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पक्ष में आदेश आने के बाद दैनिक जागरण के शेष मीडियाकर्मी भी रिकवरी केस लगाने की तैयारी में!

रतन भूषण-

नोएडा लेबर कोर्ट से मजीठिया वेज बोर्ड के रिकवरी के केस में वर्कर के पक्ष में आदेश क्या आया, दैनिक जागरण में काम करने वाले सभी यूनिट के लोग केस लगाने के लिए तैयार हो गए हैं। सभी अपने कागज़ात लेकर सी ए के पास जा रहे हैं रिकवरी चार्ट बनवाने के लिए। सब नोटिस भिजवाने की तैयारी में हैं। पहले केस के बारे में बात करने से कतराने वाले वर्कर, चाहे वे काम कर रहे हों या छोड़ चुके हों, सभी केस लगाएंगे। उन्हें अब यकीन हो गया है कि केस कर के जागरण से राशि लेना नोएडा से आदेश आने के बाद आसान हो गया है। जागरण के मालिकान और उनके प्यादे इस बात से बेहद परेशान हैं।

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दूसरी ओर आये आदेश को लेकर जागरण समूह में खलबली मची है। 2 माह का समय मिला है पैसे देने के लिए, जिसमें से 15 दिन बीत गए हैं। वैसे सूत्र बताते हैं कि मालिकान हर पहलू पर विचार कर रहे हैं। वे वर्करों के साथ बैठक भी कर सकते हैं। उन्हें यह दिख रहा है कि यही एक रास्ता है, जिसके जरिये अवमानना के केस और अन्य यूनिट के लोगों की तमाम देनदारियों से बचा जा सकता है। उनके दिमाग में यह भी चल रहा है कि अगर माननीय हाइकोर्ट गये, तो आधी राशि या ग्वालियर की तरह पूरी राशि जमा करने के बाद ही केस लिस्ट होगा। सम्भव है कि मालिकान की स्थिति वहां जाने के बाद सांप छछुंदर जैसी हो जाये!

फिर जागरण यह भी सोच रहा है कि जब राशि आदेश के मुताबिक माननीय हाइकोर्ट में जमा करना ही होगा, क्योंकि जागरण में कोई वेजबोर्ड लागू नहीं है, तो संभव है कि केस जल्द खत्म भी हो जाये, तो बड़ी मुसीबत में फंसेंगे मालिकान औऱ फिर बचने का कोई रास्ता इनके पास नहीं होगा, तो ये हार कर वर्कर के साथ बैठक करने की कोशिश करेंगे और सभी के साथ। क्योंकि केस तो केस है और एक केस से भी मालिकान अवमानना में फंसेंगे या दोषी साबित हो जाएंगे।

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फिलहाल वर्कर मजे में हैं और दैनिक जागरण के मालिकान जागरण कर रहे हैं। मालिकान की नींद हराम है उनके गलत निर्णय लेने के कारण और इसमें बड़ी भूमिका निभाई है उनके ख़ास ने जैसे उनके वकील, लीगल एडवाइजर, कुछ प्यादे आदि। इन सबने जागरण के मालिकों को कभी सही राय नहीं दी। सबने केस के बहाने अपना उल्लू साधा।

जागरण की लीगल टीम के एक सदस्य के मुताबिक कि वर्करों को मजिठिया का लाभ न देने के बहाने इन सब ने जागरण से इसी केस के बहाने अपनी 2 या 3 मजिठिया ले ली। अगर सही बात मालिकान को बताते तो ये सब अपना उल्लू सीधा कैसे करते? सब पंडितों ने फंसवा दिया बेचारे गुप्ता जी को। अब बीतने को ज्यादा दिन नहीं है।

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कमाल तो यह है कि जो लोग मालिक के सामने उनके हितैषी और करीबी हैं, वे सब भी इस आए आदेश से खुश हैं। उनका कहना है, अब मालिक की चूलें हिली हैं। इससे यह साबित होता है कि संजय गुप्ता के ये सब करीबी ढोंगी हैं। इन सब ने केस में जागरण के मालिक को उलझा दिया और सच से दूर रखा कि हम एक पैसा नहीं देंगे किसी वर्कर को। खुद तो मजीठिया केस के नाम पर खर्च के बहाने अपना मजीठिया लेते रहे और कोर्ट की कार्यवाही से मालिकों को अवगत नहीं कराया। दरअसल ये मालिक के सारे करीबी, चाहे वह संपादकीय विभाग का हो, लीगल टीम का या फिर मैनेजर, सभी अपनी जेब भरने में लगे रहे और मालिकानों को सच और कानून से दूर रखा।

संपादकीय विभाग हेड तो तब भी यही कहते थे, आज भी वर्कर से यही कहते हैं कि जब केस वाले वर्कर को पैसा मिलेगा, तब कार्यरत वर्कर को भी मिल जाएगा। अब उन्हें कौन बताए कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ तौर पर कहा है कि पैसा लेना है तो केस लगाना होगा और केस wja की धारा 17 के तहत लगेगा।

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जागरण का Cgm से लेकर मैनेजर तक, सब खुद को खुदा समझता है। कानून से भी ऊपर खुद को मानते हैं ये लोग। तभी तो सजंय गुप्ता को कानूनी तौर पर अवमानना में फंसवा दिया और खुद हंसता और कहता है कि जैसा करेगा वैसा भरेगा। आदेश से यह तो साबित हो ही गया कि दैनिक जागरण में वेजबोर्ड लागू नहीं है।

