जीते जी कोई इंसान किसी समुदाय के लिए मसीहा कैसे बन जाते हैं ऐसी विलक्षण घटना सदियों में कभी कभार ही देखने में आती हैं। कोंडागांव बस्तर का यह मामला भी कुछ ऐसा ही है। बस्तर तथा छत्तीसगढ़ का एक सबसे प्राचीन परंतु सबसे पिछड़ा, गरीब एवं वंचित समुदाय है गांडा। छत्तीसगढ़ तथा कुछेक अन्य राज्यों में जनजातीय समुदायों के साथ ही सदियों से पाया जाने वाला एक प्राचीन समुदाय है गांडा। बस्तर तथा देश की जनजातीयों पर तो सैकड़ो हजारो शोध हुए है किंतु अनुसूचित जाति में वर्गीकृत इस वंचित समुदाय पर आज तक किसी ने ध्यान नहीं दिया। अपनी हर्बल खेती के दम पर देश-विदेश में विख्यात तथा देश के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे किसान माने जाने वाले डॉ. राजाराम त्रिपाठी इसी गांडा समुदाय पर हाल ही में अपना ऐतिहासिक शोध पूर्ण किया।
उन्होंने यह कार्य 2014 में शुरू किया और एक दशक के कठोर परिश्रम के माननीय गवर्नर तथा मुख्यमंत्री के हाथों इसी 5 मार्च को पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। हालांकि इस उपेक्षित समुदाय पर डॉक्टर त्रिपाठी के द्वारा किए जा रहे शोध कार्यों की चर्चा पिछले कुछ वर्षों से बौद्धिक समाज में चल रही है। डॉ त्रिपाठी ने 1741 से लेकर आज तक गांडा समाज की सामाजिक आर्थिक संरचना तथा परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों का ऐतिहासिक मूल्यांकन किया है। डॉ त्रिपाठी के शोध के बड़े आश्चर्यजनक महत्वपूर्ण तथ्य व निष्कर्ष मिले हैं।
कुल मिलाकर यह स्पष्ट हो जाता है की गांडा जाति एक गौरवशाली, शूरवीर कला मर्मज्ञ, शिल्प कला में निपुण एक महान जाति रही है। आजादी के तुरंत बाद त्रुटिवश अथवा षड़यंत्र वश या फिर वोट की तुच्छ राजनीति के चलते इस समुदाय को अनुसूचित जाति में वर्गीकृत करते हुए इनके सामाजिक स्थिति को एकदम से नीचे गिरा दिया। इसी कारण यह समाज आर्थिक सामाजिक राजनीतिक स्थिति में अंतिम पायदान में रहा है।
डॉक्टर त्रिपाठी के शोध के तथ्यों से इस समाज में अपने गौरवशाली अतीत को लेकर आत्मसम्मान बढ़ा है और आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है। इसीलिए डॉ त्रिपाठी जब माननीय गवर्नर विश्वभूषण हरिचंदन माननीय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी वन विभाग, जलवायु परिवर्तन जल संसाधन, सहकारिता सहित तथा कई विभागों के केबिनेट मंत्री केदार कश्यप जी छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष तथा जगदलपुर के एमएलए किरण देव जी तथा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मनोज श्रीवास्तव के करकमलों से गांडा समाज पर की गई प्रथम पीएचडी की उपाधि लेकर जब कोंडागांव पहुंचे तब नगर सीमा पर हजारों की संख्या में अंदकुरी गांडा समाज के स्त्री पुरुष, बूढ़े बच्चे एकत्र होकर गाजे-बाजे के साथ डॉ राजाराम त्रिपाठी की अगवानी की।
