एएनआई से खबर है कि वहां कार्यरत एक मीडियाकर्मी का जब परीक्षण हुआ तो वह कोरोना पाजिटिव पाया गया. इस जानकारी के बावजूद बाकी मीडियाकर्मियों को बिना उचित रखरखाव के जबरन काम करने पर मजबूर किया जा रहा है. कायदे से आफिस को सील कर इसे सैनिटाइज किया जाना चाहिए था. पर ऐसा नहीं किया गया.
यहां तक कि जो व्यक्ति कोरोना पाजिटिव पाया गया, उसके बारे में सूचना बाकी किसी इंप्लाई को नहीं दी गई है. मीडिया में हो रही छंटनी को देखते हुए एएनआई का कोई इंप्लाई विरोध में आवाज नहीं उठा पा रहा क्योंकि उसे नौकरी जाने का डर है.
कोई भी इस कोरोना काल में नौकरी नहीं खोना चाहता लेकिन सवाल है कि क्या जान की कीमत इतनी कम है? जिन कुछ लोगों को पता चला है कि उनका साथी कोरोना पाजिटिव निकला है, वे होम क्वारंटीन हो गए हैं. पर कइयों को तो पता ही नहीं है कि उनका कोई साथी कोरोना पाजिटिव है.