लीगल टीम के हेड श्री मनोज दुबे ने तो जैसे कोर्ट में झूठ बोलने का ठेका ले रखा है। उनकी कोशिश कागज़ात कानून से अलग बहस करने की होती है। माननीय कोर्ट को गुमराह करने का ठेका भी इन्हीं को मिला हुआ है, लेकिन जहां कागज़ात और कानून को समझने वाले कोर्ट हैं और श्री राजुल गर्ग जैसा विद्वान वकील, वहां इनकी दाल नहीं गलती। फिर ये खीसें निपोर देते हैं। वैसे मजीठिया केस में वर्कर हर हाल में जीतेगा, बस उसे लड़ने का तरीका पता हो।

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कुल मिलाकर जागरण को इस केस में हर हाल में हारना होगा और वर्कर की जीत सुनिश्चित है। अभी वर्कर को एक जीत हासिल हुई है। उनकी दूसरी और तीसरी क़िस्त भी सुनिश्चित है और ऐसा इसलिए कि कानून वर्कर के साथ है। जागरण के मालिक की हार इसलिए सुनिश्चित है कि न तो मालिकान कानून को समझते या मानते हैं और न ही इनके मैनेजर और खास प्यादे। ईश्वर इन्हें ऐसा ही रखें, वर्कर का हित इसी में है। वैसे, संजय गुप्ता वर्कर को उनका हक जब तक नहीं देना चाहेंगे, रतन कानूनन उनसे तब तक अपना हक लेता रहेगा।

अभी कुछ ही दिन गुजरे हैं जब कोर्ट में दैनिक जागरण के मैनेजर, वकील, खास प्यादे और लीगल टीम के लोग के तेवर कुछ अलग होते थे। रुआब से सनसनी फैलाये रहते थे, जैसे सारी दुनिया के राजा वही हों। कानून को न मानना और वर्करों का खून पीना तो जागरण के मालिकान और इनके खास लोगों के जैसे खून में है। वैसे चोरी-बेईमानी तो इनका हक़ है।

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लोगों को चोरी- बेईमानी शब्द इनके लिए अजीब लग सकता है। तो बता दूं, जागरण के मालिकान ने अपने यहां वेजबोर्ड लागू नहीं किया है और यह हालिया आये आदेश से साबित हो गया है। वे अपने वर्करों को कम वेतन देते हैं। जाहिर है, जब कम वेतन देंगे, तो वर्कर के पीएफ में भी कम राशि जमा होगी, जो सरकार के यहां जमा हर माह होती है, तो जागरण के मालिकान चोरी भी करते हैं और बेईमानी भी। ये अखबार के नाम पर कम पैसे में सरकार से ज़मीन, कागज़, इंक बग़ैरह लेते हैं, लेकिन सरकार द्वारा तय वेतनमान अपने वर्करों को नहीं देते, न ही कानून को मानते हैं। खुद को देशभक्त बताने से नहीं चूकते। हाय रे इनकी देशभक्ति!

लेकिन जब से नोएडा लेबर कोर्ट से मजीठिया वेज बोर्ड के रिकवरी के केस में वर्कर के पक्ष में आदेश आया है, दैनिक जागरण के सारे खास प्यादों के तेवर ढीले हो गए हैं। अब इन सबकी बॉडी लैंग्वेज से पता चलता है, जैसे सुबह मालिक ने इन्हें तबियत से निरमा वाशिंग पाउडर से धोया है।

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कहने वाले कहते हैं कि अभी तो शुरुआत है। जागरण के मालिकान की गति बहुत बुरी होने वाली है। अभी तो 57 वर्कर के ब्याज समेत 21 करोड़ के आदेश आये हैं, तो इनकी हालत पतली हो गयी है। नोएडा से 150 वर्कर के आदेश और आने हैं। फिर क्या होगा इनका? उसके बाद टर्मिनेशन का भी केस है, जिसमें जागरण को प्रति वर्कर इस राशि से दोगुनी राशि भुगतान करना होगा। फिर क्या होगा?

इतना ही नहीं, वर्कर मनिसाना के साथ मजीठिया वेजबोर्ड का भी एक केस लगाने के लिए तैयार हैं। रिकवरी के बराबर वह राशि भी जागरण को देना होगा और उसमें समय भी ज्यादा नहीं लगना है, क्योंकि सारी कवायद मजीठिया के इस केस में पूरी हो गयी है। उसके बाद वर्करों को नौकरी भी देगा जागरण। मजीठिया के हिसाब से वेतन के साथ या नौकरी न देने पर उसे वीआरएस तो देना ही होगा। यानी एक बार फिर जागरण लोगों को राशि देगा।

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अब यह सब होने के बाद जागरण के मालिकान अपने इन खास प्यादों, वकीलों, लीगल टीम और गुणी मैनेजरों को सर्फ अल्ट्रा से धोएगा नहीं तो और क्या करेगा? जागरण की दुर्दशा के कारण भी तो यही सब प्यादे हैं! जय मजीठिया, जय संविधान…

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1 Comment

1 Comment

  1. gajraj singh

    November 24, 2022 at 2:45 pm

    dear Gulab Kothari what is your opinion you and your honest, brilliant, Legal manager is also giving the same gyan to you and your situation will be the same like Jagran one day.
    Is your blood pressure is normal. what Happen nowadays you are not coming on facebook live is store of your knowledge blank.
    Mr Kothari jago otherwise you will also face the same as Jagran facing. I know that your skin is so hard that easily it will effect till the hunter of the court will apply on it.

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