समाज की महिलाओं ने परंपरागत तरीके से पैर धोकर, आरती कर अक्षत टीका कर स्वागत किया और जिले के ग्रामीण क्षेत्र से आए इस समाज के पदाधिकारियों ने डॉ त्रिपाठी को सैकड़ों पुष्प मालाओं से लाद दिया तथा फूलों की वर्षा करते हुए मुख्य मार्ग से आक्सन हाल तक मानव श्रृंखला की बीच लेकर गए। तत्पश्चात वन विभाग के ऑप्शन हाल में एक विशाल जनसभा कर डॉक्टर त्रिपाठी का नागरिक अभिनंदन किया गया। समाज के प्रमुख पदाधिकारियों ने मंच से भावविभोर होकर कहा कि डॉ राजाराम त्रिपाठी ने आज हमारा खोया हुआ गौरव, आत्मसम्मान तथा आत्मविश्वास वापस लौटाया है। सच कहें तो बाबा अंबेडकर के बाद हमें हमारा एक और मसीहा मिल गया है। डॉक्टर त्रिपाठी ने कई सालों से कठिन परिश्रम करके आज हमारे समाज को एक नई दिशा दी है।
इस अवसर पर डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि आप लोगों ने मुझे जो अपार प्यार और अपनापन तथा सम्मान दिया है इसका मैं तहेदिल से आभारी हूं और आज मैं अपनी पीएचडी महान गांडा समाज को सादर अर्पित करने की घोषणा करता हूं।’ यह चमकते सूरज की तरह सच्चाई है कि आप एक गौरवशाली महान शूरवीर वीर पूर्वजों के वंशज हैं। आपके साथ किसी भी प्रकार के अन्याय पक्षपात के खिलाफ मैं सदैव आपके साथ हूं और पूरी जिंदगी आपके साथ रहूंगा।
डॉ त्रिपाठी के सम्मान-अभिनंदन कार्यक्रम के उपरांत हजारों की संख्या में स्त्री पुरुषो ने परंपरागत गांडा बाजे की धुन पर थिरकते हुए आतिशबाजी के साथ विशाल जुलूस की शक्ल में आक्सन हाल से लेकर जगदलपुर नाका तथा आगे राष्ट्रीय राजमार्ग से बस स्टैंड होते हुए डॉ त्रिपाठी को उनके निवास 151-हर्बल ईस्टेट तक पहुंचाया। यहां जुलूस का स्वागत आरती रोली चंदन एवं पुष्प वर्षा से श्रीमती शिप्रा त्रिपाठी तथा मां दंतेश्वरी हर्बल समूह हर्बल समूह के सदस्य अनुराग त्रिपाठी, जसमती नेताम, बलई चक्रवर्ती, कृष्णा नेताम एवं मेंगो के द्वारा किया गया।
अंत में डॉ त्रिपाठी ने पूरे गांडा समाज को अपने अभूतपूर्व स्वागत सम्मान और प्यार के लिए दिल से आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर वरिष्ठ जिला अध्यक्ष करन कोर्राम, वरिष्ठ जिला सचिव बुद्धमन कुलदीप, प्रांतीय सचिव अनिल कोर्राम, युवा जिला अध्यक्ष वीरेंद्र बघेल, जिला सलाहकार राजेश मरकाम, प्रांतीय कोषाध्यक्ष नवल मरकाम, चरण सिंह गंधर्व प्रांतीय सलाहकार, महिला प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष सुभद्रा कोर्राम, प्रांतीय सचिव युवती कोर्राम, वरिष्ठ प्रकोष्ठ से कहर सिह मरकाम, बृजलाल बघेल, दिनेश नाग, अमर सिंह मरकाम, दुर्गा प्रसाद मडावी, धनीराम मरकाम, दिनेश गंधर्व, राजाराम मरकाम, फूल दास मरकाम, फूलचंद शोरी, सुनील बघेल, मंतोष पोयाम, रितेष कोर्राम, राजेंद्र बघेल, नारायण कोर्राम एवं युवा पदाधिकारी संजय कोर्राम, सुभाष मरकाम, पवन नाग, मोतीराम मरकाम, दयासागर मरकाम, सतानंद कुलदीप, गजेन्द्र कोराम, विवेकानंद मरकाम, बिजेशवर नाग, ब्लॉक जिला के तीनो प्रकोष्ठ के समस्त पदाधिकारी, 07 ब्लॉक के तीनो प्रकोष्ठ के ब्लॉक अध्यक्ष, 56 मंडल के तीनो प्रकोष्ठ के मंडल अध्यक्ष और उनके कार्यकारणी सदस्य के साथ समाज के सैकड़ो पदाधिकारी तथा समाज के हजारों युवा बच्चे, बूढ़ों की सक्रिय सहभागिता रही।