आज एक सप्ताह पुराने अखबार देखे। पहला समाचार- ‘हम फिर 2017 चुनाव जीतकर वापस आयेंगे : अखिलेश यादव’। दूसरा समाचार – ‘मई 10, 2015 – लखनऊ के कृष्णानगर में 18 माह की दूधमुही बच्ची के साथ बलात्कार, खून बहते हुए गंभीर हालत में लोकबन्धु हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, बच्ची के मां कचरा बीनकर सड़क के किनारे ही जीवन बिताती है’….
तीसरा समाचार : शामली में बंधक बनाकर युवती से सामूहिक बलात्कार
चौथा समाचार : अपहरण उद्योग पर बाहुबलियों की सरपरस्ती
पांचवां समाचार : रंगदारी न देने पर सपा पार्षद ने ठेकेदार को पीटा
छठवां समाचार : निगोहा में गोली मारकर बदमाशों ने भाई -बहन को लूटा
सातवां समाचार : नगराम में कारोबारी से दिनदहाड़े लूट, गोली मारी
आठवां समाचार : मंत्री पंडित सिंह ने माँ-बहन की गालियाँ दीं
नौवां समाचार : पीसीएस परीक्षा लीक करने वाले केंद्र को अभय दान
दसवां समाचार : मुसीबत जादा, 5287 किसानों को मदद चाहिए
11वां समाचार : शोहदों ने किया फैमिली को परेशान, युवती ने घर छोड़ा
12वां समाचार : गोसाईगंज में किशोरी से बलात्कार, कीटनाशक पिलाया
13वां समाचार : छात्र का अपहरण, पांच लाख फिरौती मांगी
14वां समाचार : CPMT का पेपर लीक
15वां समाचार : मिड डे मील में बड़े उड़ा रहे मलाई
16वां समाचार : बहन की आबरू बचाने में बेटे ने गंवाई जान
17वां : सपा मुखिया मुलायम सिंह ने एमएलसी के टिकट के दावेदारों को प्रधान जिताने का लक्ष्य दिया
18वां समाचार : राज्यपाल बोले ” उ.प्र. का मेरा अनुभव अच्छा नहीं रहा”
उक्त समाचार क्लिप्पिंग्स पर किसी ने पूछा कि …..अगला चुनाव जीत कर और क्या क्या होगा …
यह सही है कि राजनीतिक मारीच त्रियाचरित्री लिफ़ाफ़े होते हैं, जो ओढ़ते हैं अपनी समाजसेवी ख़ुदाई का मुजुस्तमा और बस चुनावी बरसात में ही जाति-धर्म के मजमून पढ़ने वाले बरसाती मेढक होते हैं वे सब, आख़िर यही तो लोकतन्त्र है, जिसमें छछूंदर उछलती हैं हमारे सरों पर और झुंझलाहट भरे अनशन के सिवा हम कुछ नहीं कर पाते। पूँजीवादी जूतों से आम आदमी है ख़ूनम-ख़ून, चारों तरफ उधड़-उधड़ कर गिर रही है भूख-भूख-भूख और सिर्फ़ भूख ! और हम कुछ नहीं कर पाते…और हम कुछ नहीं कर पाते।
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस सूर्यप्रताप सिंह के एफबी वॉल से