मूल निवासी बलिया जिले के है, उनकी स्कूली शिक्षा इलाहाबाद के बॉयज हाईस्कूल एवम् इंटरमीडिएट से हुई है, हमारे बड़ी बहनजी श्रीमती जया जी एवम् मेरी धर्मपत्नी इन की टीचर थी, दीदी का कथानुसार शिशिर जी एक मेधावी छात्रों में स्थान था,और फ़िर इलाहबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की इनकी स्कूल जीवन से ही एक अपना स्थान रखते थे ये बात मेरे दीदी,मेरे वाइफ एवम् वहां के शिक्षकओ द्वारा पता चला था,और सबसे बड़ी बात है की शिशिर जी एक नेक दिल और अच्छे व्यक्तित्व के धनी इंसान है.
भड़ास4मीडिया के संस्थापक संपादक यशवंत सिंह की फेसबुक वॉल से..