Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

यह संत तो दरिद्रों की पूजा करता है (देखें वीडियो)

स्वामी बाल नाथ के साथ पत्रकार अश्विनी शर्मा. दूसरी एक पुरानी तस्वीर में एक अनाथ बच्चे के साथ दिख रहे हैं स्वामी बाल नाथ.

Ashwini Sharma : ”अपने लिए जिए तो क्या जिए… ऐ दिल तू जी ज़माने के लिए…” नववर्ष के पहले दिन स्वामी बालनाथ जी से मिलकर वाकई लगा कि हमारे आस पास ऐसे लोगों की कमी नहीं है जिनके लिए इंसानियत की सेवा ही सब कुछ है..स्वामी बालनाथ के बारे मैं मैंने जितना कुछ सुन रखा था उससे कहीं ज्यादा मुझे आज देखने को मिला..स्वामी बालनाथ के गाजियाबाद स्थित सेवानगर आश्रम में जब मैं पहुंचा तो उन्हें कुछ लोगों की पूजा कर उनके पैरों को पानी से धोकर पीते हुए पाया..वाकई आजतक मैंने ऐसा पहले नहीं देखा था..

स्वामी बाल नाथ के साथ पत्रकार अश्विनी शर्मा. दूसरी एक पुरानी तस्वीर में एक अनाथ बच्चे के साथ दिख रहे हैं स्वामी बाल नाथ.

Advertisement. Scroll to continue reading.

Ashwini Sharma : ”अपने लिए जिए तो क्या जिए… ऐ दिल तू जी ज़माने के लिए…” नववर्ष के पहले दिन स्वामी बालनाथ जी से मिलकर वाकई लगा कि हमारे आस पास ऐसे लोगों की कमी नहीं है जिनके लिए इंसानियत की सेवा ही सब कुछ है..स्वामी बालनाथ के बारे मैं मैंने जितना कुछ सुन रखा था उससे कहीं ज्यादा मुझे आज देखने को मिला..स्वामी बालनाथ के गाजियाबाद स्थित सेवानगर आश्रम में जब मैं पहुंचा तो उन्हें कुछ लोगों की पूजा कर उनके पैरों को पानी से धोकर पीते हुए पाया..वाकई आजतक मैंने ऐसा पहले नहीं देखा था..

स्वामी बालनाथ से मैंने सवाल किया तो उन्होंने बताया कि प्रत्येक वर्ष की पहली तारीख को वो लाचार, गरीब, बेबस यहां तक कुष्ठ रोगियों की नारायण मानकर पूजा करते हैं जिसका नाम उन्होंने दरिद्र नारायण की पूजा रखा है..मैं स्वामी बालनाथ के बारे में बहुत कुछ जानना चाहता था लिहाजा मैंने उनसे बातचीत शुरू की..स्वामी बालनाथ ने बताया कि वो मूलतः इलाहाबाद के सिरसा के रहने वाले हैं लेकिन महज सोलह साल की उम्र में ही उन्होंने अपना घर बार सब छोड़ दिया और मानवता की सेवा में जुट गए.

Advertisement. Scroll to continue reading.

स्वामी बालनाथ ने 1975 में गाजियाबाद में अपने पहले आश्रम की नींव रखी और मजबूर लावारिस मिले लोगों का सहारा बन गए..स्वामी जी राह चलते सड़क किनारे से किसी भी लावारिस या बीमार इंसान को उठा लाते और उसकी खिदमत करते..खुद नहलाते धोते और खाना तक बनाकर अपने हाथों से खिलाते..स्वामी बालनाथ ने बताया ने उनके यहां असहायों की तादाद बढ़ने लगी जिसमें नवजात बच्चियां अधिक थी..यही नहीं उनके आश्रम की वजह से आश्रम के पास वाली सड़क का नाम सेवा नगर भी पड़ गया..अब दूर दूर से लोग उनके दरवाजे पर भी बच्चियों को छोड़ने लगे…लेकिन स्वामी बालनाथ ने ना सिर्फ उन्हें अपनाया..बेहतर शिक्षा देकर ससुराल तक भेजा..

Advertisement. Scroll to continue reading.

स्वामी जी के मुताबिक अब तक तकरीबन दो हजार बच्चियों का पालन पोषण और विवाह की जिम्मेदारीे वे उठा चुके हैं..इसके अलावा जिन बुजुर्गों का कोई नहीं उनकी खिदमत करना स्वामी जी सबसे बड़ा धर्म मानते हैं..ऐसे ही कुछ असहाय लोगों से मेरी भी मुलाकात हुई..वाकई साल के पहले दिन ही स्वामी बालनाथ से मिलकर मुझे कितना आत्मिक सुकून मिला शब्दों से बयान नहीं कर सकता..सोचिए एक तरफ जहां आज कुछ लोग नवजात बच्चियों का तिरस्कार कर रहे हैं..बुजुर्ग माता पिता का साथ छोड़ रहे हैं वहीं स्वामी बालनाथ जैसे लोग भी हैं जो इंसानियत की सेवा में दिन रात जुटे हुए हैं..

संबंधित वीडियो देखने के लिए इस यूट्यूब लिंक पर क्लिक करें : https://youtu.be/EFk1FLV0UDo

Advertisement. Scroll to continue reading.

मुंबई और दिल्ली के कई न्यूज चैनलों में वरिष्ठ पद पर कार्य कर चुके टीवी जर्नलिस्ट अश्विनी शर्मा की एफबी वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement